मंगलकामना वाला " मंगलसूत्र " ??

सवाल हमारे, जवाब आपके !
क्या मंगलसूत्र पहनने से ही हमारा वैवाहिक जीवन सुखी सम्पन्न रहता हैं? क्या मंगलसूत्र पहनने से ही हमारे स्वामी की रक्षा हो सकती है??
क्या मंगलसूत्र पहनने से ही हमारे जीवन मे आने वाले हर पीड़ा दूर हो जाती है?? क्या.......??????सवाल तो लाखों है इस दिल  मे जनाब लेकिन जवाब देने वाला कोई नही??

यदि मंगलसूत्र मंगल कामना ,रक्षा सूत्र ,से जुड़ा हुआ है तो क्यों नही इसे पति को भी पहनाया जाए। ताकि हम औरतों की भी रक्षा हो सके हम भी सुरक्षित रहें।
अगर ये मंगल सूत्र मंगल कामना का प्रतीक है तो हर वैवाहिक जीवन मे आखिर ये खटपट ,नोकझोंक और  तलाक जैसी नौबत क्यों????

अगर यही मंगल कामना पति भी अपनी पत्नी के लिए पहने तो समाज मे जी रही अधिकांश महिलाएं आज 90% खुश रहेगी स्वास्थ्य रहेगी। सुना है जीवन की गाड़ी दो पहिया का साथी है ,अगर जीवन की पहिया पति और पत्नी है तो हम क्यों ऐसे लोगो को अपने पे सवार होने दे कि हमारी निजी दुनिया खुशियों के बजाय नोकझोंक में बीते।

मुख्य सवाल तो यह भी है कि शादी के पहले उस पति की रक्षा कौन करता है?आखिर शादी के बाद ही पति इतना महत्वपूर्ण क्यों हो जाता हैं?? अगर पति इतना महत्वपूर्ण है तो उन सती सावित्री जैसी औरतों को घरेलू हिंसा के चूल्हा में क्यों झोंक दिया जाता है?? क्यों भरी समाज मे उसका चीरहरण किया जाता है??अब ये मत कहिएगा कि चीरहरण तो द्रोपदी का हुआ था। बात तो आप हमेशा इकीसवीं सदी की करते है,उदाहरण हमेशा पुरातन का क्यों???जो देख रहे उसे बोले।

अगर जवाब है तो जरूर बोले ,आखिर उन महिलाओं का क्या जो घरेलू हिंसा के आग में तप रही??उन महिलाओं का क्या जो हर रोज दहेज हिंसा में भूज रही??? उन महिलाओं का क्या जिनके पति शादीशुदा होते हुए भी दूसरी स्त्री के साथ संबंध रखें??उन महिलाओं का क्या जिनके पति रात को पीकर आए और उनपर बैल्ट से प्रहार करे, सड़कों पर सो जाएं??ऐसे ही न जाने कितने सवाल पनप रहें,जिसका जवाब है कोई आपके पास??यदि है तो जरूर बताएं???

अब आज जब ज़हन में मंगलसूत्र की बात पनप चुकी है तो इतिहास के दर्ज पन्नो को एक बार देख लेना चाहिए?क्यों जरूरी है मंगलसूत्र एक औरत के लिए,क्या है इसके जुड़े पीछे के सिद्धांत??

काली मोतियों से पिरोया हुआ,एक माला हम अक्सर शादीशुदा स्त्री के गले मे देखते हैं। जो हर किसी के सौभाग्य में नही होता। इसी काला मोती से बना माला मंगलसूत्र कहलाता है। यह एक शादीशुदा औरत का प्रतीक है। इतना ही नही यह औरतो के स्वास्थ्य से भी जुड़ा होता हैं। कहा जाता है कि  महिलाओं को इसे सकरात्मक ऊर्जा मिलती हैं। वही विज्ञान के नजरिया से अगर देखें तो ये काली मोतिया और इसमें लगें सोने से आने वाली वायु ,जो हिम्युनिटी सिस्टम से जोड़ता है। इसके अलावा आयुर्वेद अनुसार गले मे गोल्ड धारण करने से हर्ट एवम चेस्ट स्वस्थ रहता हैं।

यदि इस हिसाब से देखा जाए तो विवाह का हमारे जीवन मे काफी महत्व होता हैं। ये हमारे जीवन का बहुमूल्य हिस्सा हैं जो क़िस्मत वालों को नसीब होता हैं। साथ ही साथ विवाहित होने का साक्षी बताता है। हमारे हिन्दू धर्म के अनुसार ओर भी कई बाते है जो एक विवाहित महिला के जीवन मे महत्व रखता है। आपको बता दु की विवाह के बाद मंगलसूत्र किसी भी महिला के गले मे जितना सुंदर लगता है उतनी ही वो एनरजेटिक। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि अगर इस काली मोती से निकलने वाली ऊर्जा हम महिलाओं के लिए इतनी जरूरी है तो इसे शादी से पहले क्यों नही धारण किया जाता??

आपको बता दू कि हिन्दू धर्म के अनुसार,मंगलसूत्र को विवाह के दौरान ही पति द्वारा पत्नी को पहनाया जाता हैं। जिससे ये माना जाता है कि यह मंगलसूत्र एक दूसरे की रक्षा के साथ साथ स्वास्थ्य संबंधी बातों से भी जुड़ा होता हैं। जब किसी विवाहित महिला के पति की मृत्यु हो जाती है तो उसके गले से यह मंगलसूत्र उतार लिया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पत्नी के गले मे रहने वाला यह काला मोती जो कि पति के काल को हरता है,उसके आस पास आने वाली हर बुरे साए को दूर करता है। इसमें जुड़े लॉकेट भी पति पत्नी के प्रेम और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। एक शादीशुदा स्त्री के मंगलसूत्र न पहनने पे उसे अधूरा माना जाता हैं।
इतना ही नही ये मंगल सूत्र शिव पार्वती के जोड़े से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि मंगलसूत्र में लगे सोने का हिस्सा माता पार्वती से जुड़ा है। उसमे पिरोई काली मोतिया भगवान शिव से जुड़ा है। जिसे भगवान शिव माता पार्वती रक्षा करते है। इसलिए इसे पवित्र अग्नि के साक्ष्य में ही समस्त देवी देवताओं के आगे पहनाया जाता है।
लेकिन देखा जाए तो एक बार फिर प्रश्न उठ रहे कि यदि यह पवित्र प्यार का बंधन है तो समाज मे हो रही अवहेलना क्या परोस रही??

देखा जाए तो इस सदी में  आज मंगलसूत्र प्यार का धागा नही बल्कि गले का हार बन कर रह गया है। अब इसमें मंगलसूत्र की गलती नही हमारी आपसी स्वभाव और तोड़मरोड़ का नतीजा है। कही पुरूष प्रधान महिलाओं का सम्मान नही करते तो कही महिलाये पुरषों का। आज देखा जाए तो मंगलसूत्र मात्र शादी के बंधन में बंध जाने का काम कर रहा है। जिसे न चाहते हुए भी उन्हें धारण करना पड़ता है। आज महिलाएं मंगलसूत्र को दिखावा मात्र पहनती है। अधिकतर महिलाएं कहती है कि प्यार का बंधन किसी चीज से जुड़ा नही होता, मंगलसूत्र पति के मंगल कामना से जुड़ा है,मगर समाज मे हो रहे उथल पुथल से आज महिलाओं के लिए मंगलसूत्र मात्र समझौता हो चुका है।

कुछ महिलाओं ने इस विषय पर सवाल भी खड़े किए की आखिर इस प्यार और विश्वास के धागे को पुरूष प्रधान क्यों नही पहनते???केवल हम महिलाओ को ही क्यों इस बंधन में बांध कर रखा जाता है???
हम भी आजादी चाहते है,उनके इस वाक्य को सुन मुझे यह प्रतीत हुआ कि कही न कही समाज का ये बदलता रूप रिवाजो का अंत व विरोध कर रहा हैं।

आज भी अधिकतर महिलाएं खासतौर पर हिन्दू संस्कृति की महिलाएं शादी से जुड़े रीति रिवाजों को खुद से ज्यादा तव्वजों देती नजर आती है। जब उनसे बात की तो  कुछ इस तरह के उल्टफेरी जवाब मिले....

● यह हमारा गहना है हम इसे चाह कर भी नही उतार सकते जब तक हम विधवा न हो।

● मंगलसूत्र हमारे सुहाग के जीवन की जीवनी है।

● यह हमारा हक है ,जिसे कोई चाह कर भी नही तोड़ सकता।

● यह हमारे अस्तित्व की ताकत है।

इनकी बातों से मेरे दिमाग मे एक बार फिर कुछ सुलझे धागे गुथने लगे कि आखिर जब यह ताकत, ओर जीवनी है तो क्यों आज समाज मे महिलाओं के साथ दुराचार हो रहा?? क्यों वो प्रताड़ित हो रही??? मान ली कि एक नही 100% में 87% महिलाएं ही गलत है जो उनके साथ इस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा। लेकिन वो महिलाओं की गिनती में कहा करू जो खुद अपने जीवन की पहिया अपने सहारे लेकर आगे बढ़ रही।

ये किस्से ये कहानियां, फिर हमारे जीवन मे क्या महत्व रखते है....???? आप भी सोचे हमें जरूर बताएं??


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