ससुराल के व्यंग्यबाण | कहानी -3

हा हा सबसे बड़ी गलती तो मेरी है। जिसे देखो वो ही ताना मारेगा। अब सहन नहीं होता। बिल्कुल भी । पति राघव लीपिका की बड़बड़ चुप चाप सुन रहे थे। क्या हो गया मोहतरमा इतनी तमतमाई क्यों हो। आप तो बोलो ही नही लीपिका ने राघव को देखते हुए कहा। सबकुछ जानकर अनजान बनना कोई आपसे सीखे। लीपिका फिर से हो गयी क्या कहा सुनी। मैं कल सुबह ही पायल और माँ से बात करता हूँ। रहने ही दो आप आपके बस के बाहर है ये सब। सात साल से यही शब्द ना मैं हर रोज रात को सुनती आ रही हूं राघव।आपको भला क्यों समझ आए। मम्मी जी का बोलना एक बार समझ आता है ,मगर पायल। पायल तो इस तरह का व्यवहार करती है मानो सास की भी सास हो।  किसी बात की हद होती है राघव। कितना सहू पायल की ये चुगली वाली हरकते। कभी सोचती भी है कि भाभी भी किसी की बेटी है।

हर बात पर चुगली।क्या बोलना उचित है अनुचित है किसी भी बात की परवाह है उसे जरा भी नही। हो भी क्यों लाडली जो है सबकी। अब चुपचाप आप सो जाइए वैसे ही दिमाग बहुत खराब है। गुड नाईट राघव लीपिका ने करवट बदलते हुए राघव को जवाब दिया।
अगली सुबह लीपिका की सास ने कीचन में आ कर फरमान सुना दिया। लीपिका ये क्या तरीका है, हर बात की शिकायत राघव से करना जरूरी है।ऐसा ही रहा तो जल्द ही मायके के लिए ही छोड़  दूंगी। लीपिका रोटी का बेलन रोकते हुए बोली-मम्मी जी राघव मेरे  पति है। मैं उनसे ना कहू तो किस्से कहू। आप इस तरह क्यों कह रही। देखो लीपिका पायल मेरी बेटी है उसे कहने का हक है। ऊपर से कुछ दिन बाद तो वो खुद ही सासुरोतीं हो जाएगी। वाह मम्मी जी वाह!आपकी बेटी मेरी चुगली हर रोज करती है आप उसकी बात को सुनकर मुझे आकर  एक का दस सुना निकल जाती हो। कभी सोचा है आप लोगो ने मुझे भी तकलीफ होती है। बेफिजुली का ताना सुनना किसे अच्छा लगता है मम्मी जी।
खुद की बेटी ,बेटी है और दुसरे की बेटी नौकरानी। समाज ने दर्जा तो सबको एक ही दिया है ना,जो कई चक्र में हो कर रिश्ते में पिरो देता है, तो आप भी तो कभी बहू थी। अगर कोई बिन बात  के ही आपकी चुगली करे तो आप बर्दाश्त कर लेती। बहू... सासूमाँ ऊंचे स्वर में बोली। तुम्हारे हमारे जमाने मे ऐसा नहीं था। हमलोग बर्दाश्त करते थे अब की लड़कियों की तरह नही की जबान लड़ाए। लीपिका समझ चुकी थी कि सासूमाँ के आगे कुछ भी बोलना बेफिजुली है क्योंकि उन्हें कोई मतलब नहीं है। 

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