दलगोन्ना कॉफी

दलगोन्ना कॉफी


रात १२ बज चुके थे, और आधे घरों की लाइट भी बुझ चुकी थी। मेरा भी किचन का सारा काम लगभग समेट चुका था तो मै भी भटूरे का आटा सान के ढक दी और छोले भिंगो दिए लाइट बुझा के बेड पे जैसे ही लेटी नींद ने बहुत तेजी से अपने आगोश में लेना चाहा। मै झटके से उठी और अपना मोबाइल साइड टेबल से उठा के हाथो में लेके चलाने लगी।   नींद तो मेरी मुझे सदा से बहुत प्यारी थी पर आजकल उससे भी ज्यादा प्यारी थी मेरे लिए मेरी बेटी जो इस वक़्त मेरे बगल में सो रही थी उसे सोए कुल १ घंटे हो चुके थे और मुझे थोड़े देर बाद उसको दूध पिलाना था तो में चाह के भी सो नहीं सकती थी। हाथों में मोबाइल पे उंगलियां यू चल रही थी मानो सरगम की धुन ढूंढ़ रही हो मगर ऐसा था नहीं वो तो फेसबुक पे सबके पोस्ट को लाइक और कमेंट करने में बिजी थीं। की तभी दिमाग ने कुछ हरकत की ओर उंगलियां यू चलते चलते रुक सी गई अरे ये क्या कितनी सुंदर दिख रही है इसकी पोस्ट बड़ा मस्त सा कॉफी लगाया है इसने तो वाह! और एक बार फिर उंगलियां अपनी चाल पे चलने लगी। तभी लगभग उसी तरह की एक और पोस्ट, और एक और पोस्ट, लगभग एक सी कई पोस्ट थी जो सबने अपने अपने तरीके से पोस्ट की थी मगर सबमें २ चीजें समान थी और वे थी कि सब कॉफी से सजी फोटो और बनाने वाले थे सबके पतिदेव।

मन में आया बगल में आराम फरमा रहे पतिदेव से बोलू की मेरे लिए भी कॉफी बनाइए वो भी ठीक ऐसी ही। मगर चाह कर भी कुछ कह न सकी। क्योंकि जितने के भी पतिदेव ने कॉफी बनाई थी वो सब या तो सरकारी दफ्तर वाले थे या प्राइवेट नौकरी वाले जिनकी लॉक डाउन के चलते छुट्टी थी ,लम्बी गहरी सांस के साथ उफ़्फ़फ़ और यहां मेरे पति बिचारे वर्क फ्रोम होम में बिजी रहते और यही तो थोड़ा टाइम मिलता रात का की मोबाइल वो भी चला लेते।

तो मैं मन मारे लेती रही की तभी मेरे पतिदेव उठे और किचन में जाकर लाइट ऑन करके कुछ ढूंढने लगे। देखा तो मेने पर नजरअंदाज कर के फोन वापस चलाने लगी।तभी किचन से पतिदेव की आवाज आयी अंजू शीशे वाला ग्लास कहां रखी हो। मैने भी लेटे लेटे ही बता दिया ऊपर वाले रैक में है। सामने रखा करो यार सब छुपा देती हो शिकायत के लहेज में पतिदेव का जवाब आया जिसका मेंने कोई जवाब देना मुनासिब न समझा। क्योंकि ये कोई एक दिन कि बात नहीं थी उन्हें अक्सर वहीं चीजे चाहती थी जो में सही से असा रख देती थी। भुनभुनाते हुए लहज़े में मन ही मन में सोचने लगी खुद रूहअफजा पीना है तो ग्लास कहा रखी हो क्या सब बिस्तर पर रखु,और वापस उसी रफ्तार से मै मोबाइल चलाने लगी।  किचेन से गाने की धुन आने लगी और धीरे धीरे चम्मच की भी आवाज उसमे अपना धुन मिलाने की कोशिश करती हुई मुझे सुनाई देने लगी। मन तो किया एक बार उठ के देखू की जनाब इतनी देर से रूहअफजा ही बना रहे हैं तो कॉफी भी बना ही देते कि तभी पतिदेव ट्रे में कुछ लाते दिखाई दिए और वो बोलते चले आ रहे थे कैमरा ऑन करो और फोटो लो ये देखो क्या बनाया है मैने।
.....और फ़िर मै तो देखती ही रह गई जैसे जागती आंखो से सपना देख रही और अचानक ही में उछल के बेड पे बैठ गई अरे तुम्हे कैसे पता मुझे ये पीना है और तुम बना लाए। वो हस के बोले अब रोज तुम मेरे लिए लॉक डाउन में एक से एक डिशेज बना रहीं हो तो मैंने सोचा क्यों ना में भी लॉक डाउन वाली दलगोन्ना कॉफी बनाऊ तुम्हारे लिए आखिर लॉक डाउन तो सबके लिए है ना।बस झट से फिर मैंने  भी फ़ोटो खींची और पोस्ट शेयर की फेस बुक पर दलगोन्ना कॉफी की वो भी पतिदेव को टैग कर के और पतिदेव के साथ कॉफ़ी का आनंद लेते हुए  चुस्कियां लेने लगी। वाक़ई,उन्होंने दलगोन्ना कॉफी बहुत ही अच्छी बनाई थी। 


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