वो बूढ़ी माँ

विनय देखो तुम्हारी ये माँ मुझसे अब हैंडल नही होती तंग आ गयी हु। जब भी मैं किटी पार्टी में जाती हूँ ये बुढ़िया जरूर टोक देंगी।मगर वीणा माँ का हमारे अलावा कौन है?शांत रहो तुम विनय आपको क्या पता ये बुढ़िया हमारे बच्चे के भविष्य को भी निगल रही।जब वो पढ़ने बैठता है इनका आवाज लगाना शुरू। वीणा माँ बूढ़ी हो गयी है किससे बोलेगी। वीणा खिसियाहट में मन ही मन बोली अब इसका इलाज मैं खुद करूंगी।अगले दिन वीणा ने बूढ़ी माँ को वृद्धाश्रम के चौखट पर पटक दिया। विनय- वीणा माँ कहा गयी।
वीणा-मुझे नही पता।होगी कही किसी कोने में । और अगर चली गई तो अच्छा ही हुआ।


वीणा तुम माँ के लिए ऐसा कैसे सोच सकती हो तुम खुद माँ हो- विनय ने वीणा को जवाब दिया।
हा मैं माँ हु मगर तुम्हारी माँ की तरह ओल्ड सामान जैसी नही। जिसके पुर्जे जाम हो।
वीणा तुम भूल रही हो तुम्हारा बेटा यही संस्कार देख रहा।
हा तो देखने दो । उसे भी अपने माँ की बेहतर परख है। तुम्हारी माँ की।तरह मैं नही हूँ। वैसे भी पुराना सामान घर मे रखने से नकारात्मक ऊर्जा फैलती है। वो जहांठीक है। अपनी जिंदगी जी लेंगी।
विनय अपनी माँ को दिन रात ढूंढता। एक हफ्ते होने को थे विनय ने फैसला  किया कि अब पुलिस ही कुछ कर सकती है।पुलिस ने भी छानबीन शुरू की अंततः विनय की माँ वृदाश्रम मिली। ये सुनते विनय समझ गया। उसने आज वीणा पर गुस्से में हाथ तक उठा दिया।
इधर जब विनय पुलिस के साथ अपनी माँ।को लेने गया तब माँ कलेजा पसीज कर विनय को देखते खूब रोई।
विनय भी बेहद रोया। माँ चलो घर तुम यहाँ कैसे आ गयी।जरूर वीणा ने किया है।
नही विनय बहु ने नही मैंने खुद बहू से कहा है कि मुझे वृदाश्रम छोड़ दे वहां मेरी उम्र।के काफी लोग है मन बेहल जाएगा।
मा तुम झूठ बोल रही।
नही विनय यही सच है माँ आज अपने बेटे से मिलकर लिपटकर जी भर कर रो रही थी। जानती थी अब पता नही विनय भी कभी आएगा या नही।
माँ घर चलो।अब बचकाना हरकत मत करो हो गया ना।
नही बेटा ये सबलोग भी मेरे सोच से मेल खाते है। तू मुझसे मिलने।आ जाना जब भी दिल करे।
विनय रोते रोते घर ही पहुँच रहा था कि तभी विनय की मोबाइल की घण्टी घनघनाया "हेल्लो,
हेल्लो सर मैं वृदाश्रम से बोल रहा हुमुझे ये बताते हुए बेहद दुख पहुँच रहा कि  आपकी माँ अब नही रही। उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वो इस दुनिया को अलविदा कह दी।ये सुनते विनय को लगा जैसे पहाड़ ही टूटकर गिर गया हो। विनय फूटफूटकर रोने लगा। खुद को भीतर ही भीतर कोसने लगा।आज विनय जैसी माँ लाखो वृदाश्रम की चौखट पर पड़ी अपने वच्चो का इन्तेजार करती है आखिरी सांस तक।



निवेदन- इस महामारी में सभी जन साथ रहिए।वृदाश्रम में रहने वाली माँ दादी चाची जो भी आपके रिश्ते में लगती हो उन्हें घर वापस ले आइए।आप तो सुरक्षित अपने घरों में है मगर एक माँ एक स्त्री वृदाश्रम के छत के नीचे होते हुए भी ,तमाम ठोकरों के बावजूद उसका कलेजा क्यों ना पत्थर हो जाए मगर जब से ये महामारी आयी है उसका कलेजा मोह और भावनाओं से पसीज रहा। उसे भी अपनो कि जरूरत है।  

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