क्या यही प्यार है पार्ट-4



अब आगे...सुमेधा ने आँखों को नचाते हुए कहा हद हो तुम। प्रवीण इतनी नौकरी के जोइनिंग लेटर बैग में पड़े है और तुम हो कि ट्रक चलाने लगे।मुझे ट्रक ड्राइवर नही चाहिए सुमेधा ने इतराते हुए कहा। प्रवीण ने सुमेधा को गले लगाते हुए बोला मेरी जान ये ट्रक बस एक रात थी। बाकी कल सोमवार से मैं आफिस जॉइन कर लूंगा। सच सुमेधा के मुँह से निकला। तो रविवार भी भूखे रहा जा सकता था सुमेधा ने कहा। इतनी मेहनत इसीलिए क्योंकि मैंने तुम्हें बहुत तकलीफ दी प्रवीण ने सुमेधा से नजरे  झुकाए हुए बोला। नही प्रवीण गलती मेरी है।मुझे इन दिनों पापा की हर बात याद आ रही थी जो वोमुझे बोले थे। मगर मैं गलत हूँ। मुझे माफ़ कर दो प्रवीण ।

कोई बात नही सुमेधा तुम मेरे लिए हमेशा वही रहोगी जो कॉलेज में थी। बदलो में ख्वाब सजाए थे इसलिए तुम्हे उन्ही के छाव में ले आया । पहाड़ो से हम वादे किया करते आज उन्ही पहाड़ो के बीच हमारी ये नई जिंदगी चल रही।न तुम गलत हो न मैं बस हालात नाजुक है प्रवीण ने सुमेधा का हाथ थामते हुए बोला। सुमेधा खुद को गलत साबित करने में कमी ढूंढ रही थी कि कैसे वो खुद को नीचे गिराए प्रवीण के आगे। प्रवीण ने नई नौकरी जॉइन करली दोनों के बीच बने अनबन भी दूर हो गए। साथ ही घर के हालात ही नही सुधरे प्रवीण ने दोगुना मेहनत कर के अपना दो कमरे का आशियाना बनवाया उसपे बोर्ड लगा सुमेधा का प्रवीण।

सुमेधा यह पढ़कर बहुत खुश होती वाक़ई जिंदगी का चक्र कब घूम जाए कोई नही जानता मगर उसे घूमने के लिए हमारे ही सहयोग की जरूरत होती है। 

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट