सपने के अंदर सपना


वो माँ का सपना ..!मुझे आज भी बखूबियत से याद है ,जब उन्होंने इस किस्से को पिता जी को हम सबके आगे सुनाया था। वो भी इसीलिए उन्होंने जो सपने में देखा वो आज हकीकत हो चुका था। माँ कुछ ही दिनों पहले ही सोते वक़्त सपना देखी की वो बिस्तर पर सो रही है और सोते वक़्त उसे एक ऐसा भयभीत चौका देने वाला सपना दिखेगा वो कभी सोची नही थी। उन्होंने देखा कि उनके घर की एक एक ईंट कोई तोड़ तोड़ कर निकाल रहा है। वो सोते सोते उठती है और पिता जी को जगाती है कि उठिए मुझे लगता है कोई चोर आया है। क्या भाग्यवान तुम न अक्सर सोते सोते बकबकाने लगती हो,सो जाओ। अजीब आदमी हो आप,आदमी के नाम पर कलंक। बोल रही कुछ आवाज आ रही,मगर नही ।पिता से बार बार आग्रह करने पर भी वो नही उठते माँ हिम्मत करके बिस्तर से उतरती है हाथों में टोर्च लिए आगे बढ़ती है। खिड़की के सुराख से ही देखने की कोशिश करती है,वो जो देखती है वो चौका देने वाला होता हैं। 

देखती है उसके देवर ,देवरानी,सास ससुर, ननद नंदोई,सब मिलकर एक एक घर का ईंट निकाल रहे। सामने का आधा घर गिर चुका है। माँ दरवाजा खोल कर बाहर निकलती है,ये आप लोग क्या कर रहे है अपने से ही अपना घर क्यों तोड़ रहे। देवर यानी चाचा माँ का चेचुरा पकड़ धकेलते हुए कहते है तुझसे क्या मतलब तू कौन सा दहेज में लाई थी,या ये घर तेरे बाप ने दिया है। दादी यानी मॉ की सास बोलती हुए इस हरामज़ादी को बड़ी दर्द हो रहा है सबसे पहले इससे ही घर से बेघर करूँगी। दो औलाद पैदा की वो भी लड़की। माँ दादी के हाथ जोड़ते हुए आप ये क्या कह रही गया,क्या हो गया है आपको। कोई खयड से अपना घर नही फोड़ता। घर टूट कर बिखर जाएगा। मगर कोई उनकी बात नही सुनता है। माँ जोर जोर से विलाप कर रोने लगती है। तभी पिता जी माँ को हिलाकर बोलते है अरे भाग्यवान क्यों तुम रोज ऐसी भयावह आवाज निकालती हो कि हम सब सोते सोते डर जाए। क्या हो गया है तुम्हे। पिता जी माँ को झकझोरते हुए,माँ पसीने से लथपथ चौंक कर उठती है और सीधे घड़ी की और देखने लगती है। घड़ी में चार बजे थे,माँ सीधे मंदिर की और भागती है दुर्गा मैया से अपने सपने वाली बात कह कर रोने लगती है। हे माँ कोई रास्ता दो माँ ये सपना सपना ही रहे,नही तो मैं अपनी दो छोटी बच्ची लेकर किसके दरवाजे शरण लूँगी। पिता जी हँसने लगते है। कोई सपने को इतना तवज्जो देगा।सोच नही सकता। माँ जब भी सपना आता है कुछ न कुछ जरूर होता आया है इसलिए डर रही हु। मुझे अपने माता पिता पर पूरा भरोसा है। हमलोग की तरफ देखते हुए पिता जी बोले देखो तुम्हारी माँ सपनो पर ज्यादा भरोसा करती है अपनो पर कम। 

अरे भला कोई माँ बाप ऐसा करता गया क्या।सुबह होते होते कुछ वैसा ही माहौल शुरू होता है। शाम होते होते एक हटाकट्टा व्यक्ति घर आता है,और पिता जी को कुछ कागजात थमाता है। आप कौन। पढ़ लीजिए ये क्या बद्तमीजी है हमारे घर घुस कर हम से ही अकड़। दरअसल ये घर अब आपका नही हमारा है ये है घर के लीगल नोटिस जो आपको महज तीन रोज के भीतर खाली करना है। ये सुनते पिता जी के पैरों तले जमीन खिसक जाती है। माँ गद से जमीन पर गस्त खा गिर जाती है। आख़िरकार सपना भी सच होता है वो आज साबित हो गया। 

कभी कभी सपने के भीतर आने वाले सपने भी एक आईना की तरह होते है जो हमे पूरा तो नही मगर हकीकत की तरह रूबरू करा देते है। आज घर टूट टूट कर बिखर गया। हम लोग किराए के मकान में ही कम पैसों में जीवनयापन करने लगे। मेहनत और भगवान का साया ही साथ रहा जो आज हम सभी को हिम्मत दिए हुए है। 

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