सस्पेंस लव पार्ट-7

Part -7

अब तक आप सुन रहे थे कि मानवी शिवाए को एंग्री बर्ड कह कर चिढ़ाती है और फिर उसे मनाती है। शिवाए मानवी को गले से लगा लेता है उसे सॉरी बोल प्यार का इजहार करता है।मानवी को उसकी अहमियत बताता है कि पता तुम नही बोलती  तो कितना अकेला महसूस होने लगता है। मानवी शिवाए मैं तो तुम्हारे बहुत पास हु,फिर अकेला क्यों। वैसे हम कहि बाहर जाने वाले थे,अमीना बाद बाजार चले।दोनों कॉफी पीते है तैयार होते है।अमीना बाद बाज़ार निकल पड़ते है ।अब क्या होगा आगे जानने के लिए जुड़िए मेरे यानी काफी चक्कलस दोस्त आकांक्षा के साथ .....

दोनों बाहर घूमते है सामान खरीदते है।मानवी जिस शॉप पर जाती उससे उतनी बार बर्गनिग करने की कोशिश करती है मगर नाकाम हो जाती है। शिवाए मानवी को खुश देख बहुत खुश होता है। दोनों एक साथ  पानीपुरी और ढोकला इंजॉय करते है ,फिर बाहर ही खाना में चिकन खा कर घर आ जाते है। मानवी रास्ते भर बहुत खुश रहती है। आते ही बिस्तर पर पड़ जाती है,कितना मजा आया ना। तुम ना होते तो शायद मैं कुछ भी ना घूम पाती, अच्छा हुआ हम मिल गए। 
शिवाए- मानवी मेरे ख़्याल से तुम ना मिली होती तो मैं इतना ना घूमता। क्योंकि काम इतना होता है,कहा फुर्सत। 
मानवी शिवाए को ताने मारते हुए कहती है- आए हाए मेरे कामकाजी पति। 
शिवाए ये सुनते ही मानवी को देखने लगता है। मानवी के पास जा कर लेट जाता है,पति बन जाऊं तुम कहो तो। 
मानवी- अच्छा ,तो तुम्हारी बीवी का क्या होगा। 
शिवाए- क्यों मुस्लिम दो शादी नही करते मैं भी दो शादियां कर लेता हूँ। बात ही ख़त्म। 
मानवी- शिवाए। करना तो चाहती हूँ मगर कैसे करूँ । 
शिवाए ने मानवी के बालों को सहलाते हुए कहा क्यों अब क्या दिक्कत है?मैं अच्छा नही हूँ। 
मानवी बहुत अच्छे हो। मगर तुम इतने शरीफ और मैं उतनी बेवकूफ जैसी हूँ। और प्यार कही ज्यादा हो गया ना तो सम्भाल नही पाओगे। शिवाए-वो तो सम्भाल ही रहा हू। 
मानवी - शिवाए के नजदीक उसके बाहों में आ के बोलती है- वैसे शिवाए अगर तुम राजपूत नही होते ना तो.....!
शिवाए-तो?
मानवी- तो मैं तुमसे चाशनी जैसा प्यार करती। 
शिवाए- ओह्ह तो मेरे प्यार में अभी कमी है मिस मानवी। 
मानवी- नही मगर थोड़ा सा है, अगर तुम भी सक्सेना होते तो भगा ले जाती तुम्हे। 
शिवाए- अफ़सोस, की मैं तुम्हे यहाँ बेइंतहा मोहब्बत करने लगा हूं और तुम हो कि कास्ट की बात कर दी एक होता तो ज्यादा करती हटो। 
मानवी- शिवाए मेंरा मतलब था कि फिर शादी से कोई मना नही करता। मैं जी भर कर प्यार का सागर तुमपर उड़ेलती। 
शिवाए- ठीक है। चलो काम करू। अब प्यार नसीब ही कहा मुझे पता था आजतक प्यार दिल से होता है। मगर यह तो प्यार की चाशनी एक ही कास्ट होने से बनेगी। ये मुमकिन नही। 
मानवी- बक!मूड ना ख़राब करो। 
शिवाए- बोली भी खुद। इल्जाम हमे, की हम मैडम का मूड खराब कर रहे। वाह। 
मानवी- शिवाए के शर्ट का ऊपर के बटन को खोलते हुए, उसकी आँखों मे आंखे डालकर मदहोश आवाज में बोलती है,तुम कहो तो घोल दु चाशनी। 
शिवाए-नही अपनी चाशनी अपने पास रखो। अब तो सक्सेना जी को ही घोलना। 
मानवी शिवाए को गाल पर चुम कर बोलती है,मेला बेबी नाराज़ हो गया। 
शिवाए-नाराज होकर क्या उखाड़ लूंगा। 
मानवी- अब ज्यादा रूठोगे तो प्यार कर लूँगी। फिर मत बोलना की लड़की गलत है। प्यार की हु हक तो है ही। 
शिवाए चिड़काते हुए - हक तभी पूरा लगेगा तुम्हे जब मैं सक्सेना रहूँगा। 
मानवी तुनक जाती है। ठीक है जाओ। नही बात कर रही। अब प्यार भी नही । रोमांटिक भी नही। कुछ भी नही। 
शिवाए जोर जोर से हँसने लगता है,और मानवी को गले लगा कर बोलता है मेला बेबी गुच्छा हो गया सोली। 
मानवी तुम्हे फ़र्क कहा पड़ता है। मैं रूठ जाऊ या नही। इतना बोलकर रोने लगती है। 
शिवाए -अरे  बक । मज़ाक किया और तुम हो कि चुप बिल्कुल। प्यार करता हु पागल तुमसे टाइम पास थोड़ी जो तुम्हे परेशान करू। रियली आई लव यू मानवी। अब तुरंत चुप हो जाओ नही तो चिकन पच जाएगा। 
मानवी- चाशनी का क्या?
शिवाए- उसे हम रात को घोल देंगे जान। चलो बाप रे घड़ी में 12.30 हो रहा,अभी तक आफिस का काम पूरा नही हुआ। जल्दी से पप्पी दो फिर मैं कॉफी बनाता हूँ और तुम तबतक पूरा पढ़ लो ठीक। 
मानवी- हा ठीक। 
शिवाए-किचन की ओर जाते हुए घर पे बात की थी। सब कैसे है वहाँ। 
मानवी - आज भूल गयी। 
शिवाए- अरे बात करलो तुरंत। 
मानवी -अब कल। इतनी रात फोन की ना तो सब परेशान हो जाएंगे।
शिवाए- किचन से आवाज लगाते हुए- अरे मेरा लैपटॉप चार्जर पर लगा दो। 
मानवी- लगा दी हूँ। मानवी अपने केस को रीड करने लगती है उधर शिवाए भी कॉफी तैयार कर ले आता है- टनटना ये लीजिए मैडम आपकी कॉफी।मानवी हँसने लगती है फिर दोनों जुट जाते है अपने अपने काम मे। मानवी चुपके से शिवाए को देखती है ,शिवाए काम मे मशगूल हो जुटा रहता है,मानवी सोचने लगती है कब कैसे हम पास आए और मोहब्बत भी हो गयी पता ही ना चला,अब तो शिवाए के बहुत करीब। अचानक से शिवाए की नजर मानवी पर पड़ती है,शिवाए कुर्सी पे बैठे बैठे चुटकी बजा टोकता है कहा खो गयी मानवी। मानवी मुस्कुराकर बस सर हिलाती है कहि नही। केस स्टडी में वापस जुट जाती है। 

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