बुरखे वाली औरत

बुरखे वाली औरत




एक लड़की खुद की जान बचाए बेतहासा दौड़ रही थी। भागते भागते वो मुझसे आ टकराई (आकाश),इससे पहले आकाश कुछ बोलता समझता वो खुद को सम्भालते हुए खड़ी हुई और बोली,देख कर नही चल सकता। अंधा है क्या?आकाश ने गुस्से में बोला-ओए दिख तो तुझे नही रहा। उसकी पूरी बात बिन सुने वो वहाँ से भागते हुए जाने लगी । आकाश ने जोर से चिल्ला कर टोका अरे ओह ...कलयुगी मिस मिल्खा सिंह की बहन ये दस मीटर जा बुरखा पहन कौन दौड़ता है भला। तभी आकाश को पीछे से धकेलते हुए छ सात लड़के निकले और उसी के ओर भागते हुए जाने लगे। 
 
ये देख आकाश को कुछ सनका हुआ,कहि वो लड़की मुसीबत में तो नही । नही ,मुझे उसे बड़बड़ाने के बजाय बचाना चाहिए था। आकाश भी उन्ही लोग के पीछे भागता हुआ नदी के किनारे पहुँच गया। वहाँ उसने देखा वो सब नदी की ओर इशारा कर रहे थे। नदी का पानी उथलपुथल हो रहा था। दो पल को जी धक से कर गया। कौन थी वो?किसके घर की लड़की थी?न जाने क्यों ये सब उसके पीछे पड़े थे?कुछ ही समय बाद वो लड़के वहाँ से चले गए। आकाश हिम्मत कर भागते हुए नदी के किनारे पहुँचा। दूर दूर तक वो ना दिख रही थी। शांत हो वही गिर गया,नही मुझे उसे बचा लेना चाहिए था। आकाश बार बार खुद को कचोट रहा था,की क्यों नही मैं उसे बचाया। शाम ढल रहा था,सूरज की लालिमा खुद को नदी में समेट रही थी,और जैसे कह रही हो कल फिर मिलूंगी। तभी उसे पीछे से किसी की आवाज आई अरे ओह बाबू का करत हौआ नदी के किनारे जा घर लौट जा ,अब ईहा ज्यादा देर जिन रुका उठा और जा। आकाश ने पलट कर देखा तो एक भेड़ चरवाह अपनी भेड़ो को लेकर घरों की तरफ जा रहा था। आकाश को उठा नही जा रहा था। वो बार बार उसी बुरखे वाली लड़की को सोच रहा था,जो थोड़ी देर पहले उससे टकराई। 

तभी उसे पेड़ पर किसी की आहट महसूस हुई,नदी के झींगुर अपनी आवाज में मस्त हो रहे थे। सूर्य की किरण भी अब काली रात में तब्दील हो चुका था। उसने मुड़ कर पेड़ की और देखा,कुछ काले साए जैसा। आकाश का दिमाग कोहूला उठा,वो बुरखे वाली। उसने पलट कर फिर ऊपर देखा क्या ये ये भूत नही नही ऐसा नही हो सकता। 

उसने आकाश को आवाज लगाते हुए कहा-क्या कर रहे हो यहां, अभी तक । जाओ लौट जाओ अपने घर। आकाश हिम्मत करते हुए बोला तुम तुम वहाँ क्या कर रही हो। उसने ठहाके मारते हुए कहा। ये मेरा घर है वही बैठी हु। तुम घर जाओ। 
आकाश ने बिन उसकी पूरी बातों को सुने तपाक से बोला ,वहाँ क्यों चढ़ी हो। पता तुम्हे जिंदा देख मैं अब बहुत खुश हूं। कौन थे वो लड़के ,क्यों तुम्हारे पीछे भाग रहे थे। तुम बुरखा पहन के इतनी तेज कैसे दौड़ लेती हो। अब नीचे भी आ जाओ । वो सब गए। वैसे तुम यहाँ हो तो उस नदी में कौन कूदा। तभी उसके पीछे से नदी की ओर से आवाज आई - मैं! आकाश तुंरत मुड़कर देखा तो वो वही लड़की थी जो कुछ देर पहले पेड़ पर थी। आकाश हकलाते हुए तुम तो अभी पेड़ पर थी अब नदी में कैसे। तुम्हे कितना स्टंट आता है। इतना मुझे लड़का हो के भी नही आता। वो हस्ते हुए बोली तुम शरीफ हो ,मुझे पसंद हो। वो नदी से निकलते वक़्त लंबी होने लगीं। ये देख आकाश थरथराने लगा,तुम तुम..!क्या तुम! वो लड़की आकाश के नजदीक आ गयी और अपने बुरखे को ज्यो उठाई आकाश की चीख़ निकल गयी। औऱ फिर वो अगली दिन सुबह हॉस्पिटल में आँखे खोला...
उसने देखा चारो तरफ लोग ,उसके हाथ सीकड़ से बंधे हुए थे। एक बुजुर्ग व्यक्ति उसके नजदीक बैठा हुआ था,जब उसकी पूरी आँखे खुली तो उसने उस चरवाहे को पहचान लिया। आप तो वही हो ना जो कल ,बुजुर्ग हा मैं वही हु। तुम बाबू अब ठीक हो,हमने आपको कहा आवाज लगा अब रात हो गयी है निकलिए तो आप निकले क्यों नही । तब आकाश ने उस बुजुर्ग से पूरा शुरू से लेकर आखिरी तक का वृत्तांत कह सुनाया। जोर जोर से रोने लगा ये कह कर की वो बुरखे में ठीक थी,उसका जला हुआ चेहरा। मुझे मेरे घर जाना है बाबा। पता नही कौन गया वो क्यों मुझे। 

बुजुर्ग बाबा मुस्कुरा के बोले वो अनुराधा है,जिसको गुजरे आठ साल हो गए। बड़े बाबू यानी शहर के बाबू से उसका चक्कर चल गया,और फिर जब इस गांव वालों को पता लगा तो सबने उसे नदी किनारे पेड़ से बांध उसके ऊपर पेट्रोल छिड़क जला दिया। तब से वह गांव में हर आने वाले को खुद को बचाने की कोशिश करती है। वो बाबू जो थे उनका क्या हुआ,उन्हें भी लोग उसी नदी में मारकर फेक दिए। ओह्ह शीट, वो जो कल लड़के उसके पीछे भाग रहे थे वो। वो अक्सर लोगो को भगाते हुए उस नदी तक लाती है जिसका काल रहा वो वही खत्म हो जाता है। आकाश रोने लगता है,बाबा मुझे बच्चा लो। मैंने कुछ भी नही किया। कुछ भी नही।फिर बेहोश!
अक्सर हम भूतों पर भरोसा नही करते मगर ये भी होते है,अक्सर हमरी दादी नानी हमे ताल-बैताल की कहानियों के किस्से से रूबरू कराती मगर अंत मे यह कह कर सुला देती की ये सब बस एक कहानी है। 

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट