घुम्मकड़ लड़कीं के साथ आप चल रहे है प्रयाग ,रावण की शोभायात्रा में

हेल्लो दोस्तों ,
कैसे है आप। आज की यात्रा में हम चल रहे है भारत के उत्तर प्रदेश राज्य यूपी के इलाहाबाद शहर में जहाँ इकलौता ऐसा देखने को मिलता है, रावण की बारात


सच सुन रहे है आप ,आज तक राम की सवारी, शोभायात्रा ही देखी होगी आपने मगर हम आपको प्रयाग के इस प्राचीन परंपरा को दिखाने ले कर आए है इलाहाबाद जहाँ हजारों की संख्या से भी ऊपर लोग दूर-दराज से आ कर इस लंकापति नरेश रावण की यात्रा के दर्शन करते है, साथ ही जय लंकेश के नारे से रामलीला के पृष्ठ को खोल देते है। इस निकाली गयी यात्रा से ही शुरू होती है रामलीला...!

कहा जाता है बिन रावण के रामलीला भी सुना है।रामलीला के मंचन में राम के साथ ही रावण के पात्र का भी उतना ही महत्व है,जितना राम का। बगैर रावण के रामायण पूरी नहीं हो सकती।इसीलिए रावण को पूरी कथा में मुख्य स्थान दिया गया है। 
     देश में ऐसे कम ही स्थान हैं जहां पर रामलीला के पूर्व रावण की शोभायात्रा उसके पूरे राजसी वैभव को प्रदर्शित करती हुई देखने को मिले।मात्र इलाहाबाद शहर में ही सिर्फ श्री कटरा रामलीला कमेटी द्वारा ही ये देखने को मिलता है ,जहाँ सालों से रावण की शोभायात्रा निकाली जा रही हैं।

ये परम्परा आज भी उसी तरह कायम है,जो कि सालों से लगातार पितृ पक्ष में कृष्ण पक्ष की एकादशी को महाराज रावण की शोभा यात्रा पूरी भव्यता के साथ निकाली जाती है। इस बार भी इस यात्रा में वही परंपरा देखने को मिली जो हर वर्ष देखने को मिलता है।

      गाँजे बाजे के साथ जब निकल पड़े लंकेश

बीती रात भी जब रावण हाथी पर बैठकर अपनी बारात लेकर निकला तो उसे देखने के लिये सड़कों पर भीड़ उमड़ पड़ी। रावण की ये भव्य शोभा यात्रा जितनी भव्य थी उतनी ही विशाल। आज की रात रावण अपने पूरे परिवार के साथ शहर में भ्रमण के लिये निकलता है।जिसकी शुरुआत भारद्वाज आश्रम से होती है...अब मन मे तो सवाल उठे ही होंगे,की आख़िर भरद्वाज आश्रम से ही क्यों की जाती है शुरुआत? तो हम आपको बता दे कि .....ऋषि भारद्वाज के वंशज थे रावण।


लंकापति रावण की शोभायात्रा निकालने के पीछे के कारणों के बारे में श्री कटरा रामलीला कमेटी के अध्यक्ष गोपालबाबू जायसवाल बताते है कि रावण ऋषि विशर्वा की संतान थे और ऋषि विशर्वा महामुनि भारद्वाज के वंशज थे। इसी कारण कमेटी की ओर से लंका नरेश की शोभायात्रा निकालने की परम्परा चली आ रही है, जिसमें रावण के पूरे वंश पर आधारित झांकियों का प्रदर्शन किया जाता है। उन्होंने बताया कि इसीलिए श्री कटरा रामलीला कमेटी की ओर से रावण वध भी नहीं किया जाता।

आग उगलते रावण की सेना, तो कही झाड़ फूक करती नरमुंड, माँ काली का स्वांग और रामायण की शुरुआत,मेघनाथ, कुंभकरण, मंदोदरी और विभीषण की चौकियों का प्रदर्शन किया गया। साथ ही रथ, हाथी, घोड़े, विजय ध्वज पताका के साथ शाही धुन बजाते हुए रावण के जीवन और उससे जुड़े प्रसंगों जिनमें मुख्य रूप से रावण द्वारा शिव उपासना, शिव तप, रावण दरबार में अंगद पर आधारित प्रसंग समेत अन्य कथाओं पर आधारित करीब दो दर्जन झांकियों का प्रदर्शन किया गया। हम कह सकते है कि एक बार फिर रावण की सवारी में शहरियों को प्राचीन भव्यता देखने को जरूर मिली है।  


तो आज की यात्रा कैसी लगी आपको इस घुमक्कड़ लड़कीं के साथ जरूर बताएं और कभी अवसर मिले तो इन प्राचीन परंपराओ को भी देखने जरूर आए।


 





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