एक याद पुरानी है...!



तेरी मेरी कहानी है,
बारिश न समझे तो अँखियों का पानी है,एक याद पुरानी है ...प्यारा उमंग जोश वो सारे गुलदस्ते टूट गए। जब प्रिंस ने रीति का दिल तोड़ दिया।लेकिन ये सवाल पहली बार नही कई बार हो चुका है, आख़िर क्यों लोग हर प्यार को एक टाइम पास प्यार का नाम दे देते है? आख़िर क्यों प्यार में उतनी तकलीफें है जितनी खुशी है? आख़िर क्यों ये समाज इन्हें अपनाता नही?? आख़िर क्यों इनके परिवार नही समझते ???क्यों ?? क्या प्यार करना इतना गुनाह है कि हर कोई हीर रांझा ,लैला मजनू न जाने कितने प्यार करने वालो को फॉलो करते है?

मेरा सवाल उनसे है जिसने दिल तो बड़े प्यार से मांगा,वक्त के साथ बड़ी नफ़रत से उस दिल को यू लौटाया मानो दिल ने ही सारी गलती की हो? क्या प्यार एक तरफ़ा होता है?? क्यों लोग प्यार में झूठ बोलते है?? क्यों सपने बुनते है जब उसे निभा नही सकते??

जानती हूँ वक़्त के साथ सब बदल गया, आप मेरे कभी थे अब नही। ये आख़िरी पन्ना है मेरे प्यार का...इसके बाद प्यार कभी जन्म नही लेगा!

आज मैं ये चिट्ठी आपके नाम लिख रही हूं, हो सके तो जवाब जरूर देना...

डियर हबी,

आज इन सभी निशानियों के साथ खुद का अंत कर रही हूं। मैं तुम्हे गलत तो नही मगर सही भी नही कह सकती। ये बाते सिर्फ आपसे है ...पहली मुलाकात से आख़िरी मुलाकात तक के सफर को मैंने खुशी खुशी जिया है।शायद अब हिम्मत नही की एक बार फिर किसी को ये दिल सौप दु ,वो खेले,बहुत खेले फिर तोड़ दे। मैं कोई खिलौना नही ,जो जब तक जी किया खेला जाए। मैं भी एक लड़की हु ,मैं भी सपने बुनने का अधिकार रखती हूं। जब जरूरत नही थी तुम्हारी तब तुमने मेरा हाथ थाम लिया,आज जब तुम्हारी जरूरत है तो बीच मझधार में छोड़ दिया।

एक बार कोशिश तो कि होती मुझे पाने की ,क्या तुम्हें जरा भी तकलीफ नही??क्या मैं इतनी बुरी हु जो मुझे बीच सफर में छोड़ दिया। ये कहकर कि तुम्हे तो फिर से कोई मिल जाएगा। तुम इतनी सुंदर हो।

सुंदर तो मैं आज से पहले महज करीब 9 साल पहले थी,जब तुम्हें मिली थी। जिसकी खूबसूरती पे तुमने अपने दिल को हार दिया। क्या तुम्हें कुछ भी नही याद आया ?? क्या मैं तुम्हे कभी भी याद नही आऊँगी?? आज भी भरोसा नही होता कि आप वही हो जिसे 9साल तक हमसफ़र मानी। क्यों खेलते है लोग किसी के दिल से किसी के भावनाओं से??? क्यों नही समझते कि हर लड़की एक जैसी नही होती??क्यों नही समझते लोग क्यों नही???

प्यार पाना पसन्द है तो निभाना क्यों नही? एक छोटी सी जिंदगी में छोटा सा प्यार मिला जिसने जीवन की हर बात सिखाई । जिसने इस समाज से रूबरू कराया। जिसने मेरी हर तकलीफ को अपने तकलीफ से जोड़ा??जिसने मेरे मुस्कुराहट से मेरी आंसू को भी पहचाना???अगर नमक कम हो तो उसे वो भी अहसास हो जाता??मेरी हर चीज बिन बोले पता हो जाना तुम्हारा प्यार था , ओर आज मुझे छोड़ देने के बाद कभी ये महसूस नही हुआ कि एक याद पुरानी है जिसमे तेरी मेरी कहानी है।

आज क्यों नही मेरे आंसू महसूस होते ??क्यों नही मेरी आख़िरी सासों की सास तुम्हे महसूस हो रही???आखिर क्यों नही आज जान की याद आ रही??आख़िर क्यों नही तुम्हे उसकी बदन के खुश्बू की याद आ रही ??क्यों नही तुम्हे आज वो महसूस हो रही क्यों नही???

क्या हमारा प्यार सिर्फ समय गुजारने के लिए था। मैं तुमसे आज भी लड़ नही सकती बस तुमसे कहना चाहती हु खुश रहना इतना ही हमेशा चाहा आज भी वही चाहती हूँ।

आज मैं टूट गयी हु ,नही जानती कैसे सामना करूंगी इस दुनिया का मगर इतना जानती हूं कि जीते जी अब किसी को अपने आप से खेलने का मौका नही दूंगी।

रीति प्रिंस जैसे न जाने कितने हमसफ़र है जो मिलते मिलते बिछड़ जाते हैं?लेकिन क्या आप उसके साथ वैसे ही कदम से कदम मिलाकर नही चल सकते। क्या वो वादे कसमे,प्यार सब झूठे हो जाते है??जो अपने कभी उसके साथ निभाने को कहा??प्यार करना आसान है ,प्यार में फिजिकली रिलेशन बनाना भी आसान है,मगर प्यार में दिल को तोड़ देना और रुख मोड़ लेना बेह्द मुश्किल।
ये मेरी दूसरी लव स्टोरी है जिसमे मै ये लिखने का प्रयास की हु की कभी किसी के दिल से न खेले न ही कभी तोड़े। प्यार के रिश्ते को जिस्म से ही नही बल्कि एक दोस्ती के साथ भी लेकर चला जा सकता है। अंत कर देना हमेशा ठीक नही।


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