दफ़न

ट्रिंग ट्रॉन्ग डोरबेल बजते,  पायल जैसे हाई अलर्ट हो गयी हो ,सब काम इतना फ़ास्ट कि मानो कुछ होने वाला है,या किसी का ख़ौफ़ हो....ये रही दूसरी डोरबेल अब पायल पल्लू को ठीक करते हुए...दरवाजे पर पहुंची।

दरवाजा खोलते रोज कि तरह किनारे खड़ी हो जाती और अंश अंदर घुसते ही उसे अपना बैग थमा आगे बढ़ जाता ,लेकिन आज कुछ अलग हुआ, पायल सर नीचे किये खड़ी थी अंश घुसते पायल को एक नही दो बैग थमाया ये देखते हुए पायल जो ऊपर देखी वो दो पल को कही खो सी गयी।

अंश ने जोर से बोला पायल ऐसे स्वागत करोगी। जाओ जा कर कॉफी लाओ,पायल जी। पायल बैग रख कीचन से चुपके चुपके देखती रही।

नही नही ये कोई भरम है।मुझें ये क्या हो रहा। बाहर से आवाज आई पायल कितना समय लग रहा, बस आई।
    पायल कॉफ़ी अभी लेकर गैलरी में ही थी कि अंश ने बड़े जोर से बोला अरे शांतनु इनसे मिलो ये मेरी धर्म पत्नी।

ये देख कर शांतनु ओर पायल कहि खो से गए। क्या हुआ यार ,कुछ नही बॉस बस भाभी वाक़ई बहुत अच्छी है और इनके हाथ की कॉफ़ी भी।

पायल ये सब जो हो रहा चुप हो देखती रही और बातचीत के सैलाब में पुराने समुंदर के लहरों को गिनने लगी,उन उफानो को पार करने लगी जिसे वो बीस साल पहले सफर की थी।

शांतनु पायल दोनों काफी अच्छे दोस्त थे,उन्हें कब एक दूसरे से प्यार हो गया उनको पता ही नही चला। दोनों इस कदर एक दूसरे को समपर्ण थे कि मानो दुनिया में जी नही पाएंगे।
हालातो के बवंडर ने दोनों को अलग अलग किनारा थमा दिया। पायल धीरे धीरे खुद को कैद कर अपने पलो को दफ़न कर ली।

शांतनु भी जीवन की सीढ़ियों को पार लगाने आगे बढ़ने लगा। अंश ने जोर से पायल को डांट लगाई ,पायल तुम आंखे खोले हुए सो रही क्या ? कब से तुम्हे खाना लगाने को कह रहा। वो ,बस 10मिनट में सर्व करती हूं । पायल जो आगे बढ़ी, उसे फिर डॉट पड़ी, पायल आज तुम्हारी तबियत ठीक नही है क्या ,कब से यही थी और हर बात को अनसुना कर रही।

रहने दो मैं खुद कर लेता हूँ। आओ शांतनु ये रेस्ट रूम है तुम आज यही रेस्ट करो ठीक। अरे सर , अरे वारे कुछ नहीं। शांतनु ,जी।

इधर शांतनु ज्यो रूम में गया उसने एक लम्बी सास लेते हुए ज्यो आंखे बंद की तभी दरवाजे पे दस्तक हुई। खट खट.... शांतनु ज्यो दरवाजा खोला सामने उसकी माशूका , पायल थी।

पायल...शांतनु चलो खाना खा लो। मेज पर लगा है,हम लोग इन्तेजार कर रहे। शांतनु कुछ बोलता उसे पहले पायल तुरन्त मुड़ कर चली गयी।

शांतनु मेज पर आया , सामने अंश बैठा था शांतनु का बॉस। पायल सबके प्लेट पर सर्व कर रही थी। तभी अंश ने टोकते हुए कहा, पायल जरा एक सेकंड रूम में आना तुमसे कुछ बात करना है।

पायल ठिठकी ओर सोच में पड़ गयी कि मुझसे कुछ गलती हो गयी क्या। पायल चुप चाप अंदर गयी । अंश ने दरवाजा बंद कर लिया। इधर शांतनु भी कुछ परेशान था। उसे डर था कि पायल की खुशी में मैं कहि ,नही नही। पांच दस मिनट तक दरवाजा न खुलने पर शांतनु ने हिम्मत कर दरवाजे तक गया,तो उसने सिर्फ इतना ही सुना...देखो पायल तुम्हें लास्ट वार्निंग दे रहा हूँ। मेरे मेहमानों के आगे शक्ल मत बनाया करो। और हा,अगर कोई बात है तो बोलो, जब से आया हु तब से देख रहा।

हद करदी है तुमने ,अगर तुम इतने से नही मानोगी तो मुझे जख्म देना अच्छे से आता है और हा आंसू पोछो ओर मुस्कुराते हुए बाहर निकलो समझी।

शांतनु वापस से मेज पर आ कर बैठ गया,की पायल खुश नही है ,बहुत तकलीफ में है। ये सोच कर उसके आंखों में आंसू आ गया। उधर दरवाजा खुला,और अंश हँसते हुए पायल को लेकर निकला मानो अंदर बहुत रोमांटिक बाते या कुछ और चल रहा हो। पायल भी मुशकुरा रही थी।

उसके बाद हम सभी टेबल पर बैठ एक साथ खाना खए। फिर अंश ने ,शांतनु से कहा,अरे शांतनु तुम कॉफ़ी लोगे या .... सर कुछ भी नही।

ठीक है,पायल को बोल दो ठीक। जी शांतनु ने जवाब  दिया।
पायल किचन में कॉफी बनाने जा रही थी। ज्यो पलटी अरे शांतनु ,कुछ चाहिए क्या?

नही पायल , मैं कॉफ़ी नही पिऊंगा ठीक। पायल ,ठीक है।
शांतनु ने हिम्मत जुटा पूछा तुम खुश हो ना पायल अंश के साथ। पायल ने हम्म्म्म करके जवाब दिया।
शांतनु कुछ बोलता उसे पहले ,पायल बोल दी शांतनु तुम जाओ यहाँ से तुरन्त प्लीज़।

शांतनु ज्यो मुड़ा उधर अंश रूम से बाहर किचन की ओर आ रहा था। शांतनु ,अंश ने शांतनु को टोकते हुए कहा, कुछ चाहिए क्या? नही नही सर बस भाभी को बोलने आया था कि मेरी कॉफ़ी न बनाएगी। अंश अच्छा,ठीक है सो जाओ। सुबह जल्दी ऑफिस निकलना होगा। शांतनु जी ठीक है बॉस।

पायल ,कॉफ़ी  लेकर अंश को दी और कॉफी ले कर सोच में डूब गई। वो शांतनु से बहुत कुछ बोलना ओर कहना चाहती थी। तभी अंश ने पायल को टोका ,पायल सुबह तुम्हारे समझ नही आया क्या?

वो अंश ,ऐसा कुछ भी नही है। मैं ठीक हु। ओके तो आओ पास ओर सो ।

ये सब देखते शांतनु को बेहद तकलीफ हुई। वो हर पल सोचता कि पायल खुश होगी,लेकिन आज उसने जो देखा,ओर सुना उसे खुद को कोसने के अलावा कोई काम नही था।

बार बार ये महसूस हो रहा था ,की शायद एक बार मैं अपनी दिल की बात माँ बाबू जी किया होता तो आज पायल ओर मैं एक साथ खुश रहते।

उधर पायल ने भी अपने आंसू को पोछते हुए प्रण किया,जिसे में 20 साल पहले ही दफ़न कर दी। अब उस परत से धूल क्यों हटाना। क्यों ,जब शांतनु ने पहले नही सोचा तो मैं क्यों? मैं अंश को क्यों धोखा दू ,सबके आगे मैं बार बार अंश को पीछे क्यों करू।

पायल ने अपने दिल को शांत करते हुए कहा..; शांतनु मेरा अतीत है,और अतीत के पल को दफ़न करना ही बेहतर होगा। अंश मेरा आज है जो जैसे भी है मेरे पति है। मैं उनकी हु अब न कि शांतनु की जिसने कभी मेरे बारे में नही सोचा कि मैं उसके बिन कैसे रहूंगी। न कभी ये सोचा कि मैं ठीक हु या नही। आज जो हम फिर टकराए है वो इत्तफाक है इसे ज़्यादा कुछ भी नही....!


टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट