ससुराल के व्यंग्यबाण | कहानी - 9



अरे सुनीता भाभी!मम्मी जी ने छत से आवाज लगाई। जी विमला भाभी आज शाम को छत पर सुनीता आंटी ने जवाब दिया।अरे हमारे यहाँ गांव से खूब आम आया है कल आइएगा आम्फर्नी लेकर साथ काटेंगे और आधा आप ले जाइयेगा आधा हम रख लेंगे।हमारे यहाँ तो सिर्फ यही अचार के शौखिन है।ठीक है इतना कहकर मम्मी जी नीचे आ गयी। आज सुबह ही सुबह पड़ोस की सुनीता आंटी आम्फर्नी लेकर धमक पड़ी। थोड़े देर चाय शाय पीकर दोनो लोग सामने वाले रूम में बैठकर आम काटना शुरू कर दी।

अब आम सूखे - सूखे तो कटने से रहा, जब तक दो चार घर की बुराई ना हो जाए। सुनीता आंटी शुरू हुई अरे भाभी जानत हऊ अरे वो जो अपनी सीमा भाभी है उनकी बहू तो पेट से है,एक काम नही करती। सब वही करती है,इस तरह बात शुरू हुई और होती ही चली गयी। अब बात होते होते उनकी खुद की बहू की शुरू हो गयी एक कसर ना छोड़ी। भाभी हमारी तो किस्मत ही खोटी निकल गयी क्या बताऊँ मेरी बहु तो बहुत चालाक है। मेरे बेटे को अपने पीछे लगा के रखी है।अरे ऐसा क्यों कह रही भाभी मम्मी जी चौक कर पूछी।सुनीता आंटी  दो मिनट रुक कर बोली मेरा बेटा तो हमारी सुनता ही नही है बहुत परेशान है  भाभी। ये आजकल की बहुएं घर पर आते ही पति को कब्जे में रख लेती है।

दो पल तो सब सन्नाटा रहा लेकिन कहा गप्पें इतनी जल्दी रुकने वाले मम्मी जी ने सुनीता आंटी से फिर पूछा  आपकी बेटी कैसे है। शादी के बाद सब ठीक तो चल रहा ना।खुश तो है अपने घर में।सुनीता आंटी बिना रुके बोली मेरी बेटी तो बहुत खुश है। भाभी जी क्या दामाद पाया है मैंने बिल्कुल हीरा।दामाद जी उसकी हर बात मानते है ,कभी भी उसे किसी चीज़ के लिए मना नही करते। ..... ओर तो ओर अगर उसके सास ससुर कुछ बोलते है तो वो उन्हें वापिस बोल देते है कि हमारा जो जीं में आएगा वो हम करेगे। हमारी पत्नी है उसका हाथ ही बटा दिया तो क्या गुनाह किया।
ये सारा वृतांत में किचन में खड़ी हो कर शांति से सुन रही थी कि देखो भला अपनी बेटी को दुखी देख नही सकती, तो क्या दूसरो की बेटी जो आपके घर बहू बन आयी है उसे परेशान करना सही है उसे बात बात पर तंज देना सही है। मुझे नही लगता कि कोई हक़ है उन्हें दूसरो की बेटियों को कुछ बोलना। वाक़ई, बेटी और बहू दोनो ही एक ही तराजू पर तौलती है बस जगह बदल जाती हैं। 

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