सबकुछ तुम्हारे नाम का?

कितना भी नारी विकास अभियान चला लिया जाए। पर आज भी हर रोज़ किसी ना किसी रूप में नारी का शोषण जारी ही है.....और दुर्भाग्य देखिए, उम्मीद भी समझौते की, नारी से ही की जाती है...!

समाज के ऐसे ही दुर्भाग्य पूर्ण अध्याय से हम आए दिन रू-ब-रू होते हैं....और उसे देखते हुए अनसुना कर देते हैं। आज मैं नही एक लड़की सवाल कर रही,जो शायद आपके घर मे भी मौजूद है...एक बहन के रूप में,एक पत्नी के रूप में,एक बेटी के रूप में, एक माँ के रूप में।




आए दिन के शोषण ,रेपकांड ,छेड़छाड़,घरेलू हिंसा , जैसे मामले तो मीडिया ने लोगो के लिए मामूली बना दिया,मगर उस लड़कीं के भी जवाब दीजिए जिसने सब कुछ आपके नाम न्यौछावर कर दिया हो,चाहे बेटी के रूप में,या चाहें एक पत्नी के रूप में,या चाहें बहन के रूप में,या चाहें माँ के रूप में। एक स्त्री की पहचान यदि हम देखे तो कई रूप में है,जिसे मुझें डिफाइन करने की आवश्यकता नही।


अगर देखा जाए तो , एक नारी का यौन शोषण हर रोज एक चार दिवारी के भीतर होता आया है,चाहें उसका मन हो या न हो। मगर कभी किसी पुरूष प्रधान ने सोचा कि ये रोज रोज की जबर्दस्ती वाली हवस कितना सही कितना गलत?


शायद आपको बुरा लगे मेरा यह पोस्ट मगर मैं नही हर नारी एक दिन खुलकर सास लेना चाहती है। बिन उसकी मंजूरी इस कदर हावी होना सही नही।


मैं आपको कुछ छोटे मुद्दे बताती हु, नहीं ..नहीं.. क्या कर रहे है सुशील। आज व्रत है मेरा, आज छोड़ दीजिये। मैंने बहुत उम्मीद से व्रत किया है। इस बार तो माँ जी को एक लाल दे दु।भगवान की कृपादृष्टि से हमारे घर में भी शायद बच्चे की किलकारी गूंजे। आज रात नहीं...नहीं... सुशील आज नहीं..। मान जाइए मैंने बहुत मेहनत से आज निराजल उपवास रखा है। चुप पत्नी है तू मेरी मेरे बिन कुछ किये भगवान भी कुछ नही कर सकता समझी तू। सुशील मैं हाथ जोड़ती हु ए सब मैं...महिमा के आंखों से आंसू की लड़ी लग जाती हैं,उसका व्रत खंडित हो जाता हैं।


मगर शराब के नशे में सुशील को तो बस अपनी तन की आग बुझानी थी, क्योंकि महिमा उसकी पत्नी थी न।अपने मर्द होने की ताकत जो उसे दिखानी थी। "तुम औरत जात भी ना, हज़ार नखरे पाले रहती हो। पूजा पाठ से कुछ नहीं होता... पति को खुश करना सीखो। शुक्र मनाओ, मैं और मर्दों की तरह बाहर मुँह मारने नहीं जाता। तुम पत्नी हो मेरी, तुम्हारा धर्म है पति को खुश करना। इतने सालों में एक बच्चा तो दे नहीं पाई और हर रोज़ नए नए नखरे करती हो। माँ ठीक बोलती है..अब मुझे कर लेनी चाहिए दूसरी शादी ..घर की चारदीवारी में सब कुछ मिल जाता है न तुमको,.तो नखरे देखो...सुशील बड़बड़ाते हुए सो जाता हैं। इधर महिमा भगवान से हाथ जोड़ छमा याचना माँगती है।


हर रात की तरह पांच सालों से जबर्दस्ती, मारपीट और सास ननद के ताने, भाभी " नहीं.. नही.. बाँझ भाभी" है ये।अब इन भेडियों के बीच महिमा की आदत सी हो गयी थी,क्योंकि माँ बाप तो कब का गुजर गए थे महिमा के भला इन के अलावा जाती कहा। हर रात सिसकियों में और दिन तानो और मारपीट में निकलता बस इसी इंतज़ार में की एक बार उसकी कोख भर जाए।


महिमा ने एक बार विनय को हिम्मत करके डॉ को दिखाने को भी बोला,मगर बदले में उसे बेल्टों से ज़ख्म के अलावा कुछ न नसीब हुआ।महिमा जानती थी कि एक

औरत की बात मानना एक मर्द के शान के खिलाफ जो हो जाता है।


पर कहते है ना ..ऊपरवाले के घर देर है पर अंधेर नहीं...सुशील की माँ ने सुशील की दूसरी शादी कर दी। दूसरे शादी के बाद भी, उनके घर किलकारियों की गूंज अभी भी नही सुनाई दी। लेकिन प्रतिज्ञा महिमा की तरह कमजोर नही थी उसने उस दिन सबके आगे स्पष्ट लफ़्ज़ों में बोल दिया, अगर सुशील हॉस्पिटल नही चलेंगे तो मैं आप सभी पे केस कर दूँगी, घरेलू हिंसा, ओर हर रोज की जबर्दस्ती के यौन शोषण पर,पति का मतलब ये नही की अपनी जरूरतों का भूत औरतों पर जबर्दस्ती किया जाए।

पूरा परिवार सुशील को समझाने में लग गया। महिमा किचन से ही सबकुछ देखती रही। आखिर में सुशील अपनी ऐंठ में हॉस्पिटल जा कर टेस्ट करवा लिया। रिपोर्ट आते सब कुछ साफ हो गया,जो सुशील सुन कर सदमे में आ गया। क्योंकि उसने सावित्री जैसी पत्नी का त्याग कर दिया।


डॉ

"उम्मीद करता हूं, तुम्हारी पत्नी का तुम्हारे प्रति प्यार ऐसा ही बने रहे, क्योकि शायद ही कोई औरत ऐसी हो जो ऐसे पति के साथ रहना चाहे जो बाप नही बन सकता हो।"


सुशील

हड़बड़ाता हुआ कहने लगा,"ये क्या कह रहे है आप, ऐसा कैसे हो सकता है। मै पूरी तरह से फिट हूँ।मुझमें कोई कमी नही हैं। भला एक मर्द बाप कैसे नही बन सकता है।" डॉ ,जरूरी नही कि,सिर्फ नंपुसकता ही पिता ना बनने का कारण हो,पुरुषों में इनफर्टिलिटी के पीछे और भी कई बायोलॉजिकल फैक्टर्स होते है, तुम चाहो तो दूसरी जगह से राय ले सकते हो। पर तुम्हारी रिपोर्ट स्पष्ट तौर पर यही कहती है, कि तुम पिता बनने के योग्य नहीं हो।

आज पूरे परिवार ने महिमा को तो सताया ही था,मगर उसके साथ ही साथ उन्होंने प्रतिज्ञा की भी जिंदगी खराब कर दी। आखिर कब ये देश सुधरेंगा। कब एक मर्द को ये समझ आएगा कि जब एक औरत का सब कुछ आपके नाम का होता है, तो आप उसके कब होंगे? कब उसे समझेंगे? कब जबर्दस्ती करना छोड़ेंगे?


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