घुमक्कड़ लड़कीं के साथ त्रिवेणी के समस्त हनुमानजी के दर्शन

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में प्रयाग पर्यटन आकर्षणों के साथ साथ तमाम क्षेत्रों में मशहूर हैं। ब्रम्हा की बसाई नगरी प्रयाग जो कि अपने मे शांत वातावरण और समस्त धर्म अध्यतम को हर साल गंगा की गोद मे एक नए पाठशाला व अध्याय का इतिहास दर्ज करता आया है।

अब आप तो जानते ही है कि किसी भी चीज को चलाने के लिए एक सदस्य की जरूरत होती है,उसी तरह इस नगरी को चलाने के लिए एक नगर सुरक्षा से जुड़ी....कोतवाल की पोस्ट हनुमंत लला को सौप दी गयी।


नमस्कार,
मैं आकांक्षा ;आप सभी के प्यार और स्नेह ,और हनुमंत लला की कृपा।इस मेरे छ माह के यात्रा को परेशानी से लेकर सरलता सुगम बनाया। इन दौरान कठनाइयों की शुमार थी,लेकिन कहते है न....

पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥

अगर वो चाह भी ले तो संकट आते हुए भी विपदा हर जाएगी। कुछ यूं ही हुआ मेरे इस रिसर्च के पलो में।आपको बता दे कि भारत का यह राज्य आपकी तीर्थ यात्रा को सार्थक बनाने के लिए पूरी तरह सक्षम है।

साल भर यहां लाखों की संख्या में देश-विदेश के पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आगमन होता है,जो यहां के प्राचीन मंदिरों और उन्हें अध्यतम के पाठ को रहकर सीखने का अवसर भी मिलता हैं।

इस लेख के माध्यम से आज हम आपको प्रयाग के चुनिंदा विश्व प्रसिद्ध नगर कोतवाल व उनके समस्त मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां के दर्शन करने का सौभाग्य किसी-किसी को ही प्राप्त होता है।
रहस्यमय इतिहास नगर कोतवाल की मारूती नन्दन वीर हनुमान का एक ऐसा अत्यंत प्राचीन मंदिर , जो कि दुनियाभर में मशहूर व इनकी अनेकों किवदंतियों के अनुसार किसी आश्चर्य से कम नहीं।

प्रयाग में हनुमान लेटी हुई मुद्रा में त्रिवेणी की गोद मे विराजमान हैं।दुनियाभर में यह एक ऐसा इकलौता मंदिर है; जहां अंजनी पुत्र शयन मुद्रा में मौजूद हैं।संगम तट पर लेटे हनुमान का यह मंदिर अति प्राचीन है।

आपको बता दे कि यह जितनी प्राचीनता समेटे हुए है उतनी ही किवदंतियां।विद्वानों की माने तो इतिहास के पदम पुराण में दर्ज इस मंदिर का विस्तृत वर्णन
मिलता हैं।

आइए चलते है इनकी रहस्यमयी किवदंतियों के इतिहास को टटोलने.......

किंवदंती के अनुसार प्राचीन युग में एक हनुमान भक्त व्यापारी उनकी मूर्ति नाव पर रख कर यमुना के रास्ते से जा रहा था। अचानक प्रयाग में संगम तट के पास नाव डूब गई। काफी मशक्कत और खोजबीन के बाद भी न तो नाव का पता चला और ना ही मूर्ति मिली।

इसके कई वर्षों बाद जब नदी की धारा बदली तो पानी खाली हुआ,तब तट पर हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति लोगों को नजर आई।इसके बाद भक्तों ने मूर्ति को उठाकर किसी मंदिर में स्थापित करने की योजना बना ली। योजना के मुताबिक करीब 100 से ज्यादा लोगों ने मूर्ति को उठाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन वह टस से मस न हुई।
         यह प्रयास कई दिनों तक किया जा जाता रहा, लेकिन मूर्ति एक इंच भी नहीं खिसकी।ऐसे में भक्तों ने महात्माओं की शरण ली। महात्माओं ने भक्तों से कहा तुम चाहे जितना भी प्रयास कर लो मूर्ति वहां से नहीं हटा सकोगे क्योंकि भगवान वहां स्वयं शयन मुद्रा में मौजूद हैं।

इस दौरान भक्तों ने उपाय पूछा तो महात्माओं ने कहा कि मूर्ति जहां जिस मुद्रा में है वैसी ही रहने दो और वहीं मंदिर का निर्माण करा दो।भक्तों ने महात्माओं की बात मानते हुए वहीं मंदिर बनवा दिया, जो आज भी संगम के तट पर लेटे हनुमान या बड़े हनुमान के नाम से प्रसिद्ध मंदिर मौजूद है।

वही एक और किदवंती पढ़ने और सुनने को मिलती है।महान शाशक अकबर,जिसका किला आज भी मन्दिर से सटे है,आइये जानते है इस किवदंती को..अकबर ने इस मंदिर को तोड़वाने का आदेश दिया,क्योंकि किले की दीवार सीधे नही जा पा रही थी।जब लोगो ने इस मूर्ति को हटाने का भरसक प्रयास किया फिर भी बजरंगबली की मूर्ति अपने स्थान से टस से मस नहीं हुई।
अब इधर अकबर को यह समाचार सुनाने के लिए कोई जाने की हिम्मत नहीं जुटा सका, तो प्रयाग के कुछ पुरोहित उनके पास पहुंच गए।
पुरोहितों ने अकबर को सारा किस्सा सुनाते हुए अनुरोध किया कि मंदिर वहीं रहने दें तो उचित होगा। अकबर ने भी तब इस मंदिर के महत्व को जाना और किले की दीवार को टेढ़ा करने का हुक्म देते हुए मंदिर के जीर्णोद्धार का आदेश दे दिया।

प्रयाग के इस लेटे हुए हनुमान की मंदिर को लेकर दुनियाभर में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं।बड़े हनुमान यानि लेटे हुए हनुमान की मान्यताएं एक दूसरी किंवदंती के मुताबिक यह कहती है कि लंका विजय के बाद बजरंग बली भारद्वाज ऋषि का आशीर्वाद लेने प्रयाग आए थे। संगम स्नान के बाद अचानक शारीरिक थकान की अधिकता से मूर्छित होकर गिर गए। यही पर मूर्छित होकर धरती पर लेटे हनुमान को मां जानकी ने सिंदूर चढ़ाकर उनके चिरायु और सर्वशक्तिमान होने का आशीर्वाद दिया था। तब से ही आज तक लेटे हनुमान पर सिंदूर चढ़ाने की परम्परा चल रही है।
यह मां जानकी का ही आशीर्वाद है कि यहां बजरंग बली मां गंगा के समकक्ष स्थापित हैं। लेटे हनुमान मंदिर के छोटे महन्त आनन्द गिरी महाराज ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि संगम का स्नान तब तक अधूरा है जब तक बड़े हनुमान का दर्शन न कर लिया जाए।
यहां देश विदेश से करोड़ों भक्त हर साल आते हैं और शाम को होने वाली आरती में शामिल होकर स्वयं को धन्य मानते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी कोई भी ऐसी कामना नहीं जो पूरी न हो।

लेटे हनुमान मंदिर से जुड़े कई ऐसे रहस्य हैं।जिसके पीछे का कारण किसी को नहीं मालूम.....! यहां विराजमान लेटे हनुमान को शहर का कोतवाल माना जाता है।कहते हैं कि यदि किसी ने जीवन में कभी भी चोरी की है और इस मंदिर में आता है तो उसे बेचैनी होती है। इसके बाद जब तक वह मूर्ति के सामने जाकर अपने पापों का प्रायश्चित नहीं कर लेता, उसे शांति नहीं मिलती हैं।

एक अन्य रहस्य जो इस मंदिर से जुड़ा है वह यह कि बरसात में गंगा का जल कम से कम एक बार इस मंदिर तक जरूर पहुंचता है। गंगा की धारा मूर्ति के चरण तक पहुंचने के बाद धीरे-धीरे जलस्तर अपने आप गिरने लगता है।इसके बाद गंगा अपने वास्तविक धारा के साथ बहने लगती है;जबकि गंगा की धारा और मंदिर की दूरी करीब साढ़े तीन किलोमीटर की है।
       गंगा जी का मंदिर के गर्भ तक पहुंचने के पीछे का एक कारण यह भी है कि अगर किसी वर्ष पानी बजरंगी बली के चरणों तक नहीं पहुंचता है तो माना जाता है कि कोई न कोई प्राकृतिक आपदा आ सकती है।

लेटे हनुमान को बड़े हनुमान के नाम से भी इसलिए जाना जाता है क्योंकि यह शहर में बजरंग बली की सबसे बड़ी मूर्ती है, जो करीब 20 फिट से ज्यादा की है। हालांकि इस मूर्ति से भी बड़ी प्रतिमा बनाने का कई बार प्रयास हुआ लेकिन सफलता नहीं मिली।इसीलिए इसे बड़े हनुमान के नाम से भी जाना जाता है। तो ये थे पवनपुत्र हनुमानजी की रहस्यमयी किवदंतियों के इतिहास।

अब मैं आपको इसी प्रयाग नगरी के समस्त हनुमानजी के मंदिरों से वाकिफ़ कराऊंगी... जो कि इतिहास में वर्णित है तो कुछ संकटों को हरण करने के लिए।

क्या आप प्रयाग के इन प्रसिद्ध हनुमंत लला मंदिरों के बारे में जानतें है?

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