नव दिन माई के दसम दिन विदाई के - पार्ट 2

     दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु |
     देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||



https://youtu.be/7X15b7zzR_U

नमस्कार ,
आप सभी को और आपके पूरे परिवार को एक बार फिर मेरी तरफ से नवरात्र की ढेरों शुभकामनाएं! आज की यात्रा में मैं घुमक्कड़ लड़कीं आपको लेकर चल रही हूं ,मिनी बंगाल के दुर्गा घाट।

सही सुना आपने आज की यात्रा हम निकल पड़े है देवी दुर्गा के  द्वितीय स्वरूप माँ ब्रम्हचारणी  के दर्शन करने।जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि काशी में अपने नव स्वरूप में स्वयंभू यहाँ विराज्यमान है देवी दुर्गा ब्रम्हचारणी के रूप में।




https://youtu.be/7X15b7zzR_U

तो चलिए फिर देर क्यों .... हम निकल पड़े है कैंट से सीधे मैदागिन और वहाँ से बाबा कालभैरव धाम की सड़क को ...,अरे अरे रुकिए जल्दबाजी में कदमताल आगे न बढ़ जाए। बाबा कालभैरव से सीधे किसी से भी पूछे कि पंचगंगा घाट कहा है आपको बड़ी सरलता से लोग वहाँ तक पहुँचा देंगे। फिर थोड़ा पुण्य प्राप्त करने के लिए मेहनत तो जरूरी है न.... तो फटाफट से उतर लीजिए सीढ़ियों से पंचगंगा घाट पर ओर दुर्गा घाट की ओर बढ़े, ये इसके बगल वाला घाट ही है। अंदर अंदर हो सकता है आप पहुँच भी जाए या कंफ्यूज हो जाए तो इसे बेहतर है घाट वाक.... । वहाँ से दुर्गा घाट के सीढ़ियों पर ऊपर चढ़ कर आप बड़ी ही सरलता पूर्वक माँ ब्रम्हचारणी के धाम पहुँच सकते हैं।

स्थानीय निवासी रामभवन सिंह जी बाबा बताते है कि इनके दर्शन को दूर दराज से लोग आते है। नवरात्रि के दूसरे दिन खास भीड़ उमड़ती है जैसा की आज है। आज के दिन साधक अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं।




उन्होंने बड़ी सरलता पूर्वक देवी ब्रम्हचारणी के धाम पहुँचा दिया,वहाँ के महंत से मुलाकात कराई जिन्होंने बताया कि आज पूरे दिन खास रहेगा। कुछ समय के लिए पट बन्द होगा।उन्होंने बताया कि  ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है। इस दिन साधक कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए भी साधना करते हैं। जिससे उनका जीवन सफल हो सके और अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकें।

माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता।

माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान ’चक्र में शिथिल होता है। इस चक्र में अवस्थित मनवाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है।
इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

उन्होंने बताया कि प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे यदि  कंठस्थ कर नवरात्रि में द्वितीय दिन इसका जाप करे तो बहुत ही फलदायक है।

हे माँ! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।

काशी खण्ड के अध्यय 70 में यह वर्णित है कि यह त्याग और तपस्या की देवी हैं, जिन्हें वेद-शास्त्रों और ज्ञान की ज्ञाता भी माना गया है। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत भव्य और तेजयुक्त है। मां ब्रह्मचारिणी के धवल वस्त्र हैं। उनके दाएं हाथ में अष्टदल की जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित है।

पौराणिक कथाओं अनुसार मां ब्रह्मचारिणी, जिन्हें मां भगवती भी कहा जाता है, उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए एक हजार वर्षों तक फलों का सेवन कर तपस्या की थी। इसके पश्चात तीन हजार वर्षों तक पेड़ों की पत्तियां खाकर तपस्या की। इतनी कठोर तपस्या के बाद इन्हें ब्रह्मचारिणी स्वरूप प्राप्त हुआ।

ऐसी मान्यता है कि जो भी साधक या भक्त मां भगवती का व्रत करता है वह कभी भी अपने जीवन में नहीं भटकता। वह अपने मार्ग पर अथिर रहता है और जीवन में सफलता को ही प्राप्त होता है। मां भगवती अपने भक्तों को तपस्या करने की शक्ति प्रदान करती है, उन्हें अपने आशीर्वाद से एक खास ऊर्जा देती हैं। जीवन में कठिन से कठिन परिश्रमों को पार करने की शक्ति देती हैं।

वही छोटे बच्चों को ज्ञानबोधि शक्ति प्रदान करती है। इसीलिए आज के दिन लम्बी लम्बी कतारों में बच्चो की भी कतार लगी हुई है।


मैं आशा करती हूं आप सभी कुशल मंगल रहे। तो कैसी लगी हमारी आज की यात्रा जरूर बताएं, हो सके तो माँ ब्रम्हचारणी के धाम अवश्य आए।

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