क्या यही प्यार है पार्ट-2

क्या करना होगा प्रवीण ने तपाक से पूछा। सुमेधा गुस्से के लहजे में बोली ढक्कन हो क्या कल तक  तो भाग रहे थे अब क्या कायर हो गए। मगर तुम पापा को छोड़कर इस तरह वो मान जाएंगे सुमेधा कुछ दिन देख लो प्रवीण ने समझाते हुए कहा। भड़कती हुई सुमेधा ने कहा हा हा बड़ा मान जायेंगें। जब मेरी शादी श्यामू रामू, कालू से हो जाएगी तब तुम भागना। अरे तभी क्यों जब मेरे छ सात बच्चे हो जाएंगे तब सोच लेना बोलते हुए सुमेधा ने गुस्से में फोन काट दिया। सुमेधा तुमको हो क्या गया है प्रवीण ने मेसेज ड्राप किया। सुमेधा बिल्कुल निराश हो खिड़की के पास जा खड़ी हो गयी ये सोचने लगी क्या तरकीब है जो मैं और प्रवीण एक हो जाए।


पापा पे कौन सा जादू करू।यही सोचते सोचते दो साल बीत गए। सुमेधा प्यार में इतनी बावली हो चुकी थी कि उसके आगे कोई दुनिया नही दिख रही थी। दिख रहा था तो सिर्फ और सिर्फ प्रवीण। आज रविवार का दिन था। सुमेधा सुबह से ही खटरपटर कर के खाना बना पापा के पास गयी। पापा आज मैं  जा रही हूं आपसे बहुत दूर अपनी दुनिया मे। इतना सुन सुमेधा के पापा ने जोर से चिल्लाते हुए कहा-जी करता है साले को गोली से मार दु। पागल कर रखा है हमारी बेटी को। दिमाग खराब हो चुका है तेरा ।कितना भी कुछ करले मगर उस गरीब से तेरी शादी न करूँगा।

सुमेधा उठी और सीधे अपने कमरे में जाकर बैग में आलमिरा से कपड़े निकाल निकाल रखने लगी। प्रवीण को रोते हुए फोन की कब करोगे शादी जब मेरी शादी किसी और के साथ हो जाएगी।प्रवीण ने निर्णय लिया ठीक है आ जाओ भाग चलते है कही दूर। सुमेधा प्यार पाने के लिए आज पिता को अकेले छोड़ चली गयी हमेशा के लिए प्रवीण के साथ जिंदगी बिताने। इधर पिता सुमेधा को लेकर परेशान हो उठे। उधर सुमेधा और प्रवीण एक नई दुनिया बनाने के लिए उत्तराखंड भाग आए।वही मन्दिर में शादी करली।दोनों साथ रहने लगे बिल्कुल खुश। कुछ दिन तो पहाड़ो और बदलो में तो गुजर गए। मगर शुरू हुई जिन्दगी की असली लड़ाई। प्रवीण को किसी जगह भी जॉब नही मिलती। किसी तरह से सुमेधा ने स्कूल में टीचर की नौकरी पकड़ी। मगर प्रवीण को नौकरी छोटी मोटी  नही बल्कि अच्छे पोस्ट की तलाश थी। इससे सुमेधा प्रवीण से अनबन कर ही लेती। लेकिन प्रवीण पहले की तरह प्यार से मना लेता सुमेधा को समझाता सब ठीक हो जाएगा। कुछ दिन बस। 

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