पधारों हमारे घर मारुतिनंदन

मारुतिनंदन,अजनीपुत्र,महावीर,सर्वग्रह विनाशी,सर्वदुःख मनोजवाय,हनुमत,वानर,केसरीसुत,रामदूत,तत्वज्ञानप्रद,व्रजकाय.............आदि-आदि। समस्त संकटो को हरने वाले,दुःखों का निवारण करने वाले,भक्तों पर अपनी छाया रखने वाले प्रभु पवनपुत्र हनुमान को संसार मे एक सौ आठ नामो से जाना जाता है। वही हिन्दू धर्म पुराणों में भी इनकी चर्चा विर्घ्मान है।
    राम के दूत प्रभु मारुतिनंदन का जिक्र हमें अक्सर कविताओं,लेखों,पुराणों के दर्ज पन्नों,कहानियों में सुनने को मिलता है। यू तो मारुती की छवि बचपन से ही बड़ी रोचक रही लेकिन रामायण में इनका जिक्र सबसे ज्यादा सुनने ,देखने,पढ़ने को मिलता है। भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार माने जाते है। जिन्होंने भगवान राम की मदद के लिए चंचल स्वरूप बाल छवि रूप ,वनररूपी हनुमान का रूप धारण किया।
जिन्होंने माता सीता की खोज करते हुए लंका पहुँचे। जिन्होंने राक्षस रूपी रावण को भयभीत कर लंका का दहन किया। पूरे जग में इन्हें अमर का वरदान प्राप्त है,धरती पे इनके  गुणगान गए जाते है।
संकटों में लोग इनकी पूजा उपासना करते है,लेकिन वही इनकी अन्य महिमा भी सुनने को मिलती है,जहाँ वानरराज और नाना पुराणों आख्यात माने जाते है,वही वेदों के ज्ञाता भी।आप सोच रहे होंगे कि मैं आज क्यों मारुतिनंदन को याद करने लगी भला इतना.....तो आपको बता दू कि हिन्दू कैलेंडर अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा,व नवरात्र यानी रामनवमी के ठीक छः दिन बाद प्रभु मारुतिनंदन का जन्मदिवस बड़ी धूम धाम से मनाया जाता हैं। जिसे "हनुमान जयंती"के नाम से जाना जाता है।
देश भर में जगह- जगह पर आज ही के दिन दिव्य आलौकिक झाकियां,विशेष पूजन अर्चन,भण्डारे का आयोजन किया गया। भक्तों ने मारुतिनंदन को चोला चढ़ा प्रसन्न किया।

"को नहि जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारों"

पंडितों और ज्योतिषियों के अनुसार, चैत्र माह की पूर्णिमा पर भगवान राम की सेवा के उद्देश्य से भगवान शंकर के ग्यारहवें रुद्र ने अंजना के घर हनुमान के रूप में जन्म लिया था।
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए शनि को शांत करना चाहिए। जब हनुमानजी ने शनिदेव का घमंड तोड़ा था तब सूर्यपुत्र शनिदेव ने हनुमानजी को वचन दिया है कि उनकी भक्ति करने वालों की राशि पर आकर भी वे कभी उन्हें पीड़ा नहीं देंगे। कन्या, तुला, वृश्चिक और अढैया शनि वाले तथा कर्क, मीन राशि के जातकों को हनुमान जयंती पर विशेष आराधना करनी चाहिए।इसीलिए आज के दिन इन्हें घी और शुद्ध सरसों के तेल में दीप जलाने की महिमा देखने को मिलती है।
वही यह भी कहते हैं कि हनुमानजी का शुमार अष्टचिरंजीवी में किया जाता है, यानी वे अजर-अमर देवता हैं। उन्होंने मृत्यु को प्राप्त नहीं किया। ऐसे में अमृतयोग में उनकी जयंती पर पूजन करना ज्यादा फलदायक होगा। बजरंगबली की उपासना करने वाला भक्त कभी पराजित नहीं होता। हनुमानजी का जन्म सूर्योदय के समय बताया गया है इसलिए इसी काल में उनकी पूजा-अर्चना और आरती का विधान है।

आइए जानतें है कैसे प्रसन्न होते है " मारुतिनंदन"?

1. हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी के मंदिर जाएं और बजरंगबली का कोई भी सरल मंत्र या हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें।

2.हनुमान जी पर गुलाब की माला चढ़ाएं। हनुमान जी को खुश करने का यह सबसे सरल उपाय है।

3. हनुमान मंदिर में एक सरसों के तेल का और एक शुद्ध घी का दीपक जलाएं और हनुमान जी का पाठ करें।

4. पैसों की तंगी से जूझ रहे हैं तो हनुमान जयंती के दिन पीपल के 11 पत्ते पर श्रीराम का नाम लिखें।

5. हनुमान जी को विशेष पान का बीड़ा चढ़ाएं। इसमें सभी मुलायम चीजें डलवाएं, जैसे खोपरा बूरा, गुलकंद, बादाम कतरी आदि। 

https://youtu.be/zs_uZP-inPw

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