ज्यादा नही बस इतना कहूंगी...

ज्यादा नही बस इतना कहूंगी...
"उंगली पकड़ के तूने,चलना सिखाया था ना
दहलीज़ ऊँची है ये पार करा दे,बाबा मैं तेरी मलिका,टुकड़ा हूँ तेरे दिल का,इक बार फिर से दहलीज़ पार करा दे"

एक पिता के लिए अपनी बेटी के प्रति जो प्रेम रहता है वो अट्टू प्रेम भाव तब देखने को मिलता है जब उसकी बेटी की शादी होती है,पूरे जिम्मेदारी को पूर्ण करते पिता तब थोड़े डल पड़ते है जब उनकी बेटी की डोली उठ रही होती हैं। जहाँ एक ओर पिता बेटी को हिम्मत देते है वही दूसरी ओर खुद कोने में या भीड़ में मुँह करके ,चुपचाप आँसू बहा लेते है। ये पीड़ा एक पिता ही समझते है जब उनकी लाडो पीहर के आँगन चल देती हैं। #हैप्पी फादर्स डे

यूं तो जिन्दगी मे बहुत से रिश्ते देखे है,लेकिन जो हमें अपने कंधों पे बिठा के सारा जहां दिखाए,वे कंधे की ऊंचाई किसी पर्वत की चोटी से कम नही लगती। हा वही से तो शुरुआत हुई थी दुनिया को समझने की।बाहर से सख्त और भीतर से नर्म,मगर अपनी बेटी के वक़्त दुनिया भर के सारे दुःख और दर्द भूलकर उसे कुछ यूं अपनी गोद में बिठा लिया करते मानो परियो के देश से कोई शहजादी आई हो। माँ सदैव तंज कसती बाप बेटी को कोई काम नही है , पता नही क्या कानाफूसी चलती हैं। जब जवाब न मिलता या बेटी से जरा सी भी किसी बात पर चूक हुई तो माँ किसी बैट मैन से कम नही तुरन्त मौके पर चौका मारके, खिसियाके कहती सब आपकी देंन है और चढ़ा कर रखिए सर पर इसे। बिगड़ैल हो गयी है। किसी की नही सुनती। ना जाने कितनी शिकायते कर डालती है माँ।

पिता वह होता है जो अपनी बेटी के लिए सारी दुनिया से लड़ जाए। बिन कहे ही सब समझ जाएं।इसीलिए तो हर एक बेटी के लिए अपने पापा एक सुपर हीरो से कम नही होते। घर की खुशी ,खुद की तकलीफ को अनदेखा कर जब अपने लाइफ को मजबूत करते है वो है पापा। जिन्होंने कभी बेटी होने पर नाराजगी न व्यक्त की वो है पापा।सर का ताज बना कर रखने वाले शख्स कोई और नही वो वही तो है पापा। इस पापा शब्द में अनेको राज छुपे है जो देख कर भी अनदेखा कर देते है।एक पेड़ के समान सदैव अपनी छाया बनाये रखने वाले वो है पापा। जब बेटी ब्याह कर जाती है तब सबसे नजरें चुरा कर नम आंखों से मुलाकात कर ही लेते है पापा। खाने में कितनी भी कमी हो उंगलियों को चाट कर खाने वाले पापा कहते है ,वाह क्या स्वाद है। कल तुम्हे कुछ नया बनाना सिखाऊंगा। पापा वो है जो बच्चो मे कभी फर्क नही करते। आवाज सख्त है मगर उसके पीछे एक निश्छल प्यार भी छिपा हुआ है।छोटी सी नौकरी मे भी बेटी की  हर बड़ी ख्वाहिश पूरी करते है पापा। जिंदगी का वो अटूट विश्वासरुपी धागा जो हमारे गिरने से पहले ही हमे थाम ले वो है पापा।

याद है मुझे अच्छे से आज भी वो दिन जब छलक गए थे आँसू पिता को ओटी में अंदर छोड़ते वक़्त। चन्द पल को लगा उंगलियां छूट गयी,मगर हिम्मत ने नतमस्तक करा दिया तब जब पिता के ऑपरेशन में साइन को बुलाया गया। कांप गए थे ये हाथ उन पेपरों पर साइन करते वक़्त, आंखे मूंद भगवान को नमन कर दिया मैंने उन पेपरों पर साइन। रिस्क था ,लेकिन उस रिस्क को स्वीकारना ही मेंरा धर्म था। पिता थे मेरे आंखों के आगे उनकी तकलीफ घूम रही थी,लगा अगर साइन न किया तो भी उन्हें कुछ हो सकता है,हिम्मत के साथ फैसला लिया। शुरुआत हुई ऑपरेशन की पिता से मिलने के लिए ओटी के बाहर डॉ आवाज लगाने लगे। दौड़ कर गयी पापा कुछ यूं सुस्त थे,मानो पहचानना भूल गए हो। आंखों से आंसू दो पल को गिर ही गए। बाहर बैठे रिश्तेदारों के आवाज कानो में गूँजने लगे,क्या तुम इतनी बड़ी हो गयी हो कि इतना बड़ा रिस्क लेकर साइन कर दी। अभी कुछ हो जाए तो। दिल धक कर गया। तभी पिता ने आवाज देने की कोशिश की और मुँह खोलने लगे,एनेस्थीसिया का असर कुछ यूं था कि हाथ पैर सब सुन थे। मैने उनके माथे को सहलाते हुए पूछा अब सब ठीक है ना। वो मुस्कुराए उनकी मुस्कुराहट ही मुझे हिम्मत दे दी। वक्त बीतता गया,दिन रात एक कर पिता की सेवा में तत्यपर रही आज वही पिता मेरे अस्पताल से लौटने के बाद बारजे पर खड़े हो मेरी राह तकते है। मेरे पहुँचते ही अपने हाथों से गरमागरम चाय बनाते है। झटाझट खाना गर्म करके परस देते है। वाकई यही है वो पिता,जिनके लिए आंखों से आंसू गिर जाते है। जान है शान है हमारे पिता। #लव यू पापा










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