पति पत्नी और ...गलतफहमी


यार अक्सर लोगों से ये सुनता आया हूं कि पति पत्नी के बीच तीसरे की एंट्री हो गयी।मगर साला हमारी ही जिंदगी में ग्रहण लग जाएगा कभी सोचे नही थे बे। का करे,कइसे करे कुछ समझ नही आ रहा हमको यार,साला यहाँ लोग पत्नी रहते तीन तीन पत्नियां बना रहे है और एक हमको देखो दूध में धुले हुए है फिर भी बीवी शक करती है साला। हद है यार !

अबे साले मैं बकैती किये जा रहा हूँ तुम हो साले बीड़ी जलाई रहे हो। अबे ओह...अब तेरी सुलग रही तो मैं क्या करूँ।अच्छा ठीक है मान गए गलत बोल दिए अब माफ भी करदे यार। चल माफ किया और कौनो चारा भी तो नही है। 
गौरव श्रीवास्तव जो कि इलाहाबाद का रहने वाला है और उसका बचपन का तो नही मगर बचपन ही वाला समझ लीजिए उसका जिगरी कमीना दोस्त सुमित सक्सेना  जो उसके हर एक पल साथ होता है। दोनों के बीच एक भी ऐसी बात नही रहती जो छिप जाए। बात यहां जिगरी वाली है भाई। अबे तू हमको एक बात बता ये भाभी को आये अभी जुमा जुमा एक महीना ही बीता है तो साला ये तीसरा कौन आ गया बे। गौरव अबे चूतिए उसे लगता है कि हमारा अभी भी आयशा से अफेयर चल रहा। क्या सही बोल रहे हो वो तो कब का निकल ली बे ब्याह करके । वइसे हमको एक बात बताओ बे ई आयशा के बारे में भाभी को साला कौन बताईस। ह्म्म्म दोनों दोस्त गले मे हाथ फसाए ये सोचते रहते है कि साला लंका में आग लगाइस कौन? तभी गौरव के फोन की घण्टी बजी,ले आगया तेरी भाभी का फोन,तो उठा ने बे। हेल्लो हा जान ,फायर ब्रिगेड की तरह शुरू कोमल कहा हो और अभी तक क्या हो रहा,जरूर इस चुप्पी के पीछे उस चुड़ैल का साथ है। जल्दी बोलो कहा हो ,जान मैं तो सुमित के साथ हु यार।कौन सी चुड़ैल। तुम बेफिजुली शक क्यों करती हो। देखो मुझे न पुराने जमाने की महिला मत समझ लेना कि तुम बाहर अय्याशी करो मैं अबला बनी रहू। अब जल्दी निकलो। उफ़्फ़फ़ गौरव गहरी सांस लेते हुए, देखा साला कोई इज्ज़त ही नही है पति की। आज कल के लड़कियों को पति नही चमचा चाहिए।सुमित जोर जोर से हँसने लगता है। भाई तू तो गया। तेरी महीने भर शादी का ई हाल है तो जीवन भर का क्या होगा तू सोच बेटा तू तो जोरू का गुलाम से भी ज्यादा बुरा फस गया है । यार सुमित चुप कर यार सब सुन रहे है यार, देख अलग। तू धीरे नही बोल सकता। दोनों अपने अपने घर निकल पड़ते है। 

कॉल बेल बजते कोमल दरवाजे पर आगए जनाब बड़ी जल्दी आ गए। हमे तो लगा था,कि आज रात वही गुजर जाएगी। गौरव बात को सम्भालते हुए ऐसे कैसे तुम्हारे रहते मैं किसी और के साथ हो ही नही सकता। अच्छा जी तो क्या हो सकता है। गौरव कोमल को गोद मे उठा लेता है,जान तभी अंदर से मम्मी की आवाज आती है,अरे बहु कौन है आपके सुपुत्र मम्मी जी। आ गया। चलो जाओ दोनों लोग खाना खा लो। दोनों एक साथ खाना खाते है फिर बेडरूम में चले जाते है। कोमल वैसे गौरव ये आयशा रहती कहा है,गौरव टीवी छोड़ कोमल की तरफ देखने लगता है कौन? कोमल -अरे वही तुम्हारी मनहूस आयशा। तुम समझती क्यों नही आयशा की कब की शादी हो गयी ,कहा गयी मुझे क्या पता। जब देखो तब आयशा आयशा। साला शादी नही ग्रहण लगा लिया हु खुद से। तकिए को फेकते हुए बक साला। गौरव रूम से निकल जाता है बालकनी में। साला वाकई जिंदगी झंड हो गयी है। परेशान हो गया हूँ। कोमल पीछे से कंधे पे हाथ रखते हुए बोली बुरा लगा। गौरव हा लगा । तुम्हे तो फर्क ही नही पड़ना। साला बेवकूफो की तरह हल जोत रही आयशा आयशा आयशा। कोमल -बहुत बुरा लग रहा उसके लिए- उसके लिए नही खुद के लिए लग रहा है मिस कोमल। आपको ये समझ  क्यों नही आता कि आयशा कब की मेरी जिंदगी से जा चुकी है यार। कोमल ओह्ह रियली तो तुम्हे इतना बुरा क्यों लग रहा। गौरव - एक बात बोलू वो जैसी भी थी न तुम्हारे तरह बेवकूफ और शकी नही थी। अब हटो मेरे आगे से मुझे सोना है,और हां ऐसे ही पागलो की तरह आयशा आयशा करती रही न तो इसमें आयशा की जिंदगी नही हमारी जिंदगी झंड होने वाली और साला मुझे तो लगता है हो ही गयी है। हा तो क्यों कि मुझसे शादी । गलती हो गयी कोमल तब पता नही था कि तुम जो दिख रही हो वो हो ही नही। हर बात पे साला शक करती हो। दिमाग खराब हो गया है मेरा,साला जो तुमसे शादी कर लिया। अब चुप चाप सो जाओ। हा मुझे भी तुमें कोई इंटरेस्ट नही है। देखो कोमल इंटरेस्ट हो या न हो प्लीज़ हाथ जोड़ता हु तुम्हारे आगे मुझे सोने दो। गुड नाईट। 

कोमल रात भर इधर उधर पलटती रही ,सुबह होते अपने पूरे घर को ससुराल बुला ली। घर के सभी सदस्य इक्कठा हुए की आखिर ऐसी क्या बात हो गयी जो,इतनी सुबह। शोर सुनकर गौरव भी नीचे आ गया,सभी के नजरे कुछ यू गौरव की और उंगली उठा रही थी मानो गौरव क़ातिल हो। गौरव ने सबकी बाते सुनने के बाद सबके आगे ही आरामपूर्वक कोमल को समझाने लगा - देखो कोमल बस एक गलतफहमी की दीवार से सारे रिश्ते टूट कर बिखर जाते है।प्रेम,सम्मान, भावना सब ख़त्म हो जाता हैं। जिंदगी में सिर्फ़ और सिर्फ बचेगा तो वो है कड़वाहट, नफ़रत और एक दूसरे को नीचा दिखाना इसके अलावा कुछ न बचेगा। हमारी शादी को महज एक माह ही हुआ,ये वो वक़्त है जहाँ हम दोनों को एक दूसरे को समझना चाहिए, जानना चाहिए किसकी क्या पसन्द क्या न पसंद है । मगर तुम तो अलग ही आलाप बांधी हो जो कि बेफिजुली है। ये वो वक़्त जिसे हम दोनों को समझना है न कि उलझना,और ये उलझन भी ऐसी जो सिर्फ़ बेफिजुली। 

मैं नही चाहता कि एक गलतफहमी से तुम पूरे जीवन मुझे कोसो। आयशा मेरी कल थी,तुम मेरा आज हो। जिसके साथ मैं अपना पूरा जीवन सौंप चुका हूँ। फिर तुम क्यों नही समझती। क्या किसी से प्यार करना गुनाह है। क्या आयशा इतनी गलत है कि तुम उसे हर पल कोसती हो। अगर तुम मेरी जीवन मे पहले ही आ गयी होती तो क्या आयशा आती ,नही न। लेकिन यार जीवन मे जिस जिस से मिलना लिखा है वो मिलकर रहता है। मैं सिर्फ इतना ही कहूँगा की एक गलतफहमी से पूरी जिंदगी बर्बाद हो जाती है। ये तुम आज नही मगर आने वाले वक़्त में जरूर समझोगी। 
घर के सभी सदस्य को गौरव की बात समझ आयी और सही लगी। सबने कोमल को समझाया,मगर कोमल जिद्दी थी,उसे खुद के आगे कुछ सुनाई ही कहा दे रहा था। वक्त्त बीतता गया और आने वाले वक्त ने कोमल को यह बात भलीभाँति समझा भी दिया।

आज गौरव और कोमल साथ होते हुए भी साथ न थे। गौरव उठता और माँ का बनाया हुआ खाना खा कर ऑफिस चला जाता देर रात घर लौटता, कभी कभी तो पूरी रात घर न लौटता। वक्त के साथ रोज रोज की झिकझिक से परेशान गौरव ने विराम देने के लिए शराब की लत पकड़ ली और एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना भी किसी ने ना कि थी सड़क हादसे में गौरव की मौत हो गयी। पूरा घर बिखर गया। 

उस दिन कोमल को गौरव की वो हर एक बात याद आ रही थी जो बीते पलों वो उसे चीख़ चीख कर समझा रहा था। आज कोमल को समझ आ गया कि एक गलतफहमी से आयशा का नही अपितु उसका ही घर उजड़ गया। घर के रिश्ते बिखर गए। न तुम गलत थे न मैं गलत था तो बस शायद मेरा दिमाग। दिमाग खराब हो गया था मेरा जो आज....कोमल को पछतावा हो रहा था ,लेकिन अब पछतावा होने से भी कोई फायदा नही था। गौरव बहुत दूर जा चुका था। घर टूट कर बिखर गया था। नाते रिश्तेदार घर परिवार आज हर कोई कोमल पर उंगली उठा रहा था। ............... कि आज उसने क्या खोया!




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