सस्पेंस लव पार्ट -3

Part 3. सस्पेंस लव


अभी तक आप सुन रहे थे मानवी और शिवाए की सस्पेंस लव स्टोरी,मानवी की तबियत ठीक न होने पे शिवाए उसे घर छोड़ने जाता है, आते वक्त शिवाए मुस्कुराता है और मानवी का हाथ पकड़ लेता है।मानवी जब उसे ये कहती है कि कोई देख लेगा तो वो हाथ को चूम कर गाड़ी आगे बढ़ा लेता है। मानवी उसके प्यार के अहसास को महसूस करने लगती है, कुछ देर वही खड़े होकर शिवाए को तब तक देखती है जब तक शिवाए उसकी नजरों से ओझिल नही हो गया। अब आगें.....!

आज मानवी बहुत खुश थी,उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि पूरी दुनिया की खुशी उसे मिलने वाली है। मानवी थोड़ा आराम करने के लिए लेटी और जमकर सो गयी। जब उसकी नीद खुली तो उसने सबसे पहले अपना फोन उठाया। देखा शिवाए के 12 कॉल मिस कॉल में पड़ी है,उसने तुरंत कॉल बैक किया,शिवाए ने दूसरी घण्टी पे उठा लिया और भड़कते अंदाज में बोला- कहा थी फोन क्यों नही रिसीव की।
मानवी- वो मैं सो गई थी।
शिवाए- इस तरह कोई सोता है क्या। अगर अब की कॉल नही उठाती तो तुम्हारे घर आ जाता।
मानवी छेड़ते हुए- ओह्ह...तो ये बात। अब आ जाओ।
शिवाए- मानवी । अच्छा अब तुम्हारी तबियत कैसी है।
मानवी- क्या फ़र्क पड़ता है मैं ठीक रहू न रहू। वैसे भी कुछ लोग की अकड़ कभी कम नही होगी।
शिवाए- मानवी अब मैंने क्या किया। ख़ैर फ़र्क तो पड़ता है और बहुत ज्यादा पड़ता है।
मानवी- ओह्ह रियली!
शिवाए अच्छा मानवी उठो तुमभी कुछ खा लो और मैं भी। अभी केस को रीड करना है। चलो रखता हूँ।
मानवी अरे सुनो तो। तब तक फोन कट जाता है। मानवी के दिमाग मे बस एक बात घूम रही होती है कि शिवाए को फर्क पड़ता हैं। उसे बिना सोचे समझे दुबारा से कॉल करती है।
शिवाए- हेल्लो हा मानवी बोलो।
मानवी- वो कुछ पूछना है।
शिवाए- पूछो।
मानवी- खाना बन गया।
शिवाए- हाहाहा, मानवी तुम्हे जो पूछना था वो पूछो।ये उल्टे सीधे सवाल क्यों कर रही।
मानवी- शिवाए तुम्हे फर्क क्यों पड़ता है। मतलब क्या तुम्हें।
शिवाए- ने बात को काटते हुए कहा- अरे वाह ऐसे कैसे फर्क नही पड़ेगा। अभी पूरा इन्वेस्टिगेशन बाकी है भाई और ये केस फाइनली बन्द जो करना है। तो ऐसे में ख्याल तो रखना होगा। वरना इतनी बक बक कौन करेगा मेरे साथ।
मानवी- ओह्ह,तो ये बात थी। मुझे लगा था कि...!खूसट मानवी ने बुदबुदाते हुए कहा।
शिवाए-  मानवी जी आपको क्या लगा।
मानवी- कुछ नहीं । बाद में बात करती हूं । बाए।
शिवाए- बाए मानवी।

मानवी शिवाए दोनों ही एक दूसरे को याद कर मुस्कुरा रहे थे। इधर मानवी खाना बनाने में जुट गयी उधर शिवाए। मानवी ने खाना बना कर थोड़ी देर बात घर पे की। फिर अपने केस को लेकर बैठ गयी। उसका दिमाग घड़ी पे गया । घड़ी में 12 बज रहा था,मानवी ने फोन उठाया और शिवाए को मैसेज ड्राप कर दिया। हाय।
बीस मिनट बाद शिवाए का मैसेज आया ,हाय मानवी। कैसी हो।
मानवी- अच्छी हूँ।
शिवाए- खाना हो गया।
मानवी- हा।तुम्हारा।
शिवाए- मेरा भी।
करीब आधे घंटे बाद फिर शिवाए ने मैसेज किया । सो गयीं।
बिना रुके मानवी ने झट से रिप्लाई किया-  नही तो !
शिवाए- हम्म ,केस का कुछ सोच रही हो।
मानवी- नही शिवाए मैं तो बस ये सोच रही कि अब कुछ दिन में ही तुम चले जाओगे न। मुझे अकेले छोड़कर।
शिवाए- मानवी जी मुझे लगता है आपका भी मन लग नही रहा।
मानवी- शिवाए ऐसा नही है। तुम नही समझोगे खूसट।
शिवाए - आप क्या लिखी थी डेल क्यों कर दी।
मानवी- मेरी मर्जी।मेरा फोन ।
शिवाए - ने तुरत टाइप किया हा हा क्यों नही ...सब कुछ आपका ही तो है जो मर्जी कीजिए । दो मिनट रुकते हुए अब सही कहा ना।

मानवी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी। दिन बीतता गया दोनों केस को लगभग सॉल्व करते जा रहे थे। फाइलो का बोझ कम हो रहा था। उधर शिवाए मानवी की नजदीकियां दिन पर दिन बढ़ती रहती। कभी किसी बात पर छुटपुट रूठना मनाना तो कभी इतना गुस्सा हो जाना कि बस दस मिनट में ही एक दूसरे को मना लेना। ऑफिस के लोग भी मानवी को छेड़ा करते थे, मानवी की मुस्कान बदल रही है,तो मानवी इठला के बोलती हा जल्द ही ब्याह होने वाला है भाई। एक बार तो शिवाए के सामने ही इस तरह की बात शुरू हो गयी,लोगो ने यहाँ तक ये भी कह दिया कि एक साथ दो केस सॉल्व हो रहा। मानवी बेवकूफी भरे जवाब बिन सोचे समझे दे देती। शिवाए को ये सब बिल्कुल न अच्छा लगता कि कोई मानवी का मजाक बनाए। शिवाए अच्छे से जानता था कि मानवी बहुत साफ दिल की है। उसने रोज के चैट के दौरान बोला - मानवी हम कहीं घूमने चले कल।
मानवी - ये पढ़ते मुस्कुरा दी। मगर चैट पे लिखी..... क्यों?? बहुत ज्यादा ही लत नही लग रही मानवी सक्सेना की आपको। हर रोज घूमना।
शिवाए - ठीक है कोई नही।
मानवी- अरे मैं तो इस छोरे को छेड़ रही थी बस। चलो चलते है । कितने बजे चलना है।
शिवाए- नखराते हुए अंदाज में, नही अब मूड नही।
मानवी- ने गुस्से वाला स्माइली बना के भेज दिया, नीचे लिखा लड़के हो लड़के की तरह रहो, ये नख़रे वखरे न लड़कियों पे सूट करते है,तुम जैसे लड़को को बस डोले सोले ही दिखाने का काम है। अब मान जाओ और बताओ कहा चल रहे हम।
शिवाए- मानवी के इस बचकाने वाले मैसेज को पढ़ते हुए हँसी आ गयी। लिखा मानवी मेरी बेबी तुम कब बड़ी होगी।
मानवी - कल।
शिवाए- चौक कर पूछा कल क्या मतलब नही समझा।
मानवी- शिवाए हर बात का मतलब कहा से पैदा करू। तुम्हारी न हर चीज में घुसकर जाँच पड़ताल करने की आदत हो गयी है।
शिवाए- हँसते हुए स्माइली बना के भेज दिया।
मानवी - अब क्यों हँस रहे।
शिवाए- अब तुम सो जाओ मानवी।
मानवी- जैसी आपकी आज्ञा आका। गुड नाईट शिवाए।

काफ़ी देर के बाद मानवी के अंधेरे कमरों में नोटिफिकेशन की छोटी सी लाइट ने रोशनी कर दी। मानवी नीद भरी आँखों से मोबाइल का लॉक स्क्रीन खोलते हुए ज्यो देखी उसकी पूरी आंखे खुल गयी नीद ये क्या होता है। उसकी मुस्कान खुशी कुछ यूं झलक रही थी मानो कोई पास होता तो लिपट ही जाती। मैसेज बॉक्स में शिवाए का मैसेज था जिसपे लिखा था- आई लव यू मानवी। सॉरी मगर तुम मुझे कुछ दिनों से बहुत अच्छी लगने लगी हो। मगर ...चलो बाकी सब कल मिलके कहूँगा। गुड नाईट,स्वीट ड्रीम।

मानवी - ने झटपट लिखा आई लव यू इतनी हिम्मत की मानवी सक्सेना को बोल दिया।
उधर से कोई रिप्लाई नही आया शायद शिवाए सो चुका था। मानवी ने फिर टाइप किया,आई लव यू टू माय लव। उम्मा ममममम...!गुड नाईट ।मानवी की नीद तो रात को ही उड़ गई थी बस उसे इंतेज़ार था तो सिर्फ सुबह का। सुबह की चहचाहट चिड़ियों का आपसे में बतियाना और बदली। अभी घड़ी में सुबह के छः बजे होंगे मानवी खुद को रोक न पाई और शिवाए को मैसेज कर दी- गुड मॉर्निंग मिस्टर लव।
उधर से कोई जवाब नही आया,मानवी ने फिर मेसेज किया उठो न हीरो। प्रतिक्रिया न आने पर मानवी ने गुस्से में बोला- अब उठ भी जाओ वरना मैं मानवी सक्सेना भर बाल्टी पानी तुम्हारे ऊपर गिरा दूँगी। तब तुम मुझे कुछ बोलोगे न तो सोच लेना।
उधर से तुरन्त मेसेज आया- बाप रे। इतना खतरनाक। गुड मॉर्निंग मानवी। सॉरी थोड़ा नीद आ रही, सो लू थोड़ा फिर बात करते है।
मानवी- ननन...मुझे छोड़कर ।
शिवाए- तो तुम भी सो जाओ।
मानवी- तुम्हारी बाहों में।
शिवाए- मानवी।
मानवी- शिवाए प्लीज़।
शिवाए- ओके।


दोनों उठते है और ऑफिस पहुँच जाते है काम पूरा करके बॉस के साथ मीटिंग करने के बाद फ्री होते ही निकल पड़ते है चाट खाने। आज सुबह से ही बदली का मौसम था,अचानक से बारिश की फुहार शुरू हो गयी। मानवी तुम भीग रही हो। शिवाए तुम भी तो भीग रहे । अगर हम दोनों ही भीग रहे तो क्या कोई प्रॉब्लम। आज मैं बहुत कुछ कहना चाहती हूं शिवाए। शिवाए - मैं भी।
मानवी ने अचानक से शिवाए के गाल पर एक किस्सी दे दी।
शिवाए बिल्कुल चौक गया। मानवी।
मानवी- बिन बोले मुस्कुराते हुए शिवाए को अपनी आंखों और भौहों से इशारा कर ये कहने की कोशिश करने लगी क्या हुआ अच्छा नही लगा। मानवी करीब आके बोली आई लव यू टू शिवाए राजपूत। मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगी हु। तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं।
शिवाए- ने मानवी को टोकते हुए कहा- उसका हाथ पकड़ लिया और बोला,मानवी प्यार तो मुझे भी हो गया है तुमसे मगर।
मानवी- मगर क्या????
शिवाए- मानवी मैं तुम्हारे दिल के साथ खेलना नही चाहता तुम्हारे साथ रिश्ता सच्चाई के साथ जोड़ना चाहता हूँ। मानवी मैं शादी शुदा हू।
मानवी- शिवाए प्लीज़ झूठ मत बोलो।
शिवाए- मानवी मैं सचमुच शादी शुदा हु मेरी शादी को महज एक साल होने को है। मेरी वाइफ का नाम स्वप्निल है।
मानवी- शिवाए के बात को काटते हुए, मुझे नहीं पता मैं सिर्फ ये जानती हूं कि मुझे तुमसे प्यार है। तुम्हारे बिन नही रह सकती।
शिवाए- मानवी को गले से लगा लेता है बारिश की फुहार अब बारिश में तब्दील हो चुकी थी। 

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