ससुराल के व्यंग्यबाण | कहानी - 12


अरे क्या जरूरत थी तुझे निकलने की हाय अपनी बड़ी बहन का रिश्ता फिर से खा गयी । हर बार ऐसा ही कुछ ना कुछ कर बैठती है कि उसकी शादी ही रुक जाती है। पता नही किस बुरी घड़ी में मैंने इसे जन्म दे दिया काला साया कहि की। हाथ धोकर पीछे पड़ गयी है अपनी बहन के पीछे। हर बार रिश्ता टूट जाता है बिचारी का।

दिल तो सबके पास होता है,मगर हर कोई दिलवाला नही होता काव्या! रत्ना ने काव्या को समझाते हुए कहा। हो सकता है मम्मी जी गलत हो। तुम्हारी शादी भावना जीजी से पहले ही लिखी हो जो हर बार तुम्हारी वजह से कट जाती हो। मैं बात करूँगी काव्या तुम परेशान मत हो मैं हूं ना। भाभी आप कुछ मत बोलना अभी आप नए हो माँ मेरी वजह से आपको भी कुछ बोल देगी तो तक़लीफ होगी मुझे, काव्या अपना आँसू पोछते हुए बोली। ऐसे ही मेरा सिर भारी हो रहा। कॉलेज से थकी हारी आई और आते ही काम बिगाड़ दी। आप गलत समझ रही। मैं हूं ना बात करूँगी। मम्मी जी और पापा जी से। रत्ना ने हिम्मत जुटाते हुए सबके खाने के बाद धीरे से कहा पापा जी मुझे कुछ बात करनी है आप लोगो से। हाँ बोलो बहू क्या बात है ससुरजी ने प्यार के भाव से पूछा। वो ..वो पापा जी मुझे माफ़ करियेगा मैं बस इतना कहना चाह रही हूं कि अगर भावना जीजी से पहले काव्या का रिश्ता बार बार लग जा रहा है तो क्यों ना हम लोग काव्या की ही शादी कर दे। मेरा मतलब क्यों ना इनकी सगाई कर दी जाए जिससे कोई अड़चन ही ना आए भावना जीजी के रिश्ते में। बहू सासूमाँ ने कड़क आवाज में डाँटते हुए कहा- तुम्हारी  इतनी हिम्मत की तुम चार दिन की आयी लड़की हमें ज्ञान दोगी। हमे बताओगी की क्या करे क्या ना करे। तुम इस घर की मालकिन नही हो जो अपना फैसला सुना रही। हम मर नही गए जो तुम तय करोगी की हमे क्या करना है क्या नही।

अरे भग्यवान शांत हो जाइए ,ऐसा क्या गलत कह दी बहू। सही तो कह रही। हो सकता है सब मामला ठीक हो जाये। ससुरजी सासूमाँ को समझाते हुए बोले। अरे आप तो चुप ही रहिए दूसरे  घर की आई लड़की की बात आपको बड़ी जल्द ही समझ आ गयी।मम्मी जी माफ कीजिएगा मैं दूसरे घर की लड़की जरूर हु , मगर ...आपके घर की भी बहू हूँ। कोई सामान नही जो आप इस तरह सुना रही।
सुन लिए चार दिन ना हुए इसे आये इस्की जुबा देखिए कैसे चलती है। उस दिन पतिदेव भी नाराज थे। लेकिन ससुरजी ने मम्मी जी को समझा लिया और काव्या का रिश्ता तय कर दिया गया। मँगनी होने के बाद ही भावना जीजी की भी लग्न लग गयी। इस तरह से मेरी दोनो ननद की शादी एक ही साल में महीनों के अंतर में कर दी गयी।
आज वो दोनों ही अपने अपने घर मे खुश है। अब वही सासूमाँ प्यार से बात करने लगी,ज्यो कभी बात बात पर ताने मरती। 

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