रिश्ते तो दिल से होते है मम्मी जी

अरे कुछ पता वो दो मकान छोड़ जो तीसरा मकान है ना अरे हा हा वही खरे साहब का मकान।उनके यहां शादी पड़ी थी,अभी जुमा जुमा चार दिन भी ना हुए है लेकिन नई नवेली दुल्हन के अपने ही तेवर है। 

दूसरी महिला ने पूछा - अच्छा ऐसा क्या हुआ भला। 
पहली ने जवाब दिया-  हाय-हाय तू कहा रहती है पूरे मुहल्ले में गंध फैल गयी तुझे पता ही ना है। अरे थोड़ा तो जानकारी रखा कर। दो महिलाएं मोड़ के नुक्कड़ पर खड़ी  हो फुसर-फुसर बतिया रही थी। दरअसल ये बाते चल रही थी खरे साहब के घर की।
     खरे साहब पीडब्ल्यूडी में अफसर थे,और उनका बेटा चिराग उसी ऑफिस में एक मामूली कंप्यूटर ऑपरेटर। अब आज के समय मे नौकरी मिलना तो जितना मुश्किल है उतनी ही बहू। 

हर किसी को बहू संस्कारी भी चाहिए और चू चा भी ना करे। ऐसा जमाना अब भला कहा है। पायल पेशे से टीचर और चिराग की धर्मपत्नी,व खरे साहब की छोटी बहू। 
दरअसल, खरे साहब का चिराग वाकई में घर का चिराग ही है। क्योंकि आज के युग मे हर कोई एक ही बच्चा चाहता है। संजोग से लड़का हो जाए तो सोने पे सुहागा। खरे साहब ने भी चिराग में लाड़-प्यार की एक कसर ना छोड़ी। आखिर एकलौता जो ठहरा। ऊपर से लड़का और घर का वारिस। किसी तरह करके अपने ही विभाग में चिराग को एक मौका दिलाया। कुछ ही दिनों में चिराग की शादी पायल से कर दी गयी। पायल देखने मे लम्बी ,गोरी थी। खरे साहब की धर्मपत्नी उर्मिला जी जो कि दिन रात अपनी बहू में और,औरों की बहू से तुलना करती ।किसी भी तरह से उनकी बहू में कोई कमी ना रहे। बस कुछ ही दिन भी ना बीता की पायल को सास की ये गतिविधि काटो के भाँति चुभने लगी। ज़ाहिर है हर महिला को शादी के बाद अपने पति के अनुसार कपड़े पहनना पसंद होता है,ठीक उसी तरह पायल को भी था मगर यहां पूरा का पूरा पासा ही उलट गया। यहां तो आज क्या पहनना से लेकर हेयर स्टाइल तक कौन सी रखनी है वो भी सासू माँ की पसंद का होता! 

पायल को जिस दिन कुछ अलग रंग पहनने का मन हो तो दोनों सास बहू में अनबन हो जाती। पायल को ये सब बिल्कुल ना रास आ रहा था। किसी तरह दो हफ्ता बीतने को हुए एक रोज पायल और उर्मिला जी मे जोर की अनबन आखिर कर हो ही गयी फिर क्या जो हर घर मे होता है ठीक उसी तरह खरे साहब के घर मे भी हो गया। बात इतनी बिगड़ गयी कि बहू ने अपने मायके जाने की इच्छा जाहिर कर दी। बस इसी बात पर बहसा बहसी का लावा तेज हो उठा और धुंधु धुंधु माहौल पूरे मुहल्ले में फैल गया। 
मगर सच्चाई तो ये थी कि पायल को अपनी सास यानि उर्मिला जी से दिक्कत नही थी। बल्कि उनके रोक टोक और उस पर रहन सहन पहनावा पर उंगली करने से थी। पायल की हट महज इतनी थी कि यदि कुछ गलत है तो मैं चुप रहकर सहू मगर बिना वजह क्यों। 
इस बहसा बहसी में एक रोज कोर्ट घर में ही खुल गया । दोनों पक्षो के लोग आमने सामने बैठ गए। पहले उर्मिला जी ने अपनी बात रखी। फिर पायल ने। दोनों की बाते सुनकर दोनों ही घरवालों को पहले तो हँसी आई और ये भी लगा कि पायल अपनी जगह सही है। क्योंकि किसी के जीने खाने रहन सहन पर आप कभी ज्यादती नही कर सकते। जब आप सामने वाले को सम्मान दे रहे तो आप उससे इस तरह की अपेक्षा कभी नही रखेंगे।पायल भी ठीक वैसी ही थी। अंततः पायल ने उर्मिला जी को गले लगाकर बोला देखिए मम्मी जी रिश्ते ,व्यवहार, सुंदरता, संस्कार दिल से निभाए जाते है ना कि दिखावा से, मै आपकी हर बात को मानी और आप मुझे सबसे अलग। मगर देखिए एक छोटी सी बात ने हमे किस मंझदार में ला खड़ा किया। पायल की बात सभी को सही लगी और आखिरकार उर्मिला जी को भी अपने ज्यादती पर अफसोस होने लगा। 

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