कसौटी आध्या की पार्ट-3

   

अब आगे....आध्या भूल चुकी थी कि वो खुद की शादी में स्टेज पर अपने जीवनसाथी के साथ बैठी हुई है। अब वो किसी और कि होने जा रही है,फिर भी क्यों वो उन्ही ख्यालों में गोते खा रही थी। न जाने कबका मनन आध्या को छोड़ दस साल के रिलेशनशिप को तोड़ माँ बाप परिवार को तवज्जों दे उसे बीच सफ़र में छोड़ गया। मिहिर ये सब साफ़ साफ़ देख रहा थे। दोनों आज भी एक दूसरे को उसी बेसब्री से शांत हो देख रहे थे। मनन दूर जरूर खड़ा था,मगर आध्या के दिल के आज भी बहुत करीब!

उसके नजरों में बेबसी,बेताबी,मजबूरी,बिछड़न साफ साफ झलक रही थी। आध्या भी चाह कर भी मनन को ना अपने करीब बुला सकती थी ना मनन आध्या के करीब आ सकता था। दोनों बेचैन जरूर थे मगर जब मनन स्टेज पर आध्या के पास आया तो आध्या ने मनन को मुस्कुरा के जवाब दिया,जैसे वो सबकुछ भूल बहुत आगे बढ़ आई है,मनन की तरह। मनन ने भी आध्या को मुस्कुरा कर के एक हिम्मत और जीवन के नए डोर की ओर शुभकामनाएं दी। दोनों ने अपनी मुस्कुराहट से एक दूसरे का स्वागत किया।मगर मनन की बीवी दीक्षा को आध्या फूटी कौड़ी ना भाती थी,ना जाने क्यों? आध्या की नजर मनन की बीवी दीक्षा पर पड़ी, यह देख वो अत्यंत रुआँसी हो उठी,अभी तक जो उसके जीवन मे हुआ सो हुआ, चार दिन की आई दीक्षा ने अनगिनत आरोप आध्या पे लगाया था। आध्या के आगे वो सारे आरोप घूमने लगे। आध्या मनन को इतने करीब पाकर बहुत कुछ कह देना  चाहती थी, मगर कह ना पा रही थी। उसे गले से लग आख़िरी बार चुम लेना चाहती थी,बहुत कुछ कह लेना चाहती थी जो उसके दिल मे इन तीन सालों में पनप रहा था,और वो उसे घुट घुट कर पी रही थी। आध्या के आँसू थम नही पाएं और मनन के आगे ही छलक गए।

मनन खुद को रोक नही पाया,और आध्या को गले लगा बिन कुछ कहे मिहिर की ओर बढ़ गया उसे आध्या का हाथ  थमाते बोला,बहुत नेक है ये इसका सदा ख़्याल रखना।ये बोलते वक़्त मनन की आँखे छलक गयी। स्टेज से उतरते वक़्त मिहिर ने मनन से कहा अब आए हो तो रुक कर ही जाना आध्या और मुझे अच्छा लगेगा। मिहिर समझ चुके थे,मनन क्या है आध्या के लिए और आध्या मनन के लिए।
स्टेज पर बैठी आध्या आज अपने जीवन के अगली कड़ी से जुड़ने वाली थी, और मिहिर वो फिर भी आध्या को समझ रहे थे। फोटोशूट शुरू हुआ,मिहिर कभी आध्या के कमर पर हाथ रखते कभी कंधो पर,फोटोग्राफर अपना अपना पोज बताते और हम उसे पूरा कर देते। मगर मन तो उस मटकी में अटका था जो कितने सालों पहले टूट चुका था। क्यों बीते हुए कल को में अपनी नई कड़ी के साथ घोल रही। फोटोशूट होते मैं स्टेज से उतरने वाली थी कि मिहिर ने पीछे से टोकते हुए कहा आध्या आज तुम बिल्कुल चांद लग रही हो। मगर मनन के आने से ये चाँद थोड़ा धुंधला हो गया। तुम खुद को संभालो क्योंकि अब तुम अंदर जा रही वहाँ जिक्र मत करना तुम समझ रही हो ना। मैं मिहिर के इस बात से साफ समझ चुकी थी, कि आज से मनन मिहिर मैं तक ही हू। मैने सर हिलाकर जवाब दिया ठीक है।

कितना कुछ अजीब है! कभी हम जीने मरने की कसमें खाया करते आज मनन का बदला स्वरूप। बहुत टाइम लगा था मुझे मनन का प्यार एक्सेप्ट करने में एक लंबा सफर जिसमे  प्यार, इकरार ,टकरार,बहुत कुछ था। लेकिन ये भी क्या जरूरी था। जिन ख्वाबों को हमने एक साथ बुना वो आज किसी ओर के साथ पूरे हो रहे। क्या यही प्यार है।इतनी तकलीफ प्यार पाने में नही लगा,जितना बिछड़ने में। सबकुछ अजीब ही तो है,हम उसे छोड़ते है जिसे कभी जी जान से भी ज्यादा प्यार किया था।ख़यालो के उधड़ बुन में मेरी डोरी फिर फंस गई प्यार!प्यार हो गया था मुझे, बहुत प्यार एक लम्बी गहरी सांस ने मुझे उस अतीत की ओर खींच लिया जब मैं और मनन पहली दफ़ा मिले थे। मनन की मुस्कान उसके चेहरे पे खुशी साफ साफ झलक रही थी।नीली धारी वाली शर्ट पहने मनन दूर से ही शर्ट को ठीक करते बालो को झटकते और आस्तीन को कुछ यूं फोल्ड करते हुए आ रहे थे मानो समझ ना पा रहे हो कि क्या करना है क्या नही। उनके करीब आते ही मैं जोर से खिलखिलाई और मनन मुझे देखने लगे और सर झुका लिए। घुटनो के बल बैठ शर्ट की बटन खोलते हुए मनन ने गुलाब का फूल निकाल मेरी ओर बढ़ा दिया।उनका इतना करना मेरे लिए सपने जैसा था सब कुछ। आजु बाजू के भी लोग इस रोमांस में मजे ले रहे थे मैंने झट से फूल लेते हुए कहा-क्या कर रहे हो मनन सब देख रहे है। जवाब था देखने दो ना ,तुम सिर्फ़ मुझे देखों तब कोई नही दिखेगा मेरी तरह। एक जादू जैसे किसी ने चला दी हो सीने पर। मनन ये बॉडी गार्ड क्यों लाए हो अकेले डर रहे थे। मनन मेरी तरफ देखे और बोले नही बस थोड़ा नर्वस था तो ,ये मेरे बचपन के दोस्त है मनन ने इंट्रोड्यूस कराया। हेल्लो, उनलोगों ने पहली दफ़ा में भाभी बोल दिया। ये सुन जितना अजीब लगा उतना ठीक भी। पता नहीं क्यों सब अच्छा ही तो लग रहा था।वरना किसी की इतनी हिम्मत की मुझे भाभी बोल दे मुँह न तोड़ दू मैं उसका। मनन मुझे चुप चाप खुशी में देख रहे थे। मैंने भी मनन की ओर आगे बढ़ते हुए कहा-क्या हम अकेले रह सकते है थोड़ी देर। मनन की खुशी और हँसी रुक नही रही थी। मनन के बिन कहे उनके वो दोस्त चले गए। 

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