हा कुछ बता दू मैं तुम्हे अपने बारे में





" मैं एक खुली किताब हूँ

तुम जितना मुझे पढ़ोगे

पन्नों की तरह तुम मुझमे सिमटते जाओगे 

हा मैं एक खुली किताब हूँ।"


नमस्कार मित्रों, कैसे है आप ! 
बस सोची बहुत दिन हो गया बातचीत हुए,किसी ने पूछा कौन है आप। क्या करती है। स्वाभाविक है लड़की हु तो लोग तो पूछेंगे ही। तो थोड़ा बतला दू मैं आपको आज अपने बारे में!

मेरे नाम से तो खूब भलीभांति परिचित है आप।अब मैं कहा कि रहने वाली हु तो मैं उस नगरी की हूं जहाँ स्वछंद रूप से तीन नदियों का अनोखा संगम हो रहा है। पूरा शहर शांत वातावरण में अपनी कहानियों को समेटे रहता है,जो जिज्ञासु रहा वो टटोल लिया उसे जो नही रहा वो ना जान सका उसे। जहाँ एक शहर में ही दूसरे शहर को बसा लेने की कला हो। जहाँ आध्यात्मिक, बौद्धिक,शिक्षा का अहसास हो। बोली भले खड़ी हो जुबा सदैव अबे तबै में जुटी हो लेकिन प्यार स्नेह सदैव बरकरार रहता है, वो है मेरा शहर प्रयाग। 
जहां की मैं निवासी हूँ। जन्म 1993 में हुआ और शिक्षा-दीक्षा भी यही से,बचपन से थोड़ी नटखट थी तो घर के लोग बाल भवन छोड़ आया करते,बहुत कुछ सीखा मैंने वहाँ भी। 

हर कला में माहिर तो नही मगर माहिर होने का प्रयत्न सदैव करती रहती हूँ।इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म की पढ़ाई की हूँ, लिखना और कुछ जानने की जिज्ञासा सदैव रहती है। मैंने अपने जिंदगी के पन्नों को कई बार पलटते हुए करीब से देखा है,लेकिन जिंदगी हर बार मौत को मिला कहती अभी तो बहुत कुछ इस जिंदगी को देखना और लिखना है। 

लिखना मुझे बहुत पसंद है,मगर कोई कहे अभी लिखो तो शायद मैं नही लिख सकती जब तक मूड ना हो। बचपन से ही मूडी रही हूं, शायद वही बिचारा अभी तक नही बिछड़ा। जीवन के संघर्ष में जमकर हिस्सा लेती हूँ, अच्छा लगता है उसे करीब से क्योंकि वो मुझे जितनी कठिनाई देती है शायद मैं उससे एक क़दम आगे ही कुछ सीखती हूँ। 

2018में भगवान पर दिमाग चला गया फिर क्या निकल पड़ी ,घुम्मकड़ बन। बनारस के तीर्थ यात्रा पे बहुत कुछ सिखनो को मिला।अब उसे समेट कर आप तक पहुचाने के लिए रात दिन अपनी कलम को पन्नों पर सरपट दौड़ा रही हूँ। हाल ही में एक किताब भी लिखी हु जो निकलने वाली है,आप तक जरूर पहुँचाऊंगी। 

उद्देश्य ये नही की कौन मुझे पढ़ना पसंद करेगा। उद्देश्य ये है कि कुछ तो लिख दू जो इस पहचान के नाम रहेगा। वरना जिंदगियों का क्या है जनाब, वो तो आती जाती रहेगी। मगर शायद ही हम आपको पहचान पाए और आप हमें। बस कुछ चंद लाइन के साथ आपसे कुछ कहना चाहती हूँ....

"किताब हूँ मैं सरल सहज भाषा मे उम्मीद करती हूं आपको मैं और मेरी लेखनी सदैव पसन्द आएगी। "

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