निकल जा मेरे घर से...!

अरे , तेरा - मेरा मत कर सासू
ये घर न तेरा - न मेरा है...

हर बातों पर जलिकुटी मत सुना सासू..
तू ही कहती फिरती है पराई घर की तू लड़कीं है।।
तो तू किस खेत की मूली है..!

निकल जा मेरे घर से,तेरे बाप ने ब्याह कर हमारे घर तुझ जैसी बाँझ को मढ़ दिया। न जाने किस मुहर्त में तुझे मेरे लड़के ने देख शादी को हा कर दिया। हम तो फस ही गए।

हे भगवान,तू हमसे किस जन्म का बदला ले रहा,जो इस अपशुकुनी को मेरे घर मढ़ दिया। हाय मेरी तो किस्मत ही खोटी है।

बस करो माँ जी कुछ तो शर्म करो हर रोज ,हर रोज मेरे बाबू अम्मा को श्राप देती हो। क्यों निकल जाऊ इस घर से मेरे बाबू ने तेरे घर दो लाख नगद और सर सामान ,व पूरे सम्मान के साथ तुझ संग भेजा था।

भाग के ना आई हूं,जो निकल जोऊ इस घर से...!लक्ष्मी ने खीज खाते हुए कहा,रोज रोज का ड्रामा फेला रखा है। जिसको जितना दो उतना कम । खुद तो अपने बेटे को इस लायक पैदा न कि ,की वो बच्चे कर सके कमी मेरे में निकाल रही। वाह रे वाह क्या जमाना है!

धमकी मुझे मिलती है दिनोरत निकल जा घर से ..; नही जोऊंगी ब्याह के आई हूं भाग के नही। ओर हा भाग के भी आती न तो भी न निकल कर जाती ।

लक्ष्मी की सास- देखो देखो पप्पू के बाबू कैसे जबान चलती है इसकी कैंची जैसी..!चलेगी माँ जी आपने ही तो 6 सालो से इस कैंची में धार डाली है। क्योंकि जिस अधिकार से आप मुझे निकलने को कहती है वो अधिकार तो आपके पास खुद न है। खुद दूसरे घर की लड़कीं है आप ओर धमकी मुझे दे रही।
अरे , तेरा - मेरा मत कर सासू
ये घर न तेरा - न मेरा है...
हर बातों पर जलिकुटी मत सुना सासू..
तू ही कहती फिरती है पराई घर की तू लड़कीं है।।
तो तू किस खेत की मूली है..!

लक्ष्मी की सास पप्पू के बाबू से कहते हुए,अरे इसके बाप को फोन लगाओ और कहो ले जाए इसे। पूरे मोहल्ले में हमारी नाक कट रही हैं।

लक्ष्मी ने एक बार फिर आवाज उठाई...;माँ जी अगर आप मेरे बाबू की जगह किसी अच्छे अस्पताल को फोन लगाती तो सही क्या है आपको खुद पता चल जाता है।

अच्छा ,तो अब तू हमे बताएगी कि हम किसको फ़ोन करे किसको नही । तेरे बाप को बुला पूरे भरे सभा मे बेइज्जत करूंगी।

बुला लो मैं भी अब न एक सुनुगी। मैं भी सबके आगे बता दूंगी की इनका बेटा इस योग्य नही जलिकुटी मुझे सुनाती है।

अभी ये शोर शराबा कम ही हुआ था कि चार बज गए। दरवाजे पे दस्तक हुई,कॉल बेल बजी लक्ष्मी की सास दौड़ कर गयी और वही दरवाजे पे ही शुरू हो गयी।

माफ करो समधी जी आप ने तो हमे ठग लिया । खोटा सिक्का दे हमारे बेटे का जीवन लूट लिया। अरे भाभी जी शांत हुइये ये बताइए क्या बात क्या हो गई।
लक्ष्मी से कुछ गलती हुई क्या। चलिए घर की बात घर मे करे। अरे ओ समधी जी हमे घर मे ले चल शान्त करना चाहते हो ,आज तो पूरे मोहल्ले के आगे भद्रा उतरेगा।

लक्ष्मी रोते हुए कमरे से निकली और दौड़ते हुए बिन सर पे पल्लू रखे चौखट लाँघ बाबू जी से लिपट कर रोने लगी। बेटी क्या बात हो गयी , तुझसे कुछ गलती हुई क्या? बोल लक्ष्मी,क्यों भाभी जी हमे इस तरह सुना रही।

गलती आपके सिक्के में नही इनके सिक्के में है बाबू जी। मुझे बच्चे नही हो रहे तो इसमें मेरी क्या गलती है बाबू जी। इनका लड़का उस लायक ही नही जो बच्चे कर सके। ये मुझे दोष देती है । मुझे धमकी देती हैं कि निकल जा मेरे घर से ,बाँझ कहि की।

बाबू जी - लक्ष्मी चुप कर तू सब सुन रहे। सुन रहे तो बढ़िया है न बाबू जी इन्हें भी पता चले कि आपकी लक्ष्मी में नही इनके पप्पू में कमी है। किसी के बेटी पे उंगली उठाना आसान है ।

बचलन देखो मोहल्ले वालों कैसे बोल रही। यही संस्कार लेकर आई है मेरे घर। समधी जी अच्छा होगा अपना सर दर्द अपने घर रखो। ये सब दूर के दुर्गेश बाबू देख रहे थे जो अक्सर उनके घर का राशन पानी पहुँचा दिया करते थे।

पास आ लक्ष्मी की सास को समझाया देखो कमला बहन एक बार पप्पू का जांच करा लो खुदी सब साफ हो जाएगा। अच्छा दुर्गेश बाबू आप दखल न दे। इस तरह सभी लोग लक्ष्मी की तरफ हो गए लगे कहने एक बार तो पप्पू की जांच करवा ही लेना चाहिए।

पप्पू का चेक होते अब लक्ष्मी का  पलड़ा भारी हो गया। अब लक्ष्मी की सास करे तो क्या करे। हर तरफ जिसे देखो वही चर्चा करता। ये देख लक्ष्मी की सास ने प्लान बनाया की आज रात पप्पू की जगह चंदन तू जाना और काम पूरा किये बिन आना मत।

चंदन घबड़ा कर बोला अरे अम्मा वो भाभी है हमार । माँ सामान,हम से न होई।
अरे चुप तुझे मेरी नही पड़ी मोहल्ले भर में हम गन्धा रहे तेरा भाई गन्धा रहा। अम्मा ये गलत है। देख चंदन तू ई काम पूरा कर। मगर ,अगर मगर कुछ नाही।

चंदन सोचता रहा .. हे भगवान ये हमसे का अनर्थ होए वाला हव। भाभी का सोचिए। चंदन पूरे हिम्मत के साथ अंधेरे कमरे में दाखिल हो दरवाजा बंद कर लिया। और भाभी की ओर बढ़ने लगा। भाभी सो रही थी। एक डिम रोशनी के सहारे चंदन वहाँ तक पहुँचा ओर भाभी को पूरा करने के लिए अम्मा की बात याद करते हुए भाभी के नजदीक पहुँच गया।

लक्ष्मी को पप्पू ने पहले ही दूध में दवाई मिला सुला दिया था। इस तरह करते करते ,छ सात दिन यही खेल चला , एक दिन लक्ष्मी बिन दूध पिये लेट गयी । पप्पू धीरे से बाहर गया और उसी लिबास में चंदन अंदर आया। लक्ष्मी जब तक कुछ समझती तब तक रोज के तरह चंदन अपने काम पर लग गया।

लक्ष्मी झकझोरते हुए बोली ,हट जाइये नफरत है हमे आपसे। कमी आप मे है और इल्जाम हमपे लग रहे। आप चुपचाप तमाशा देख रहे। अब बोलये भी नोच लिया हो हमें तो। चंदन धीरे से बोला लक्ष्मी मुझे प्यार हो गया है तुमसे। मेरे साथ रहोगी। लक्ष्मी सकपका गयी कौन कौन हो तुम। छोड़ो मुझे। मैं चंदन लक्ष्मी का मुँह अपने हाथों से चंदन ने दबा दिया।

लक्ष्मी मम्ममम्ममम्मममम्म....छटपटाती रही , चंदन काम पूरा होते कमरे से बाहर निकल गया। लक्ष्मी बिल्कुल बदहवास पड़ी रही। ये सोचती रही कि आज वो अपने घर के भीतर सुरक्षित नही।

अब वो क्या करे। कौन था वो। जिसने मेरे साथ,लक्ष्मी रोती रही। न तो उसकी हिम्मत हुई कि वो कुछ बोले। ऐसे एक दिन अचानक आँगन में कपड़े धोते हुए लक्ष्मी को उल्टियां होना शुरू हो गयी । लक्ष्मी की सास ये देखते बहुत खुश हुई। और इस तरह उसके आँगन में किलकारियों की गूंज आने वाली थी।

इधर लक्ष्मी किसी से कह न पाती उसके साथ कुछ गलत हुआ। अब आज सभी कोई लक्ष्मी को ही गलत साबित कर बैठे कि पप्पू में नही इसी में कुछ रहा होगा।

लक्ष्मी खुश होने के बजाए बेह्द दुखी थी। उसे ये जानना था कि ये बच्चा आखिर किस का है। वो दिन आ ही गया। चंदन लक्ष्मी का सीढ़ी पर रास्ता रोकते हुए कहा ,लक्ष्मी मुझे तुम्हे चूमना है मुझे तुमसे प्यार हो गया है।

ये क्या पागलपन है चंदन । होश में तो हो तुम चंदन । भाभी हु मैं तेरी ,जानता हूं मगर ये बच्चा मेरा है। मैं इसका बाप हु चंदन।

लक्ष्मी यही सच है। वो कोई और नही मैं ही हु । क्या ? लक्ष्मी रोते हुए... हे भगवान मेरे साथ ऐसा क्यों? क्यों किया मेरे साथ?

तो क्या ऐसा होता है ..अगर बेटे में कमी हो तो उसे कोई और पूरा करे। क्यों क्योंकि समाज मे नाक न कटे ,अगर बहु सच को चिल्ला चिल्ला कहे तो , नाक कट रही। अब ,अब जो लक्ष्मी के साथ हुआ उसका क्या? उसके आत्म सम्मान के साथ जो हुआ उसका क्या?


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