सासु सेहत के लिए तू तो हानिकारक है




देखों जी कान खोलकर सुनलो मैं अब और बर्दाश्त नही कर सकती। किसी भी चीज की हद भी होती है। ये सब अब आम बाते है। वैसे भी जब पड़ोस की बहू कुछ करती है तो मम्मी जी को बहुत भाता है मैं कुछ कर लूं तो इनकी सास अफ़नाने लगती है। अरे मेरी भी कोई जिंदगी है मेरे भी अरमान है।सौम्या अपने राग को लगातार अलापती जा रही थी और बिस्तर पर फैले कपड़ो को तहियते।

अरे यार अब तुम फिर शुरू हो गयी! एक ही तो संडे मिलता है उसमें तुम और माँ मेरे दिमाग की दही करे पड़ी रहती हो रवि खीजते हुए अपना मोबाइल बिस्तर पर पटकते हुए बोले।

हा हा बुरा तो लगेगा ही वो ....वो उनका खून जो दौड़ रहा आपके भीतर। मैं ही पराई हू ,सौम्या इमोशनल होकर बोली ।

हाय - हाय बड़ी आई नकली आँसू दिखाने वाली। दिनभर तेरे जाने के बाद करती ही क्या है? बस चार दोस्त बुलाकर किटी पार्टी और अजूबा डांस और ना जाने क्या क्या। सौम्या की सांस सरला जी बड़बड़ाते हुए कमरे में घुसी।

ह्म्म्म,अरे मम्मी जी वो अजूबा डांस नही जुम्बा डांस है जिससे शरीर फिट रहती है सौम्या ने सासु माँ को जवाब दिया।

हा हा जो भी है,ये सब करने से अच्छा थोड़ा घर का कामकाज भी कर ले तो भी शरीर फिट रहेगा और घर के चार पैसे भी बचेंगे। लेकिन नही तुझे तो बाई चाहिए। सरला जी सौम्या को तीखेपन से जवाब दी।
बेटा मैं जरा सा मोहल्ले के हाल ले लू तो इसे वो बुराई करना दिखता है। पता नही किस नक्षत्र में इसे अपनी बहू बनाकर घर ले आई। आज तक हमारे घर की कोई बहू अजूबा डांस और खुलेआम शरीर से चिपका कपड़ा पहने ना घुमी, मगर मैंने आजादी भी दे दी। लेकिन अब यह कहा का न्याय है कि सास को ही दरकिनार कर दो। अरे मेरी भी तो उम्र हो गयी है मुझे भी कंधों की जरूरत है। मैं भी अपना सुख दुख किस्से कहु।

मम्मी जी आप भी मेरे साथ मेरी तरह की हो जाइए ये क्या रोज रोज का कीच कीच करवाती है हम पति पत्नी में,सौम्या खीजते हुई बोली।

देखा इसे। अपने करतूतों पर शर्म नही है। हाय चार पैसे बाहर जा कर कमा तो समझ आये मेरे बेटे का खून पसीना। सरला जी ऊंची आवाज में बोली।

ओहहफ्फो माँ बस आप भी चुप रहिए और सौम्या तुम भी। मेरी ही गलती है जो मैंने तुम्हें छूट दी।तुम अपनी माँ को भी क्या ऐसे ही अकेले छोड़ देती थीं। अरे माँ तो माँ है । ये रोज रोज का तुम दोनों का तू तू मैं मैं मेरा दिमाग का दही बना डालता है। ऐसा है कल से ना कोई बाई आएगी ना कुछ , घर के राशन लाने की जिम्मेदारी से लेकर घर की सभी जिम्मेदारी तुम्हारी सौम्या और हा माँ आप भी सौम्या का हाथ बटाईयेगा। आप दोनों को जो भी करना है वो मिलकर करिए अब वो चाहे जुम्बा डांस हो या अजूबा डांस। रवि ने मुस्कराते हुए दोनों को मना लिया।

सरला जी तो खुश हो गयी मगर सौम्या को सासु माँ की ये हरकत बिल्कुल ना रास आई। फिर क्या अगले दिन से ही सौम्या की एक अच्छी खासी घर की ड्यूटी से लेकर जुम्बा डांस ,योगा,किटी पार्टी सबकुछ जब खुद के कंधे पर आ गिरा तब सौम्या ने सरला जी को मान लिया और सरला जी भी अपनी बहू की हर काम मे मदद करती। आज दो साल होने को है और सौम्या ने सरला जी को जुम्बा डांस बेहतरीन सीखा दिया है साथ ही घर को भी संभाल लिया है। उसकी एक छोटी बेटी भी है जो बेहद ही चंचल है,वाक़ई घर संभालना और उसे बनाकर चलना हर किसी के बस की बात नही।


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