सस्पेंस लव पार्ट-2

Part 2 सस्पेंस लव



अभी तक आप सुन रहे थे मानवी और शिवाए की सस्पेंस लव स्टोरी जिसकी भनक उन दोनों को ही महसूस हो रही थी। मग़र कहते है न प्यार वो धुरी है जिसे कितना भी घूमा लो एक बार मे फिट नहीं बैठता।
अभी तक अपने पढ़ा कि मानवी शिवाए का जन्मदिन सेलिब्रेट करने जाती हैं। कुछ यूं उसे हड़काती है और लखनऊ को एन्जॉय करती है,मानो जन्मदिन शिवाए का नही मानवी का हो।दोनों काफी घूमने के बाद घर के लिए निकलते है ,शिवाए मानवी से जिद्द करता है कि वो सुरक्षित कैब से जाए मगर मानवी एक नंबर की जिद्दी उसे जान था तो सिर्फ ऑटो से। शिवाए हार कर मानवी की बात मान जाता गया और उसे ऑटो स्टॉप पर ऑटो में बिठा कर ,तब आता है जब तक ऑटो चल नही देती। अब आगें......

शिवाए मानवी की बात मान जाता है और ऑटो स्टॉप पहुँच उसे ऑटो में बैठा देता है,और तब तक खड़ा रहता है जब तक ऑटो चल नही दी।
मानवी बार बार शिवाए को टोकती - अब जाओ भी,मैं पहुँच जाऊँगी।
शिवाए- मानवी तुम अपना मुँह बन्द करने का क्या लोगी।
मानवी- भौहें चढ़ा के ,ओह्ह हेल्लो।
शिवाए - ने उसे इशारा किया उसके बगल बैठे शख्श की ओर ।मानवी- देखते समझ गयी और ऑटो से उतर शिवाए को गले लगा ही ली।मेरी इतनी फ़िक्र सब ठीक है न मिस्टर शिवाए।मुस्कुराते हुए फिर ऑटो में जा बैठी। ऑटो चल दी।मानवी रास्ते भर सिर्फ़ शिवाए को सोच कर मुस्कुरा रही थी। गुनगुना रही थी। कभी ऑटो के नजदीक से गुजरते हवाओं को महसूस कर रही थी। तओ कभी उसके स्पर्श को। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आज उसे हो क्या गया है। सिर्फ़ शिवाए के अलावा उसे और कुछ क्यों नही समझ आ रहा।
मानवी घर पहुँचते मेसेज कि, मैं पहुंच गयी।तुमभी जल्दी घर आ जाना। थोड़े आराम के बाद मानवी फ़्री हो कर करीब रात के यही ग्यारह-साढ़े ग्यारह बजे शिवाए को मैसेज ड्राप की। सो गए।आज तो बहुत थक गए न।
शिवाए-हा मगर मजा भी तो आया। दोनों की बात शुरू हुई और फिर सुबह के बात पर ही चर्चा होने लगी। शिवाए मानवी की खूबसूरती से आज कायल हो गया था। दरअसल जो आज तक मानवी जीन्स टॉप में आती हो वो जिस्म से चिपके मेरुनिश कुर्ते में गज़ब कयामत ढा रही थी। दोनों बात करने में इतने मशगूल हो गए कि कब घड़ी में तीन बज गए दोनों को पता ही नही लगा।
शिवाए- मानवी अब सो जाओ काफी ज्यादा ही रात हो गयी है,इनफैक्ट सुबह होने को भी है और कल काम भी बहुत है।
मानवी- ओके बाए ,गुड नाईट । मिस यू शिवाए।

सुबह हो जाती है और घड़ी में गयारह बज रहे होते है,मानवी हड़बड़ाहट में उठती है और ये सोच शिवाए को कॉल कर बैठती है कि कहि शिवाए भी तो नही सो रहा। मानवी शिवाए को कॉल करती है ,पहली कॉल में शिवाए फोन उठा लेता है और गुस्से भरे अंदाज में बोलता है,मैडम कहा है आप।
मानवी - गुड मॉर्निंग, शिवाए।
शिवाए- गुड मॉर्निंग, आप कहा है मैं और बॉस कब से आपका इंतेज़ार कर रहे। आपकी तबियत ठीक नही ओह्ह ठीक है आप आज रेस्ट करिए।
मानवी- अरे जबरदस्ती क्या बोले जा रहे।मेरी सुन भी नही रहे।
शिवाए - मधम आवाज में ,बॉस थे सामने सो बोल दिया। अब जल्दी ऑफिस आओ मन नही लग रहा।
मानवी- अच्छा ये बात,तो पप्पी दो।
शिवाए- मानवी सब है।
मानवी- तो।
शिवाए- तो क्या,ऑफिस आओ चुपचाप।
मानवी-अब तो तभी आऊंगी जब पप्पी मिलेंगी।
शिवाए- मानवी यार ,तुम सिचुएशन क्यों नही समझती।
मानवी- बिन हिचके ,सिचुएशन ये क्या होता है शिवाए मानवी ये बोल कर जोर से हँस पड़ती है।
शिवाए - ठीक है व्हाट्सएप आओ।
मानवी- ननन.....!यही।
शिवाए- मानवी ठीक है बाएं।

मानवी का मूड खराब हो जाता है,गुस्से में ऑफिस एक बजे तक पहुँचती है। अपने कंप्यूटर पर कुछ यूं खटपट करती है मानो कितना काम है उसे।

शिवाए- अरे मानवी आ गयी तुम। कब आई। फोन क्यों नही की। बोलो भी कुछ।
मानवी- शिवाए कि हर बात इग्नोर करती है।
शिवाए - मेरी बेबी नाराज है।
मानवी- शिवाए को घूर के देखती है। तुम्हे क्या फ़र्क पड़ता हैं। कोई खुश रहे या। अब हटो यहाँ से।
मानवी के बॉस- मानवी कैसी तबियत है।
मानवी शिवाए को देखते हुए- जी ठीक है बॉस।
मानवी के बॉस- ठीक है तो इन्वेस्टिगेशन के कुछ क्लू शिवाए ने डिसाइड किए  जो काफी अच्छे है और केस भी जल्दी सुलझेगा।
मानवी - ओके बॉस।
मानवी के बॉस वहाँ से चले जाते है। मानवी शिवाए को देखती है तो वो अपनी लेपटॉप में काम को लेकर मगन दिखता है। मानवी दो पल को बिल्कुल ठिठक जाती है और ये सोचने लगती है कि क्या हो गया है मुझे । मानवी सक्सेना तुम क्यों बार बार उस राजपूत से पंगे ले रही जो तुम्हारी हर पल मदद कर रहा। आज फिर शिवाए ने मानवी को बॉस से बचा ही लिया था ये कह कर की मानवी की तबियत खराब है। मानवी शिवाए के नजदीक जाती है। शिवाए वो कॉफ़ी पीने चले मेरा सर बहुत भारी हो रहा।
शिवाए- मानवी की केयर करते हुए, अरे अभी तो ठीक थी। बैठो तुम पहले कुर्सी पे,मैं यही मंगवा लेता हूँ ओके।
मानवी- शिवाए बाहर चलते है न। थोड़ा जल्दी आराम मिल जाएगा।
शिवाए- मानवी तुम्हारा चेहरा देखो कैसा फीका हो गया गया।
मानवी- शिवाए को घूरते हुए,तुम नही मानोगे न। ठीक है कॉफी ही नही पीना।
शिवाए- मुस्कुराते हुए,मैं तो बस देख रहा हूं कि मानवी सक्सेना के नखरे कितने है।
मानवी- शिवाए।
शिवाए- मानवी। चलो अच्छा।
मानवी कॉफी शॉप आते आते ही शिवाए को अचानक से पैर में मोच आ गयी ये कह कर गले लग लेती है। उधर शिवाए ये सोच में पड़ जाता है कि माँ तो बोलती थी कि पैर में मोच तब आते है जब पैर मुड़ जाता है। खैर जो भी है।
मानवी-चुटकी बजाते हुए,मेरे हीरो।मुझे तुमसे कुछ कहना है।
शिवाए- हा बोलो।
मानवी- वो,वो मैं ये कह रही थी कि।
शिवाए- का तभी कॉल आ जाता है और शिवाए फोन पे बात करने लगता है।
मानवी- फिर ये सोच चुप हो जाती है कि पता नहीं शिवाए क्या सोचे मुझे। क्या होगया है मुझे। दोनों कॉफी पी कर ऑफिस आते है और शिवाए केस के स्टडी को समझाने लगता गया। मानवी की आंखे सिर्फ उसे देखती रहती । वो क्या क्या बोलता जा रहा था मानवी समझ ही नही पा रही थी।
शिवाए- मानवी तुम समझ गयी न कि तुम्हे क्या करना है।
मानवी - ने जवाब देते हुए ,हा तुम्हे किस्स।
शिवाए- मानवी सक्सेना आप ठीक है। क्या बोल रही समझ आ रहा कि नही।
मानवी- झेप खाते हुए वो ,सॉरी शिवाए। मैं घर निकलती हु तबियत ठीक नही है।
शिवाए- मैं ड्राप कर दु।
मानवी- नही नही मैं चली जाऊँगी।
शिवाए- तुम जिद्दी बहुत हो। चलो चुप चाप मैं ड्राप कर देता हूँ।
मानवी- ओके।
दोनों ऑफिस से निकलते है और शिवाए मानवी को ड्राप करने चल देता है। मानवी बाइक पे दोनों पैर एक तरफ करके बैठ जाती है। शिवाए टोकते हुए- ये कैसे बैठ गयी हो मानो बीवी बैठी हो। शिवाए हँसते हुए।
मानवी- मानलो वही बैठी है।
शिवाए- मानवी ।
मानवी-मज़ाक कर रही हु। ठीक है बैठ जाती हूं दोनों पैर इधर उधर करके। शिवाए मानवी को ड्राप करता है। घर के पास जब उतारता है तो मानवी का हाथ पकड़ लेता है।
मानवी शिवाए को चुपचाप देखती है और अगल बगल देखते हुए बोलती है- दिमाग खराब है क्या,कोई देख लेगा शिवाए।
शिवाए- तो देख लेने दो।
मानवी- अच्छा जी।
शिवाए मुस्कुराता है और मानवी के हाथ को चूम करे गाड़ी आगे बढ़ा लेता है। मानवी कुछ देर वही खड़े होकर शिवाए को तब तक देखती है जब तक शिवाए उसकी नजरों से ओझिल नही हो गया।




टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट