बाबा पुराण का .....जुर्मकाण्ड

आस्था का सौदा व आस्था को लूटने वाले ...,  खुद को भगवान बताने वाले, भगवान का भेजा दूत बताने वाले, हमारे देश मे तेजी से पनपते बाबाओ की कमी नही है।


        बाबा पुराण का किस्सा, इन दिनों इस कदर हावी है कि अच्छे अच्छे बाबाओं की लगी पड़ी हैं। लोगो का आस्था गुरुजनों से टूट रहा। सांसारिक जीवन से मोह - माया त्यागने की बात करने वाले,खुद उन सभी सुखों का आनंद लेते है जो शायद हम कई पुस्तों की जमा पूँजी करने में लगा देते है।


उनके प्रवचन ओर जीवनशैली में जमी- आसमां का फ़र्क है। जो शायद हमें अंधकार में लीन करने को मजबूर कर देते हैं।आज देश मे धर्म-आध्यात्म की पाठशाला को इन बाबाओं ने  काले कारोबार की पाठशाला तैयार कर दी है।


जिस पाठशाला में पुराणों के कहावत ओर दोहे ..,चौपाइया, ज्ञान का समस्त भंडार होना चाहिए। जिससे मन मस्तिष्क शांत,ओर भगवान की आस्था में लीन हो जाएं।


    लेकिन यहाँ ऐसा नहीं है इसके बिल्कुल विपरीत, उन्हीं पाठशालाओं में काले कारोबार की पाठशाला चलाई जाती है। जिस में धर्म के ज्ञान की आड़ में जिस्मफरोशी का धन्धा चलाया जाता है, जिसमें औरतों के साथ उन्हें हर रोज प्रताड़ित किया जाता है, रेप किया जाता है। उन्हें चुप रहने को भी मजबूर किया जाता है।


लेकिन ये जुर्मकाण्ड वाले बाबा ये नही जानते कि भगवान से बड़ा कोई नही है,वे ही है जो सबकुछ बिन पूछें आपसे बिन कहे आपको जीवन दे सकते है और ले भी सकते हैं। एक कहावत तो कही गयी है...." भगवान के घर देर है अंधेर नही "।


लेकिन इन ज्ञानबाचियो को कौन समझाए? उन्होंने पुराणों के ज्ञान को बांटने के लिए लुभावने पाठशाला तो खोल ली ,लेकिन उन पुराणों के दर्ज पन्नों पर अंकित ज्ञान को खुद भी नही हासिल कर पाएं की उन्हें नरक ओर समाज मे थूथु की चिंता हो। उन्हें सिर्फ और सिर्फ़... जनता कि मासूमियत से खेलना है, न कि ईश्वर का ध्यान लगवाना।


जुर्मकाण्डी बाबा का पुराना इतिहास


ये हम नही इतिहास कहता है कि ये तमाम जुर्मकाण्डी बाबाओं का जन्म इस कलियुग में होने वाला था,जिसका ज्ञान हमें पुराणों के पन्ने बया करते हैं।


बाबा पुराण को जन्म देने वाले तमाम बाबा, जो स्वर्ग के द्वार तो कभी मोक्ष के मार्ग तक पहुचाते थे, आज वो खुद उस जन्नत की शैर सलाखों के पीछे कर रहे।


चाहे वो चाँद में दिखने वाले आसाराम हो या स्वर्ग की सीढ़ी से मोक्ष के द्वार तक पहुचाने वाले रामपाल!


चाहे वो  राम का नाम लेकर ...लड़कियों का कारोबार करने वाले रामरहीम हो, या वासना से लिप्त बाबा नित्यानंद। या प्रेमानन्द हो या सत्यसाई हो या भीमानंद,या चंद्रा स्वामी,निर्मल बाबा,राधे माँ, ओमबाबा,सचिदानंद गिरी,नारायण साईं,ॐ नमः शिवाय बाबा,आचार्य कुशमुनि


मलखान सिंह,वृहस्पति गिरी,आचार्य कुशमुनि,स्वामी असीमानंद,आदि अनेको बाबाओं का जन्म किसकी वजह से हो रहा ?


उन्हें बढ़ावा देने वाले हम आप मे से ही लोग है जो पहले इन बाबाओं को जन्म फिर बाबा पुराण रचने का कमान थमाते है। आस्था के इस जनसैलाब में आस्थावान कम हैवानों ने ज्यादा जन्म ले लिया है।


           

आख़िर कब समझेंगे आप ?


आए दिन तेजी से घटित होती घटनाएं, दिल को आघात करती है। जिसे कभी कभी लोगो का ईश्वर से भी भरोसा टूटने लगता हैं। खेलना तो आसान है मगर खुद को बचाना बेह्द मुश्किल,क्यों आइये बताते है?


क्योंकि इसमें इन पाखंडीयो की गलती नही हम आपकी गलती है। ज़रा सा जीवन मे संकट आया नही की हम अक्सर मोह माया की भंग में लिप्त हो जाते है। ये भूल जाते है कि जिस भगवान की बात ये बाबा करते है। उसकी आराधना हम आप खुद कर सकते है।


भगवान कभी ये नही कहते कि आप किसी बेवकूफ़ी में फसीए। उन्होंने मस्तिष्क दिया क्यों ,ताकि हम अपने आपको हर मुश्किल से बचा सके, सही गलत का निर्णय ले सके।


हमें आँख क्यों दिया, ताकि स्वछंद रूप से निहार कर अगले बन्दे की मनोदशा को समझ सके।


हमें मन क्यों दिया,ताकि हम विचलित मनो को एकाग्र करके खुद को शांत करने के लिए भगवान में तन्मयता से लीन हो सके। उन्हें मन से यदि हम आप याद करे ,आस्था से उनकी आराधना करें तो स्वयं भगवान के दर्शन अछूत नही।


भगवान शिव ने स्वयं यह कहा है कि मैं पूरे संसार के कण कण में लिप्त हु। यदि मनुष्य चाहे तो शिव के दर्शन दूर नही।

लेकिन हम इतना कर नही सकते,हमारी बुद्धि जो ज़रा ज़रा बात पर भरस्ट हो जाती है।

ये हमें समझना है कि कौन सच है कौन गलत? जब इतने पाखंडियो की लिस्ट लगातार आ रही हो और उनकी करतूत को बेपर्दा की जा रहा हो तब आप आंखों को मूंद खुद को बुरी राह पर झोंक दे तो इसमें इन बाबाओं की नही आपकी गलती है।

क्योंकि समझकर भी न समझ बनने वाले ही लोग जीवनभर संकटो का सामना करते हैं। अब भी बहुत कुछ बचा हैसतर्क रहिए,मस्त रहिए...इन बाबा पुराण के किस्से से बेहतर भगवान के आस्था,दोहे,चौपाई ,उनके नामो , उनके बारे में ज्ञात कीजिए।



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