रिश्ते की नई परिभाषा: मेहन्दी है रचने वाली

मेहन्दी है रचने वाली 

मेहन्दी है रचने वाली,हाथों में गहरी लाली,कहे सखिया ये कलियां ,हाथों में खिलने वाली है, तेरे मन को ,जीवन को नई खुशिया मिलने वाली है। पूरे घर मे गूंज रही थी। जितनी उत्साहित आन्या थी उससे कही ज्यादा प्रखर भाई साहब। देखों कैसे झूम झूम के नाच रहे है ,पके बाल लिए नोटो की बारिश करते ...

आज आन्या बेह्द खुश व उत्साहित थी ,उसके साथ सौ तरह के सपने घूम रहे थे,आन्या अपनी शादी को लेकर काफ़ी ज्यादा ही उत्साहित थी,हो भी क्यों ना शादी है ही ऐसी चीज। पूरा घर जगमग सितारों की टिमटिमा रहा था। ढोल के थाप, महिलाओं के सुरीली आवाज पूरे घर मे गूंज रही थी। घर कुछ यूं सजता जा रहा था मानो दुल्हन आन्या नही घर हो,हो भी क्यों न आन्या प्रखर भाई साहब की इकलौती बेटी जो ठहरी।लेडीज संगीत का धमाल तो ढोलकी ने अपनी थाप से शुरू कर दी थी मगर अब वक़्त था कुछ तड़कते भड़कते डांस का पैरों के ताल का। सबसे पहला गाना मेहन्दी है लगने वाली,जिसपे उसकी मौसेरी मौसी जमकर ठुमके लगा रही थी,फिर गाने बदलते गए। डांस का धमाल कोई सोलो में करता तो कोई ग्रुप समूह में। कोई तैयारियों के साथ झूमता तो कोई को बीच से उठा उठाकर ही नचा दिया जाता। आन्या सब देख और भी मुस्कुरा रही थी। आन्या की माँ अपनी सास को कह रही थी,कितनी खुश है हमारी बच्ची किसी को इसकी नजर न लगे। कल ही उसकी शादी है,कल तक जो छोटी सी बदमाश की पुड़िया थी आज वो इतनी बड़ी हो गयी है कि कभी सोची नही थी माँ बोलते बोलते उनका गला भर आया।कल तक दादी की शरारती पुड़िया,पापा की परी, भाई की झगड़ालू बहन,और मेरी लाडो। कैसा लगेगा इसके बिन कल से ये आँगन ये घर। सासुमां ने जवाब देते हुए कहा- ये तो सदियों की रीत है। अजीब ही होती है ये घड़ी बहू।यही तो रीति है मिलन और जुदाई का।जिस बच्ची को सींच कर माँ बाप बड़ा करते है,एक दिन वो किसी और क आँगन को छाव प्रदान करती है। 

ढोलक की थाप,दूसरे तरफ़ घर की लड़किया छम छम चूड़ियां घुँघरू पहन थिरक रही है। सब अपनी अपनी खुशी बया कर रही है। कोई आन्या को छेड़ रहा तो कोई कहता पता नही बिचारे जीजू का क्या हाल होगा। सभी जमकर ठुमके लगा रहे थे। आन्या हरे रंग की साड़ी में बेह्द खूबसूरत लग रही थी। उसकी सहेली पूनम दिल्ली से उसके लिए हल्दी व मेहन्दी का सेट लाई थी,जिसमे फूलों से तैयार हार और कानो और बेदी बनी थी,उसे पहन आन्या और भी जंच रही थी बिल्कुल रानी जैसे। आन्या भी मेहन्दी रोक रोक कर बीच बीच मे झूम ले रही थी। उसे सभी कुछ बहुत ज्यादा उत्साहित कर रहा था। बूंदी की लड्डू तो उसे इतने पसंद थे कि वो बार बार किसी न किसी को कहकर प्रेरित करती की मुझे खिला दो। मेहन्दी वाले भइया लगभग हाथों के मेहन्दी पूरी कर चुके थे ,अब बारी थी पैर की। एक तरफ़ लम्बी कतार लगी थी मेहन्दी लगवाने की । पूरा घर झूम रहा था। घर के पीछे  बैठा हलवाई  अपनी महक से सभी के पेट को याद दिलाता की अभी खाना भी तो है। आज छोले भटूरे बन रहे थे। आन्या बार बार माँ को ढूंढ रही थी कि वो एक वार दिख जाए मगर भीड़ में कहा दिखने वाली थी वो। अब उसके पैरों में मेहन्दी लग रहे थे। घर के लगभग सदस्य मेहन्दी लगा झूम रहे थे। कभी आन्या के मामा आन्या की नजर उतारते तो कभी उसके फूफा। पूरा ननिहाल ददिहाल एक हो झूम रहा था। खाना पीना के साथ,लेडीज संगीत पूरा हुआ। लगभग बाहरी अपने अपने घर लौट गए। घर के सभी सदस्य अपने अपने कपड़े सूटकेस सजा रहे थे। मौसिया बुआ लोग मिलकर कोइच्छा भर रहे थे। बच्चे अपने अपने सूटकेस सेट कर रहे थे। क्योंकि सुबह गाड़ी आने का समय 9बजे था। क्योंकि 10बजे तक गेस्ट हाउस में इंट्री थी। ये रिमाइंडर आन्या का भाई रितिप्रेष लगा रहा था। कभी कोई हल्ला करता तो कभी कोई ढोल पिटता । कोई आरती की थाल सजा रहा था,तो कोई जूते के डिब्बे को जिसमे जीजा जी से नेग लेना था। कोई कहता मैं अच्छे जगह छिपा दूंगा। लगभग सभी तैयारियां हो ही चुकी थी। आन्या की माँ आन्या का बक्सा सजा रही थी,सब ठीक से रख दी हु न मैं। आन्या की बुआ चिढ़ाते हुए अंदाज में बोली,अरे भाभी कुछ नही भी गया तो वहां आन्या झगड़ेगी थोड़ी।इस बात को सुन सब जोर से हँसने लगते है। 

पिता की चिंता प्रखर भाईसाहब के चेहरे पर साफ साफ दिख रही थी,अरे आन्या कहा है,आन्या जी पापा बेटी तू सो जा कल वैसे भी तुझे जगना है। वैसे भी रात के तीन बजे रहे,सो जा बेटी। आन्या पापा सब मेरी वजह से ही तो जग रहे है और मैं ही सो जाऊ। क्योंकि सब यही रहेंगे मगर तू दूसरे के घर जा रही समझ और थोड़ा सा ले,अब एक सवाल नही ठीक है, ओके पापा।   
आन्या चुपचाप उठती है और अपने कमरे में चली जाती है और सामान किनारे लगा लेट जाती है। सोचने लगती है कल से मैं कुसी और कि घर की हो जाऊंगी। हाय्यय परसो तो ही मेरी फर्स्ट नाईट होगी। फिर अगले महीने हनीमून। बहुत डर लग रहा अभी से ही पता नही क्या होगा कैसा होगा। विपन भी पता नही जग रहे या सो रहे। कॉल करू क्या,मगर कैसे करूँ किसी ने सुन लिया तो मजाक भी बना ही देगा,की ये मैडम इतना भी इंतेज़ार नही कर पा रही। आन्या इन्ही उधड़ बुन में कब सो गई उसे पता ही नही चला,सुबह के आठ बजे रहे थे,घर मे शोर के अलावा कुछ न था। अरे गाड़ी आई कि नही,भाई पापा को समझ रहा था,की परेशान है। पापा अभी तो घड़ी में 8 ही बजे है आप ने उन्हें 9 बजे का समय दिया है। आपको क्या हो गया है सब भूल जा रहे। देखा दीदी का साइड इफेक्ट की जाते जाते आपको बादाम खिलवाकर ही मानेगी। रितिप्रेष आन्या एक झोंक लड़ ही बैठते है। बुआ नीचे से टोकती है अरे बच्ची संभल कर देख गिर मत जाना। 

आन्या रितिप्रेष को धमकी देते हुए कहती है तुझे तो मैं देख लूँगी। शादी के बाद भी। सब हँसने लगे। आन्या तैयार होने लगती है। उधर पंडित जी भी समय पर आ जाते है। एक बार और हल्दी छुवान रश्म कराते है। इन्ही बीच कब 9 बज जाता है पता ही नही लगता दरवाजे पे सभी गाड़िया आ कर लग जाती है। सभी लोग लगभग तैयार लोग अपना अपना सूटकेस ले कर बैठ जाते है। कुछ महिलाएं भी बैठ जाती है। घर के लगभग सदस्य गेस्ट हाउस पहुँच जाते है। रीतिरिवाजों से बंधी एक और कड़ी उतरा चढ़ा जिसमे सभी लड़कियों को मजा आता है। उतरा चढ़ा ये सुन। किसी को बड़ा खाने का मन करता है तो किसी को उतरा चढ़ा कराने का। समय कैसे बीत रहा था किसी को समझ भी नही आता है। अब तो वक़्त था उनके आने का जिसके नाम की मेहन्दी लगी थी। समय के साथ ही बारात भी द्वारचार पर लग गयी। गांजे बाजे धूम धाम से बारात दरवाजे पर लगती है सभी बहुत खुश रहते है। द्वारचार शुरू होता है। रितिप्रेष अपने कंधों पर उठाकर लाता है विपन को स्टेज पर। कुछ ही देर में दुल्हन की एंट्री होती है। उधर दुल्हन आती रहती है,इधर विपन के साथी यानी दोस्त यार जमकर शराब पीने से डीजे पे डांस कर रही एक लड़की के साथ बद्तमीजी करने लगते है ये देख रितिप्रेष उनलोगों को समझाता रहता है मगर वो लोग नही मानते। ये सब विपन दूर से ही देख रहा था,उसने सबके रोकने पर भी जिद्द करके अपने मित्रों को समझाने स्टेज से उतर डीजे पर दोस्तो को समझाने लगता है,उसी बीच दोस्तो से विपन की हाथापाई हो जाती है और शराब के लत में गलती से बंदूक विपन को लग जाती है। गोली चलते ही पूरा खुशनुमा माहौल शांत हो जाता है। पास खड़ा रितिप्रेष और विपिन का भाई प्रिंस उसे गोद मे उठा गाडी की और भागते है। सभी लोग भगदड़ की तरह इधर उधर होने लगते है। परिवार वाले विपिन के आधे हॉस्पिटल निकल जाते है उधर आन्या जो पोज देती हुई स्टेज की ओर बढ़ रही थी वो ये सुनते गश्त खा जमीन पर ही गिर जाती है। सभी आन्या को सम्भालते है । आन्या होश में आती और फिर बेहोश हो जाती। उधर खुशी के माहौल में मातम का साया मंडराने लगता हैं। सभी परेशान हो जाते है। मगर उधर विपिन गाड़ी में ही दम तोड़ देता है। यह देख सभी दुखी हो जाते है रितिप्रेष जोर जोर से रोने लगता है। लड़की का परिवार टूट कर बिखर जाता है,भरा हुआ ग्राउंड कुछ मिनटो में खाली हो जाता है।
         उधर लड़के के घर वाले अलग रोना पीटना मचा देते है। प्रखर भाई साहब अपनी मां की गोद मे जोर जोर से दहाड़े मार रो रहे थे। उन्हें समझ नही आ रहा था कि ये क्या होगया उनके ही बेटी के साथ। ये सब विपिन के दादा जी खुद को सम्भालते हुए  प्रखर भाई साहब के कंधे पर हाथ रख बोलते है बेटा संम्भाल खुद को अगर तूने कुछ खोया है तो हमने भी अपने घर का चिराग खोया है। मगर ये वक्त है हिम्मत का न कि रोने का। देख उस मासूम सी बच्ची को उससे तो पता भी न की बात पूरी हुयी क्या। कैसे न रोउ हमारी बेटी का क्या होगा। कितने खुश थे हम सब। ये क्या हो गया भगवान। हमारी ही बेटी के साथ। माँग भरने से पहले ही उजड़ गया। किसकी नजर लग गयी मेरी बच्ची को। उन्होंने डाँटते हुए अल्फ़ाज़ में बोले ये मेरा निर्णय है आखिरी, आन्या हमारे घर की बहू थी ,है और रहेगी। सभी सन्न रह जाते है कि ये क्या बोल रहे। लड़के की माँ बाबूजी आप ठीक है। आप क्या बोले जा रहे। आपका विपिन जो कुछ देर पहले गांजे बाजे के साथ आया था अब वो उसी चौखट पर मृत पड़ा है। देखो बच्ची अगर ये घड़ी हमारे दुख की है तो इस परिवार की भी दुख की घड़ी है। देखो उस मासूम को क्या उसको पता था कि कुछ ऐसा हो जाएगा। मगर ये हमारा निर्णय और फैसला है कि हम आन्या की शादी अपने छोटे पोते प्रिंस से करा रहे यही हमारा फैसला है। जब तक ये नही माना जाएगा तब तक मैं एक अन्न जल ग्रहण नही करूँगा। मगर बाबू जी ये आप क्या बोल रहे आपका दिमाग तो नही खराब होगया। प्रखर भाई साहब उनके पैर को पकड़ के बोलते है नही बाबू जी अब उस चौखट जा क्या करेगी जिसके नाम की मेहन्दी लगी आज वही नही तो। सब फुसफुसाने लगे कि ये क्या बोल रहे। नही ये अनर्थ है । 

प्रिंस दादा जी ये आप क्या बोले जा रहे। दादा जी उसे नजदीक बुलाते है और समझाते है,प्रिंस नही दादा ये गलत गया। आप गलत कर रहे। दादा जी ऊंची आवाज में बोलते है अब तुम इतने बड़े हो गए हो कि तुम सब मिलकर मुझे समझोगे की क्या गलत है क्या सही। ये हमारा फैसला है। विपिन के पिता जी ये क्या पागलपन है। मुड़कर देखिए चौखट पर आपके पोते की अर्थी रखी है और आप है कि ब्याह रचाने में जुटे है। चुप। सब चुप। आज तुम लड़के के पिता हो इसलिए इस तरह की बात कर रहे,जिसके  दरवाजे बारात आती है उसके घर का कभी सोचे हो। नही ना। इधर देखो इस परिवार को अपने दर्द को वो तुमसे बया भी नही कर सकते।उस लड़की को देखो उसमे उसकी क्या गलती। दादा अपने आगे अभी कुछ सुनने को राजी नही थे,बस प्रिंस का हाथ पकड़ उसे आन्या के पास ले जाते है और आन्या के बगल खड़ी लड़की के हाथ मे जयमाला को लेकर प्रिंस को थमाते है बोलेते है तुझे मेरी कसम मेरे बच्चे। प्रिंस काँपते हाथों से बूत आन्या के गले मे जयमाला डाल देता है सब हतप्रभ हो देखते रह जाते है। फिर आन्या को जयमाला थमाते है बोलते है तुमको कसम है अपने दादा की आज से तुम बहु ही नही बेटी भी हो हमारी क्या अपने दादा की बात नही मानोगी। आन्या रोते रोते जयमाला प्रिंस को पहना देती है। दादा जी वही से पंडित को आवाज देते है। पंडित हमारे पास समय कम है तुम बस अग्नि के सात फेरे दिलाओ,हमे आगे भी कुछ पूरा करने जाना है। पंडित जी हकबका कर अग्नि के सात फेरे लगवाने के लिए भगवान को आमंत्रित कर फेरे लगवाते है। अग्नि के साक्षी हो प्रिंस आन्या के गले मे मंगलसूत्र और भगवान का सिंदूर से ही उसकी माँग भरता है और दादा जी सबको बोलते गया सब आशीर्वाद दो और बहू को गाड़ी में बैठाओ। इस तरह आन्या की विदाई हो जाती है। किसी ने कभी ऐसी शादी नही देखी थी जहां एक और मातम हो गया हो उसमे कोई लड़की के बारे में सोच ले,लगभग लोग तो यही कहते फिरते गया कि लड़की ही गड़बड़ थी शादी के पहले ही लड़के को खा गई। कभी आप लोगो ने इतनी बड़ी होनी होने के बाद कोई दिलेल दिखाए। जिस परिवार का लड़का चला गया हो उस परिवार के बुजुर्ग की हिम्मत वाक़ई काबिलेतारीफ है। जहाँ कुछ घण्टे पहले ही बाजे गांजे के साथ बारात आई हो वहाँ कुछ ऐसा हो जाये । आज आन्या दादा की सबसे अच्छी बहू ही नही बेटी भी थी। जिसका ख़्याल हर कोई रखता। प्रिंस भी आन्या का उतना ही ख्याल रखता लेकिन आज भी परिवार को विपिन की कमी खलती। उसकी यादे परिवार को झकझोर देती। चाहे वो लड़के का घर हो या लड़की का किसी ने ऐसा कभी सपने में भी नही सोचा था,जो उस रात हुआ। 

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