जुबान पर ताला लगाकर रखिए!




मम्मी जी मे ऑफिस जा रही हूँ, थोड़ा आटा बचा है आप सेक लीजिएगा, दरअसल मुझे बेह्द देर हो रहा। रमना जी सर हिलाकर ही जवाब दी "ठीक"। और मम्मी जरा पीकू सो रही उठे तो उसको भी ब्रश वगरैह करा के नाश्ता दे दीजिएगा। दीपांशु का टिफिन भी पैक है नरेश भाई भी आते होंगे उन्हें डिब्बा थमा दीजिएगा। ज्योति बोलते हुए सीधे गेट खोलकर स्कूटी उठाई निकल पड़ी।

ज्योति रमना जी की छोटी बहू थी,दरअसल बड़ी बहू पहले ही मुंबई जा कर बस गयी। अब रमना जी का कुछ था तो वो सहारा थी ज्योति। ज्योति बजाज में कॉरपोरेट सेक्टर में( एच्. आर. )काम करती थी। उनका बेटा दीपांशु बिजनेस करता था। फर्नीचर का काफी बड़ा शोरूम था। बच्ची पीकू जो दिनभर रमना जी को थका देती। उनका पूरा दिन कब निकल जाता पता नही चलता। हम हमेशा कहते है कि यदि जिस दिन सास बहू को बेटी समझ ले तो सारा जड़ ही खत्म, तो ऐसा सोचना शायद गलत ही हो रहा।ये भले ही कहानी है मगर ये एक सच है। 



अरे मम्मी जी कौन आया है वो रेवती भाभी हमारी नई पड़ोसन रमना जी मुस्कुराते हुए बोली। ओहहह तो यहां हमारे कमाए पैसों को उड़ाया जा रहा,चाय नाश्ता कराया जा रहा। गप्पेड़े मारे जा रहे। ज्योति एक सुर में बोलती जा रही थी।

रमना जी को आज बहुत दुःख हुआ,उन्होंने रेवती भाभी को जाने का आग्रह किया। रेवती भाभी उस दिन चली गई। रमना जी को अंदर ही अंदर ये कचोट रहा था कि क्या इस घर मे उनकी कोई वैल्यु नही। एक रोज रमना जी की बेटी घर आई और खुशी से रमना जी लिपट के फफक पड़ी। उनकी बेटी पायल ने पूछा- क्या हुआ माँ आपके आंखों में आंसू । कुछ नही बेटा बस बहुत दिनों के बाद मिली हु ना। माँ कुछ बात है तो बोलिए। तभी रमना जी की बहू ज्योति घर आ गयी।

घर मे घुसते उसने कहा अरे पायल तू कब आई। बस भाभी थोड़ी देर पहले । देखो न भाभी माँ मेरे आते यू पिघल गयी कि मेरा तो मन ही व्याकुल हो उठा कि माँ क्यों रोई। रमना जी डांटते हुई बोली- बताई ना तू दौड़ते हुए अंदर आई तो मुझे तेरे बचपन मे स्कूल से आने वाली हरकत याद आ गयी। माँ आप भी ना। ज्योति ने ताने मारते हुए कहा इसीलिए मैंने इन्हें किचन से लेकर पीहू तक कि ड्यूटी दे दी है। खाली दिमाग शैतान का घर,कम से कम काम करती रहेंगी तो दिमाग तो शान्त रहेगा। पायल अपनी माँ के आंसू की वजह अब समझ चुकी थी उसने गुस्से में बोला- भाभी इस उम्र में दिमाग कई चीजो से बटता है। हरिकीर्तन सुनकर भजन पूजा अर्चना से घर के प्यार से ना कि ताने से!

पायल तुम मुझे मत सिखाओ किसको क्या करना है। सब पता है मुझे ,वैसे भी बाहर जाकर कमाने में तो इनकी उम्र हो गयी है तो घर के ही कार्य हो जाए। दिनभर करना ही क्या है ज्योति ने बड़बड़ाते अंदाज में बोला। वैसे भी तेरी माँ आधा कार्य ही तो करती है मैं तो आधा कार्य कर के जाती हूं।

वाह भाभी वाह! क्या खूब कहा आपने। सीधी सास मिली है तो चरा रही। जरा मेरी सास से एक गिलास मांगकर देखिए मुँह तोड़ देंगी अपनी जुबान से ही। अरे माँ की भी उम्र हो गयी है वैसे भी इस घर को सदैव माँ को ही चलाना है खाना बनाना है तो आप क्या यहां महारानी बनने आयी है। वैसे भी भाभी आप की कमाई का टुकड़ा नही खाती है मम्मी पापा के पेंशन का खाती है।पायल चुप हो जा बात मत बिगाड़ रमना जी पायल को चुप कराते हुए बोली।
माँ मैं बोलूंगी आज । देखती हूं ये क्या करती है। अभी फोन मिलाती हु हेल्लो, भाई हा छुटकी बोल कैसे फोन करना हुआ दीपांशु ने जवाब दिया। भाई मैं घर आई हूं यहां भाभी के अपने ही कहानी बयां हो रही। तो ये बता माँ तो तेरी भी माँ है ना तो ये नौकरानी जैसा भाव क्यों। अरे पूरा दिन खटती रहती है ऊपर से तुम्हारी बीवी खुद को मालकिन बन रही कि बहुत कमाती है कि माँ को नौकरानी बना बैठी। अब चुप ज्योति जोर से चिल्लाते हुई बोली- मम्मी जी आपसे नही हो पा रहा था तो खुद बोल देती ये क्या ड्रामा है कि पति पत्नी के बीच झगड़े लगवा रही। आप जैसी सास किसी को ना मिले पति मर गया मगर एटीट्यूड वही है। बहू रमना जी जोर से डांटते हुई बोली। मम्मी जी जुबान पर ताला लगाकर रखिए बेटी के आने से फड़फड़ाइये नही। ये तो चंद घण्टो की मेहमान है अपना सोचिए ज्योति बोलते हुए अपने कमरे में चली गयी। मगर पायल को यह बेहद बुरा लगा। और उससे ज्यादा बुरा लगा तब जब दीपांशु फोन पर सब सुनते हुए भी यह बोला तुम औरतों को कोई काम नही।

पायल ने झटसे रमना जी का सामान पैक की और उन्हें अपने साथ ले गयी। कुछ दिनों तक तो रमना जी को पीकू की याद सताती मगर कभी भी किसी ने झूठमूठ का भी ना पूछा कि माँ आप कैसी है और कब आ रही। यही है बदलते परिवेश की सच्ची कहानी। आज के युग मे बहुओं ने सास पर रौब झड़ना शुरू कर दिया है जो कहीं न कही गलत है। 

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