चार पैसे कमाओ तो समझ आए

चार पैसे कमाओ तो समझ आए की आखिरकार पैसे आते कैसे है।तुम लोगो को तो बस खर्च करना आता है। ये शब्द थे मेरी माँ के जब भी मैं उनसे पॉकेट मनी से ज्यादा की डिमांड करती। वक़्त था कॉलेज में शुरुआती दौर का और नए फ्रेंड के साथ मस्ती पार्टी अब यार ये सब तो बैचलर लाइफ की निशानी है हर किसी को अच्छा लगता है कि वो घूमे फिरे मस्ती करे। मगर ये कहानी पर स्टॉप तब लग जाता जब माँ पैसे देते वक़्त ताने मार कर देती और समझाती जितना जरूरत हो उतना ही खर्च करना। उस दौर में उनके हर शब्द कड़वे लगते थे। लगता था औरों के माता पिता अच्छे है। हर रोज मेरे फ्रेंड्स पार्टी शॉपिंग मस्ती किया करते और मैं समय के साथ उनसे कटती चली गयी। एक समय आया कि लोग यह बोल कर चले जाते की यार चलना तेरे पास तो कभी पैसे नही आएंगे तेरी माँ तुझे देने से रही तो क्या तू कभी कॉलेज टाइम सेलिब्रेट नही करेगी। मुझे भी लगा सही तो कह रहा ,मगर वो मेरी सबसे बड़ी भूल थी कि मैं बिना पैसों के ही उन दोस्तो के साथ पार्टी करने चली गयी। उस दिन लगा कि शायद माँ सही कहती है पैसे जायज ही खर्च करने चाहिए नाजायज़ नही। इसीलिए तो वो हमेशा कहती आई है कि "चार पैसे कमाओ तो समझ आए"।


ये तब समझ आया जब मैंने पत्रकारिता की पहली सीढ़ी पर कदम रखा, पहली सीढ़ी पर महज़ 500 रुपये ही प्राप्त हुए लेकिन वो मेरे मेहनत के पैसे थे।जिन्हें मैंने अपनी कलम के लेखनी से पाया। इसके बाद तमाम जगह नौकरी करती गयी पैसे की अहमियत भी समझ आई मगर ख़र्चली शायद मैं तभी भी थी तब मुझे लगता था अब तो मैं चार पैसे कमाने लगी हु।ये तो मेरे अपने पैसे है इससे तो मैं चाहे शॉपिंग करूँ या मस्ती। इस सोच ने एक बार फिर मुझे मम्मी से ताने सुनने पर मजबूर कर दिया "अरे अब तो चार पैसे कमाने लगी हो कम से कम अब तो पैसों की कीमत समझो तुम्हारे ऐसे कमाई का क्या जब माँग कर ही जीवन चले। "और ये बात थोड़ा और खटक गयी तब मैंने तय किया कि कैसे भी कर के मैं पैसे कमाऊंगी और उन्हें इकट्ठा भी करूंगी। उसके बाद ही मेरा एक जबरदस्त एक्सीडेंट हुआ जिसमें मेरी जिंदगी ने मुझे माँ बाप बहन पैसे घर की एक सीख दी कि वो सब मेरे जीवन के मुख्य धन है जिन्हें मैंने अब तक गलत समझा दरअसल वो आज मुझे मौत के मुँह से निकाल खड़ा कर दिए। 2018 में मैं पूर्णतः ठीक होने के बाद एक बार फिर नौकरी करना शुरू की और उस कमाई का 500 रु बचत करने लगी पोस्ट ऑफिस में। अब समय के साथ मेरी सोच और मेरी भाव दोनों बदल गया है क्योंकि पहला पूंजी घर और माँ बाप बहन है जिन्होंने मुझे ठीक करने में बहुत संघर्ष झेला है जिसे मैं व्यक्त नही कर सकती। लेकिन अब मैं सिर्फ उन लोगो के लिए थोड़ा थोड़ा ही सही मगर इकट्ठा करने का प्रयत्न करती हूँ। शुभ अवसर पर अपनी कमाई से आज गिफ्ट खरीद कर उन लोगो को प्रेजेंट करती हूं तो मुझे अत्यंत खुशी मिलती है। अब लाकडाउन के बाद से घर का राशन ,दवाई,किराया,और हर छोटी सी छोटी जरूरत की चीजें अब मेरी कमाई से जुड़ गई है बस मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि यह सफर भी पार करा दो।

बाकी मोम्प्रेससो ब्लॉग ने एक नई हिम्मत और मेहनत इनाम के रूप में हम महिलाओं को सशक्त किया है। मैं मोम्प्रेससो टीम व यहां जुड़ी हर सखियों को आभार व्यक्त करती हूं जिनके प्यार दुलार से आज मैं मोम्प्रेससो पर अपनी पहचान तो बना ही रही हू साथ ही एक कमाई के लघु रूप वर्क फ्रॉम होम की तरह जुड़ी हुई हु शुक्रिया मोम्प्रेससो हम सखियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए।https://hindi.momspresso.com/parenting/freelnce/article/chara-paise-kamao-to-samajha-ae-6lpk0ie7udsg?utm_source=AD_Generic_Share&utm_medium=Share_Android 

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