कपि संकट मोचन नाम तिहारों

"को नाही जानत है जग में ,

कपि संकट मोचन नाम तिहारों"



नुमान, बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शंकर सुवन आदि। एक ऐसे वीर जिन्हें कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवताओं में से एक माना जाता है। इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की जब ठुड्डी टूट गई थी,तब समस्त जग में हाहाकार हुआ,तब देवताओ ने उन्हें नया नाम दिया हनुमान। हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र शुक्‍ल पूर्णिमा को श्री हनुमान जयंती मनाई जाती है।ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक हनुमान जयंती हर साल मार्च या अप्रैल महीने में आती है।आज प्रभू मारुतिनंदन के जयंती पर बस उनसे यही विनती करूँगी कि जिस प्रकार आपने माता सीता की रक्षा,प्रभु राम की मदद,व रावण का वध।उसी प्रकार आज समस्त संसार मे पूरा देश कोरोना वायरस से पीड़ित है,हे पवनपुत्र आपको एक बार और इस मुसीबत में अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए अवतार लेना होगा। संकट हरण इस संकट को हरे,अब इस संकट का निवारण आपके चरणों मे है। मान्‍यता अनुसार, श्री हनुमान का नाम लेते ही सारे संकट दूर हो जाते हैं और भक्‍त को किसी बात का भय नहीं सताता। उनके नाम मात्र से आसुरी शक्तियां गायब हो जाती हैं। हनुमान जी के जन्‍मोत्‍सव पर पूरे देश भर में हनुमान जयंती मनाया जा रहा।

पौराणिक कथाओं के अनुसार,श्री हनुमान ने श‍िव के 11वें अवतार के रूप में माता अंजना की कोख से जन्‍म लिया था। हिन्‍दुओ में हनुमान जयंती की विशेष मान्‍यता है,क्योंकि वे परम बलशाली और मंगलकारी है।
जब विष्णु जी के कृष्णा अवतार के बाद रावण को दिव्य शक्ति प्रदान हो गई । जिससे रावण ने अपनी मोक्ष प्राप्ति हेतु शिवजी से वरदान मांगा की उन्हें मोक्ष प्रदान करने हेतु कोई उपाय बताए। तब शिवजी ने राम के हाथों मोक्ष प्रदान करने के लिए लीला रचि। शिवजी की लीला के अनुसार उन्होंने हनुमान के रूप में जन्म लिया ताकि रावण को मोक्ष दिलवा सके। इस कार्य में रामजी का साथ देने हेतु स्वयं शिवजी के अवतार हनुमान जी आये थे, रावण के वरदान के साथ साथ उसे मोक्ष भी दिलवाया।


भक्त संकटमोचन हनुमान को प्रसन्‍न करने के लिए पूरे दिन व्रत रख  हनुमान चालीसा का पाठ किया। मान्‍यता है कि इस दिन पांच या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ व  सिंदूर चढ़ाने से पवन पुत्र हनुमान प्रसन्‍न होकर भक्‍तों पर कृपा बरसाते हैं।
       मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के परम भक्‍त हनुमान को संकट मोचक माना गया है। मान्‍यता है कि श्री हनुमान का नाम लेते ही सारे संकट दूर हो जाते हैं और भक्‍त को किसी बात का भय नहीं सताता है।आज पूरे देश मे मचे हाहाकार व संकट  को रोकने के लिए लोगो ने अपने घर मे ही प्रभु संकटमोचक हनुमानजी को याद किया।


एक नज़र

हनुमान चालीसा तुलसीदास की अवधी में लिखी एक काव्यात्मक कृति है जिसमें प्रभु राम के महान भक्त हनुमान के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। यह अत्यन्त लघु रचना है जिसमें पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है। इसमें बजरंग बली‍ की भावपूर्ण वन्दना तो है ही, श्रीराम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया है।
 शिव जी के रुद्रावतार माने जाने वाले हनुमान जी को बजरंगबली, पवनपुत्र, मारुतीनन्दन, केसरी नंदन आदि नामों से भी जाना जाता है। मान्यता है कि हनुमान जी अजर-अमर हैं। हनुमान जी को प्रतिदिन याद करने और उनके मन्त्र जाप करने से मनुष्य के सभी भय दूर होते हैं। कहा जाता है कि हनुमान चालीसा के पाठ से भय दूर होता है, क्लेश मिटते हैं।



एक नज़र

एक बार बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को अपने दरबार में बुलाया और उनसे कहा कि मुझे भगवान श्रीराम से मिलवाओ। तब तुलसीदास जी ने कहा कि भगवान श्री राम सिर्फ अपने भक्तों को ही दर्शन देते हैं। यह सुनते ही अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार में कैद करवा दिया।


कारावास में तुसीदास जी ने अवधी भाषा में हनुमान चालीसा लिखी। कहते हैं जैसे ही हनुमान चालीसा लिखने का कार्य पूर्ण हुआ वैसे ही पूरी फतेहपुर सीकरी को बंदरों ने घेरकर उस पर धावा बोल लिया। बादशाह अकबर की फौज भी बंदरों का आतंक  रोकने में नाकामयाब रही। तब अकबर ने किसी मंत्री की सलाह को मानकर तुलसीदास जी को कारागार से मुक्त कर दिया। कहते हैं जैसे ही तुलसीदास जी को कारागार से मुक्त किया गया उसी समय बंदर सारा इलाका छोड़कर चले गए। 

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