सस्पेस लव पार्ट-8

Part -8

अब तक आप सुन रहे थे कि मानवी शिवाए को बोलती है अगर तुम राजपूत नही होते ना तो.....! तो मैं तुमसे चाशनी जैसा प्यार करती। 
शिवाए- ओह्ह तो मेरे प्यार में अभी कमी है मिस मानवी। मानवी- नही मगर थोड़ा सा है, अगर तुम भी सक्सेना होते तो भगा ले जाती तुम्हे। शिवाए ओह्ह..;अफ़सोस, की मैं तुम्हे यहाँ बेइंतहा मोहब्बत करने लगा हूं और तुम हो कि कास्ट की बात कर दी एक होता तो ज्यादा करती हटो।मानवी तुनक जाती है फिर दोनों काफ़ी पीकर काम मे जुट जाते है अब आगें क्या होगा जानने के लिए जुड़िए मेरे यानी काफी चक्कलस दोस्त आकांक्षा के साथ .....

घड़ी में तीन बजने को था,शिवाए की नजर मानवी के रूम के तरफ अचानक पड़ी मानवी कान में हेडफोन लगाएं लैपटॉप के ऊपर चढ़कर सो रही थी। ये देख शिवाए ने सर को झटकते हुए मुस्कुराया मानवी। उठकर उसके पलंग के पास गया ,मानवी के हेडफोन से फूल साउंड में गाने की धुन बज रही थी लेकिन मानवी नीद के नशे में चूर घोड़े बेंच कर सो रही थी। शिवाए ने मानवी को सीधा लिटाया और लैपटॉप को बंद करके किनारे रख दिया उसके कान से हेडफोन ज्यो ही निकाला मानवी घूमकर सो गयी एक गहरी नीद में,मानो कितना थक गई हो। शिवाए ने कमरे को एक नजर में देखा पूरा कमरा मानवी के जैसा दिख रहा था। मानो हर जगह मानवी हो। मानवी सिमटी हुई सोइए पड़ी थी। मानवी का फोन रख कर शिवाए ने मानवी के सर पर हाथ फेरते हुए उसके सर को चूमा फिर रूम की लाइट बन्द करके वापस से अपने कमरे में आकर लैपटॉप पर जुट गया। कुछ ही देर में वो भी सो गया। सुबह के सात बजे मानवी की नींद खुली ,मानवी हड़बड़ा कर उठी तो देखी लैपटॉप किनारे बन्द करके रखा था हेडफोन मोबाइल सब एक तरफ। मानवी मुस्कुराई औऱ उठकर शिवाए के रूम में गयी।शिवाए काउच पर उल्टा हो कर सो रहा था,मानवी करीब गयी और उसके गालों को चूमते हुए बोली मेरा इतना ख्याल खुद सोफे पर सोया जा रहा। मानवी उठकर ब्रश करती है फिर कॉफ़ी चढ़ा कर आंटी को फोन मिलाती है ऑन्टी फोन उठाती है फिर बताती है कि वो आज बारह बजे तक आ जाएंगी मानवी खुश हो जाती हैं। कॉफ़ी बना शिवाए के पास जाती है ,मग को मेज पर रखते हुए शिवाए शिवाए शिवाए... शिवाए ह्म्म्म सोने दो ना।मानवी फिर उठाती है उठो शिवाए कॉफी लाई हूं। ऑफिस भी तो चलना है और ओह्ह शीट मैं तो पेन ड्राइव में फ़ाइल सेव ही नही की।शिवाए मैंने कर दिया है शिवाए करवट लेते बोला,मेज पर है ले लो । मानवी शिवाए को गले लगा लेती है।थैंक्यू आई लव यू।शिवाए आई लव यू टू मानवी। गुड न्यूज दू.. मानवी शिवाए से बोलती है। शिवाए हा दो। मानवी आंटी आ गयी। आज से ये सक्सेना तुम्हे परेशान नही करेगी। शिवाए वाह कब आई । आज बारह बजे तक आ जाएंगी। आफिस से घर निकल जाऊंगी ठीक। शिवाए के ये सुनते चेहरा फीका पड़ जाता है। मानवी क्या हुआ राजपूत जी।शिवाए कुछ नही नीद पूरी नही हुई ना नीद आ रही। उठो ना कॉफी ठंडी हो रही। शिवाए उबासी मारते हुए कॉफी इति जल्दी।ओके अब तो उठना ही पड़ेगा।मनवी गले लग जाती है, मिस यू। मिस यू टू मगर एक साथ है तभी भी मिस कर रही हो। तुम बुद्धू हो ना क्या समझोगे।ओके ब्रश कर लूं तब समझता हूँ। शिवाए उठकर ब्रश करने चला जाता है,मानवी कॉफी गर्म कर देती है।शिवाए आकर कॉफी पीता है। वाह मस्त बनी है। बिल्कुल तुम्हारी तरह फीकी और स्ट्रांग। मानवी तुनक कर बोलती है फीकी हु मगर प्यार भी बहुत करती हूं। तुम नही समझोगे। शिवाए समझा दो फिर। दोनों आफिस के लिए तैयार होते है। कुछ देर में खा पीके आफिस निकल जाते है। आज शिवाए का आखिरी दिन था मेरे साथ बिताने का,रस्ते भर बहुत कुछ बुनते हुए आफिस पहुँच गयी। ऑफिस में कुछ ही देर में मीटिंग शुरू हुए,सारी कुर्सियों को छोड़ते हुए धपाक से जा कर शिवाए के बगल बैठ गयी। सबकी नजरें मेरे तरफ हो गयी। मगर उन नजरो को नजरअंदाज करते हुए मैने शिवाए के लैपटॉप में पेन ड्राइव के बहाने घुस गयी। सारे सीनियर हमारे बॉस आज सबकुछ बहुत अजीब लग रहा था। बस कुछ अच्छा लग रहा था तो वो था शिवाए के बगल बैठे सुकून। एक लंबी गहरी सांस लेते हुए मैंने केस की एक एक हिस्ट्री को खोलना शुरू कर दिया,अंधेरे कमरों में प्रोजेक्टर की रोशनी शिवाए को और भी चमकदार बना रही थी ये देख मेरे हौंसले बढ़ रहे थे। कभी अटक जाती ख्यालों के मकड़जाल में तो शिवाए टोकते हुए केस को बताना शुरू कर देता। अच्छा लग रहा था ये साथ एक अनकहा साथ। पंद्रह दिनों में शिवाए और उसका असर मुझपे कुछ यूं था मानो सबकुछ भूल गयी हूँ। मीटिंग खत्म हुई सभी इस केस के बन्द होने से काफी खुश थे सबसे ज्यादा बॉस और उससे ज्यादा खुशी शिवाए के चेहरे पर जो मैं दूर खड़ी होकर भी महसूस कर रही थी। तभी शिवाए के बॉस मेरे पास आए-मानवी तुमने तो गजब का केस सॉल्व किया। अच्छा लगा। तुम्हे ऑफ़र दु।तुम चाहो तो हमारे साथ क्राइम ब्रांच में आ जाओ। मैं उनको देखती रह गयी। मैं कल ही लेटर भेजवाता हू। मगर सर। इतना अच्छा मौका शायद तुम्हे खोना नही चाहिए।शिवाए की आज तरक़्क़ी देखो पैसा इनकम देखो। मेहनती के साथ निर्णय लेने में बहुत सक्षम है। ह्म्म्म सर मगर मैं लड़की हू पेरेंट्स शायद ही मुझे बाहर भेजें। मगर मैं एक बार प्रयत्न जरूर करूँगी। ये सुन वो मेरी पीठ थपथपा कर चले गए। उनका इस तरह पीठ थपथपाना मुझसे ज्यादा शिवाए को बुरा लगा उसने घूरते हुए इशारा किया अपनी तरफ बुलाने का,मैं भी सीधे उसके  बाजू में खड़ी हो गयी। तुम्हे अब देर नही हो रही,शिवाए ने बुदबुदाते हुए कहा। हो रही।तो निकलो फिर देर हो रही मानवी मैं तुम्हारे साथ चल नही पाऊंगा मगर सुनो सामान पैक रखना यहाँ से खाली होते तुम्हे लेने आऊँगा ठीक अब निकलो और पहुँचते रिंग करना शिवाए के चेहरे पर मेरे प्रति प्यार का प्याला छलक रहा था मानो। उसकी बुदबुदाते मधम आवाज दो पल को लगा कही छुपा के रख लू। बैग उठाई और निकल गयी घर के लिए। अभी ऑटो स्टैंड पहुचने वाली थी कि शिवाए का फोन आया,कहा हो कहा तक पहुँची। मैंने हँसते हुए कहा-इतनी उलझन। शिवाए ठुनकते हुए यही अच्छा नही लगता जान रही हो कितनी मुश्किल से फोन किया हूँ और तुम हो कि मस्ती में लगी रहती हो। मैंने भी बेमन जवाब दिया ऑटो स्टैंड ऑटो में हु। अब घर पहुँचकर मेसेज कर दूंगी बाए बोलते हुए मैंने फोन को काट दिया।घर पहुँचते शिवाए को मैसेज ड्राप की। उसके बाद आंटी से बात करने लगी कब देर हो गयी पता ही ना लगा। बात ही बात मैंने ऑन्टी को कमरा खाली करने को भी बोल दिया। उन्होंने तपाक से पूछा कोई दिक्कत क्या यहाँ।नही ऑन्टी थोड़ा दूर है बस मेने अनमने मन से कहते हुए खड़ी हुई और अपने कमरे की ओर बढ़ गयी। ताला खोली तो कमरा सीलन से महक रहा था। गहरी सांस लेते हुए चप्पल को निकाल ज्यो कुर्सी पर बैठी,शिवाए का फोन आ गया।हा बोलो,उधर से आवाज आई सब पैक हो गया। मैं ग्यारह बजे तक खाली होकर आ जाऊँगा ठीक। इतनी रात मैंने चौकते हुए कहा-रहने दो ना कल आ जाऊंगी। शिवाए ने गुस्से में कहा ड्राइव करते वक्त भी मूड ही खराब करती हो रखों जो मन हो वो करो।मगर शिवाए मैंने अभी तक कुछ समेटा नही है। मानवी तुम क्या कर रही थी अभी तक शिवाए गुस्से में बोला। मैंने भी तुनकते हुए अंदाज में बोला- मैं आज नही आ रही बस। रात को सीधे घर जाना और पहुँचते फोन ठीक बाए बोलकर फोन कट कर दी। और कमरे को निहारते हुए बोली उफ़्फ़फ़ कहा से शुरू कर..?

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट