तवायफ़
देखी है तस्वीरे मैंने
उस टूटे हुए आइनों में,
महफ़िले तो हजारों है
बिखरे रिश्ते और जमानो में,
वो कहते है मेरे इलाक़े को रेड जोन
भला इस ख़तरे के इलाके में निशा कौन है,
चमकती रोशनी में छिपा दर्द
हर किसी को लुभावना लगे,
इन चकाचौंध की रोशनी में
भला अंधेरे का मन कौन टटोलें,
ग़ालिब इस जालिम दुनिया मे
भला तवायफ़ का कौन है,
महफ़िले तो हजारों है
इस तवायफ़ को चाहने वाला भला कौन है,
कोठे पर बिखरी छटा खूबसूरत लगती है
उस खूबसरती के पीछे छिपा दर्द भला कौन जाने!!
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