मर्दानी

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी...झाँसी की रानी!

मर्दानी शब्द पता कब सुनी थी जब पहली बार कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित इस कविता को स्कूल के किताबों में बचपन में पढ़ी थी।लेकिन उस समय इस कविता के भाव को उतना नहीं परखा।लेकिन जब बात बात पर फेमिनिस्म की बात उठती है तब इसका ज्ञान हुआ कि मर्दानी शब्द का अर्थ मर्द जैसी नहीं होता। इसका अर्थ है -जो मर्दन करे। दुष्टों, अन्यायियों को मारने के लिए उन्हें खूब बेहतर तरीके से समझाने के लिए की एक स्त्री कमजोर नही।

खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी, अर्थात् दुष्टों का मर्दन करने वाली रानी लक्ष्मी बाई ने वो कर के दिखाया।रानी लक्ष्मी बाई जैसी अनेको स्त्रियों ने अपने अधिकारों के लिए मर्दन किया।दरकार है हमें एक ऐसे समाज की जहां लोग महिलाएं को सिर्फ़ ज़िम्मेदारी ही ही समझते हैं?क्यों ढोये हम बोझ? क्या मर्द खुद का बोझ नही ढो सकते? हमें गढ़ने होंगे नए शब्द और उपजानी होगी एक नई शैली, जहां शब्दों और विधाओं पर सभी का अधिकार होगा।हर स्त्री को एक ओर जहाँ स्वतंत्र रहने की ,खुद के पैर पर खड़े होने की बात की जाती है तो उसी समाज मे ये मर्द की क्यों जरूरत है? क्यों ?क्योंकि ये दो पहियों वाली गाड़ी डिसबैलेंस हो जाएगी? आज इस लघुलेख के माध्यम एक छोटी कहानी लिख रही हूँ ,जो शायद लोगो को बुरा लगें या उन्हें जो दहेज लोभी है!

पायल तेरे लिए रिश्ता आया है हमे तो ये रिश्ता बहुत पसंद है बस तू भी हा कह दे,वैसे भी तेरे पीछे तेरी तीन बहनें और भी है उन्हें भी तो हमे जीते जी निपटाना है। कल को हमे कुछ हो गया तो कौन करेगा उनका ब्याह ये दुनिया बहुत झूठी है। पता नही कैसा रिश्ता तय करे तुम सबका। क्या माँ क्या बात- बात पर शुरू हो जाती हो। क्या हम कोई सामान है जो निपटा रही। या कोई काम। हमे भी जीने का हक है क्यों कर ले शादी ? क्या जरूरत है शादी की? बस पायल तेरी इसी हरकत से हम पांच साल से झेल रहे। तीन सयान बेटियां तेरी वजह से पड़ी हुई है। एक तू है कि तुझे आजादी की पड़ी है। अरे अपने घर जा शादी ब्याह करके जीवन भर  यहाँ  क्या करेगी। वाह माँ वाह क्या खूब चर्चा की आपने यहाँ क्या करेंगे हम सही बात है? कल तक कौन

थे हम ? क्यों पाला हमे,छोड़ क्यों नही आई उसी लोभी के घर जिसके घर की हूँ? क्यों इतने दिन सरदर्द पाला? पायल बस चुप्पपप्पप्पप्प! एक शब्द और बोली या बकवास की तो मुझसे बुरा न होगा। आखिरी बार बोल रही हूँ लड़का बहुत अच्छा है ब्याह करले और अपनी सोच या मत सोच अपनी बहनों के लिए सोच ले यही हम पर हमारे परिवार पर मेहरबानी होगी। इतना बोल कर पायल की माँ किचन में बर्तन पटक कमरे में चली गयी।

अगले दिन दोपहर होते होते लड़के वाले आ गए,पायल को उसकी मौसी सजा सवार कर उनके आगे ले गयी। लड़का बाहर रहता था वो नही आया था। बाकी परिवार के सभी सदस्य आए थे। कुछ देर बातचीत के बाद,ये हुआ कि एक बार पायल को भी लड़के से रूबरू करा दिया जाए। ऑनलाइन के जमाने मे बस फोन खोलिये बटन दबाइए,दुनिया आपके मुट्ठी में। झटपट लड़के की बहन ने अपने भाई को फोन कर दिया। लेकिन लड़के ने वीडियो कॉल उठाने से मना कर दिया। उसके बाद माहौल बिल्कुल शांत हो गया,और पायल को अंदर भेज दिया गया। कुछ समय के बाद लड़के की माँ और पिता ने एक साथ कहा बहन जी हमे तो ये रिश्ता पसंद है।अब तो रिश्ता जुड़ गया है तो क्यों न अब बस लेंन देंन कि बात हो जाए। क्यों नही माँ ने हुकारी भरी। देखिए अब हमारा लड़का तो विदेश में रहता है तो सामान लेकर क्या करेंगे? बल्कि उसके बदले आप हमें दस लाख कैस दे दीजिएगा और एक कार। कार की पसन्द तो हमारे बेटे की होगी वो हम आपको फोन पर बता देंगे। दूसरा बाराती में बारह सौ आदमी रहेंगे,शानदार फाइव स्टार होटल ही बुक कीजिएगा। मगर भाभी जी इतना दहेज कैसे दे पाऊंगी पायल की ही शादी नही है मेरी और भी तीन बेटियां है। अरे आप पहले शादी तो कीजिये बाकी की तो हम निपटा देवेंगे। इतना क्या सोच रही भाभी जी। मगर पायल की माँ का चेहरा फीका पड़ गया। ये सब पायल अंदर से सुन रही थी।उसने बिन सोचे समझे ही उन दहेजलोभियो को भिगो भिगो कर देने की तय किया और कमरे से बाहर आई।

क्या हुआ माँ तय हो गयी शादी? मिल गयी खुशी या अभी दो - चार और भिखमंगो को बुलाऊ। इतना बोलते हुए पायल ने कटोरा लड़के की माँ की ओर बढ़ा दिया। ये लीजिये आंटी जी ये आपके लिए इस घर से बेटी तो मिलने से रही लेकिन हां ये कटोरा आपके लिए इसे लेकर आप कही और जाइए और हाथ फैला कर मांगिए। पायल ,चुप्पपप्पप्पप्प मेहमानों से ऐसे बात करते है क्या माँ ने पायल को डांटते हुए कहा। मेहमान... कहा है मेहमान ये तो भिखारी है माँ। इनके घर भेज रही तुम मुझे?  जिनका घर तुम्हारे दिए हुए पैसों से चलने वाला है। ये मेहमान कम भिखारी ज्यादा है। बेटा चांद पर नही गया है ,विदेश में ही है क्या फर्क पड़ता है विदेश में रहे या देश मे। जिसकी खुद की बेटी हो वो लोग दूसरी की बेटी को तौलने- मोलने में क्यों नही संकुचाते? ऐसे लोगों के घर तू मेरा रिश्ता तय कर रही ।

चलिए जी अब हमें और बेज्जती नही करवानी जहाँ कोई इज्जत ही न हो। आंटी जी इज्जत तो अब शुरू हुई है अब पूरी इज्जत उतारे मैं आप लोगो को यहाँ से जाने नही दूंगी? आप जैसे दहेजलोभियों को अपनी औकात पता होनी जरूरी हैं। बेटी हूँ इसका मतलब् ये नही किसी के पैर की जूती हूँ।

पायल बस अब चुप्पपप्पप्पप्प.. बहुत हुआ। क्यों ऐसे बोल रही। शादी तो करनी ही है न कि जीवन भर सर पर ढोये तुझे। तेरे साथ इन तीन बहनों को। वाह मॉ क्या गजब की सोच है आपकी। कोई आपको आपके दरवाजे पर आपकी ही बेटियों को तोल रहा आप हो कि ऐसे भिखारियों के लिए मुझे डाँट रही। बस माँ बस...बहुत हुआ सम्मान।

आपको चिंता हमारी नही इस समाज की है , इस दुनिया की है,उन चार लोगों की है जो आपकी इज्जत उछालेगे। उनके लिए हम कर ले शादी? क्यों कर ले शादी? क्या हम अकेले जी नही पा रहे? जिस समाज मे ये कहा जाता है बेटियां किसी से कम नही तो क्यों जरूरत है एक मर्द की? जिस दुनिया मे बेटी होने पर गर्व महसूस कराया जा रहा वहाँ क्यों आप जैसे लोगो को हम बेटियां बोझ लगते हैं? आज के बाद कान खोलकर सुन लीजिए; मुझे नही सुनना अब कि कोई लड़का देख ले ,शादी कर ले तेरी ओर बहने है।ये दुनिया क्या कहेगी,ये समाज क्या कहेगा?नही मतलब है मुझे ऐसे दुनिया की ,जहाँ लड़कियों को तोला जाए। नही मतलब है ऐसे समाज की जहाँ एक स्त्री को बोझ के सामान समझा जाए।नही जरूरत है मुझे ऐसे शादी की जिसका घर हमारे पैसों से चले।नही चाहिए मुझे ऐसा मर्द जिसके लिए कल को मैं सिर्फ और सिर्फ एक नौकरानी रहू। अरे इतना पढ़ाने लिखाने का क्या मतलब निकला माँ? ऐसा क्या हो जाएगा जो मेरे जिंदगी में मर्द आ जाएगा? आज पापा के गुजरने के बाद आप ही हमे अकेले दिन रात संघर्ष करके बड़ा की है ना,क्या मिला आपको कौन सी खुशी मिली? कुछ नही मिला जिम्मेदारी के सिवा। कब किसका कितने दिन का साथ है नही है ये तो भगवान के हाथों है,लेकिन इतना भी क्या जो कर लूं शादी। आज पैतीस - चालीस साल की हो चुकी हूं,तब तो जरूरत नही पड़ी किसी मर्द की अब क्या जरूरत पड़ी है शादी की।ऐसा क्या बदल जाएगा मेरी जिंदगी में एक मर्द आ जाने से, जब सड़को पर खुले आम रोड छाप लड़के मुझे छेड़ते थे,सीटी बजाते थे,तंग करते थे,पीछा करते थे,तब तो मैं अकेले ही काफी थी तो आज क्यों??
                   सिवाय इसके कि वो हमें बात बात पर टोके, बात बात पर हमें नीचा दिखाए। और हम जब हार जाए या सब्र की सीमा टूट जाये तो हर रोज उन्हें हर बात बात पर जवाब दे। उसके बाद भी वो हमें बात बात पर टोके क्यों कर रही हो ऐसा? बात बात पर शक करे किससे बात कर रही हो? मेरे पीठ पीछे ही क्यों बात करना? कल को मेरी अपनी कुछ मर्जी हो तो उसमें भी उँगली, कहा जा रही हो ? क्यों जा रही हो? या मान ली दे दी उसने मुझे आजादी तो एक न एक दिन तो चुनी खड़ी होनी ही है कितना घूमती हो? किससे मिलने जा रही हो ? अब उनके इस टॉर्चर को सहो क्यों सहो? हमारी कोई पसन्द नपसंद नही? हमारे जीने का अधिकार हमारे सास लेने का अधिकार क्या उनके हाथ मे है क्यों है ? क्यों दे हम उन्हें इतना अधिकार? ऊपर से नौकरी करने की बात करलो तो उनकी जमीर छोटी पड़ जाएगी। उसमे भी दस सवाल उठ जाएंगे अब तुम बाहर काम करोगी तो घर का काम कौन करेगा। तुम नौकरी करोगी तो घर की रोटियां कौन सेकेगा। तुम घर मे बस चुप चाप रोटियां बनाओ! क्यों बनाए हम रोटियां हम पढ़े लिखे नही है? नही उनकी फ्री की नौकरानी जो बाहर निकल जाएगी,तो उनकी औकात तो छोटी हो ही जाएगी?अब नौकरी ना करो उनपर डिपेंड होकर कुछ अपने पसन्द का कर लो तो भी चूल, कितना शॉपिंग करती हो। तुम्हारे बाप का पैसा नही है जो इतना खर्च करती हो। किसी पार्टी में आपको गलती से भी अपने साथ ले गए तो आप सबसे बड़ी गवारीन है,चार आदमी के आगे उन्हें अपनी बीवी हमेशा खराब लगेगी। तब वो आपको ड्रेसिंग सेंस समझाने लगेंगे। इतने सालों तक क्या मैं बिन ड्रेसिंग सेंस के कपड़े पहन रही हूं?

अगर गलती से कह दी मुझे गाड़ी ड्राइव करना है तो फिर क्या आपको बोलेंगे तुम्हे गाड़ी चलाने भी आती है। तुम्हें तो सिग्नल के सेंस भी नही पता। जिस लड़की को होल्डर में बल्फ़ लगाने न आता हो वो ड्राविंग क्या खाक करेगी। उसपर भी आपत्ति अरे भाई तुम्ही हमे सीखा दो, तुम कौन सा पेट से सिख कर आये हो? इतना तक तो तभी चलता है शादी के बाद घर परिवार को बच्चा चाहने लगता है , अब उनकी ख्वाहिश पूरी हो गयी तो पतिदेव बात बात पर नीचा दिखाएंगे की तुम कितनी मोटी हो गयी हो थोड़ा डायटिंग करो? अरे क्या आजतक किसी महिला ने कहा तुम खुद को देखो कितनी तोंद आ गयी है,रात को खर्राटे लेते हो? नही कहा क्यों पतिव्रता जो ठहरी। कभी खाने में उनीस बीस हो जाए तो उसमें भी चूल चार आदमी के आगे आपको शुरू हो जाएंगे फटकारना ,तुम्हे तो कुछ आता ही नही है। खाने में कितना नमक डालती हो। चाय में शक्कर क्यों इतना डालती हो खुद कमाओ तो आटा- चावल का भाव समझ आए? माँ शादी क्या टॉर्चर होने के लिए कर ले? जहाँ बहू की तुलना की जाए सबसे या टैग लगाने के लिए की मैं शादी शुदा हूँ?

साला लड़किया पटाना होगा तो रात रात भर शायरी बाजी गलचौर करेंगे। जैसे ग़ालिब के औलाद हो।ऑनलाइन में हिडन होकर बात करते है तो खुद को सुपर स्टार समझते है। इतना रिश्ता तय करना था तो मिलने नही आए कैसे आते बताते कैसे की हम विदेश में रहते है?वीडियो कॉल की गई तो खुद को व्यस्त बता रहे भले ही मौज कर रहे हो वहाँ ऐसे बन्दे के गले बंधने से तो अच्छा है बे शादी शुदा रहू। जब लड़की भाव न दे तो खुद को ढाई सौ रुपये का चिकन समझ लेंगे। जैसे लड़की ने लाइन दी तो खुद को चार सौ रुपए का तंदूरी चिकन समझ लेंगे। तो मैं क्यों झेलूँ ऐसे मुर्गे को? क्यों झेलो आप जैसे माता पिता इन दहेजलोभियों को बेटा ही है न कोई हूर परी तो नही ,जिसके मिलने से मेरी किस्मत का तारा चमक जाएगा और आपके घर मे धन की वर्षा? क्यों भरोसा करना कि ये कल हमारी बहनों की शादी करवाएंगे या नही। कमजोर होना या बेटी होना गुनाह नही है माँ; गुनाह है ऐसे लोभियों का मन बढ़ाना।आंटी जी आपकी भी लड़की है दूसरे की लड़की तो आजतक किसी ने नही समझी तो आपसे क्या उम्मीद लगाना। लेकिन यहाँ आपको रिश्ता मिलने से रहा आप जा सकती है।नमस्कार पायल ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए हाथ जोड़ लिया । उस रोज पायल की माँ ने कई महीनों पायल का मुँह नही देखा लेकिन एक रोज एक ऐसा रिश्ता आया जो उनके घर के लिए वाकई एक भगवान के रूप में सामने आया। आज उसकी माँ के रहते सबकी शादी हो गयी। पायल और उसकी सभी बहने आज खुशहाल है। दहेज प्रथा पर लगाम कसना जरूरी है।न जाने कितने परिवार दहेज की वजह से दूसरे के कर्जे से लद जाते है ऐसी शादियों से अच्छा बिन शादी। जहां दहेज न दिया मुँह मांगा तो जीवन भर लड़की को तंज कसते है। ऐसे उत्पीड़न पर चुप्पी नही आवाज उठानी चाहिए। 

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