क्या आप सहमत है...???

"मैं नही करना चाहतीं शादी"???अक़्सर हम आपने ये सवाल कही न कही जरूर सुने होंगे। या स्प्ष्ट लफ़्ज़ों में  "मुझें शादी नही करना बस"?? ; मुझे जबरदस्ती प्रेशर मत करिए शादी के लिए??? इस तरह लाखों दिल से निकले सवाल हम सुन ही लेते हैं। लेकिन लोग उनकी भावनाओं को समझने के बजाय ये मान बैठते है कि ; अरे शर्मा रही है अभी मान जाएगी। उसे कुछ दिनों का समय इस तरह दिया जाता है जैसे वार्निग दी जा रही हो।
            क्या शादी करना जरूरी है??? क्या आपको कभी ये नही लगा जब हम अपने जीवन को 24 से 30 साल तक अकेले लेकर बढ़ जाते है तो ये शादी किसके लिए करते हैं?? क्या जीवन सिर्फ और सिर्फ शादी से ही जुड़ा है?? हम शादी करके वंश को नही बल्कि धरती पे एक मानव की प्रजाति को आगे बढ़ाते है,इसे ज्यादा कुछ नहीं। मैंने अक्सर इस भावनाओं वाले लोगो को देखा है जो साफ लफ्ज़ में शादी न करने की बात रख देते है। फिर हम क्यों उन्हें ये कहकर प्रताड़ित करते है कि शादी नही करोगें तो ये समाज,लोग,मोहल्ला ,रिश्तेदार क्या कहेंगे?
हम रिश्तेदारों की सोच सकते है,समाज ,लोगो की परवाह भी कर सकते हैं,लेकिन उनकी भावनाओं को नही समझ सकते जिससे शादी ही नही करनी।क्या आप सहमत हैं,कि शादी करना बेह्द जरूरी हैं?? मैं इस बात से जरा भी  सहमत नही हूँ कि शादी करना बहुत जरूरी हैं।

           ये समाज और चार लोगों की परवाह हम शुरू से अंत तक करते हैं,लेकिन ये समाज और चार लोग हमारी सोच की कितनी कदर ओर परवाह करते है। मैं खुद एक बेटी हु मैंने भी इस सवाल को बखूबी सुना है। लड़की बड़ी हुई नही कि ,माँ बाप से ज्यादा इस समाज को चुभता है। मानो ये लड़कियां उनका खा रही हो। आख़िर शादी करने में कौन सी भलाई है?? मैंने अक्सर ऐसा देखा है कि जो लोग शादी में कोई दिलचस्पी नही रखते अक्सर लोग उनके साथ जबरदस्ती रोज रोज के ताने से उन्हें कैसे भी कर मना लेते हैं। लेकिन सवाल उठता है कि वे लोग कितने खुश ,कितने न खुश रहते है आप जरूर बताइएगा?

शादी ,दो मिलन भावनाओं से जुड़ता है। जिनके प्रति आदर,सम्मान,ओर प्रेम हो। शादी को हमारे धर्म ग्रन्थों में एक पवित्र डोर से बाधा गया है। जिसकी भूमिका मुझे नही बतानी आप खुद जानते है। बचपन से ही लड़कियों के मानसिकता में ये भाव लाये जाते है ,जैसे ऐसे नही ऐसे रहो, कल को दूसरे के घर जाना है,अरे कुछ खाना बनाना भी आना चाहिए नही तो जहाँ जाओगी लोग क्या कहेंगे,शादी तो करना ही होगा ,जीवन भर अपने पास थोड़ी रख सकते है ये समाज हमें जीने नही देगा।

ये सारे सवाल देखा एक ही जंजीर में लिप्त है ,वजह साफ़ समाज। देखा जाए तो इन्हें दुनिया की पड़ी भी रहती है,और कहने पर स्पष्ट जवाब मिलता है हम क्यों करंगे ऐसा हमको क्या गया है। असल मे इन्ही को जाता है,दिन भर का कोचना अरे वर्मा जी आपकी बेटी अब तो चौबीस वर्ष की हो गयी कही शादी कर दो , देख ही रहे है जमाना कितना खराब है। बेटी कि शादी जितनी जल्दी हो जाए न उतना ही बेहतर रहता हैं।


क्या शारीरिक बनावट को देखते हुए शादी की जाती है, अगर हाँ तो ये गलत है। जब तक एक लड़की शारीरिक से ज्यादा मानसिक रूपी से तैयार न हो जाये उसके साथ कभी जबरदस्ती न करें। क्योंकि जीवन आपको नही उसे बिताना है। ये समझना बेहद जरूरी है ,उनलोगों को जो शादी के पीछे पड़ जाते हैं।

अक्सर ऐसे केस देखे गए है कि जिन लोगों को शादी में दिलचस्पी नही होती है वो अपने कैरियर को मजबूत बनाए रखते है। जिनकी जबरदस्ती शादी की जाती है वो शादियां अक्सर या तो तनावपूर्ण होती है या तलाक तक पहुँच जाती है।

अगर आप सचमुच शादी के लिए सोचते है तो लड़की हो या लड़का उसे उतना समय जरूर दे जब तक वो मानसिक रूप से शादी के लिए तैयार न हो जाए। क्योंकि तनावपूर्ण ओर तलाक जैसी शादियां अक्सर हानिकारक ही साबित हुई है ,कई ऐसे केस भी देखे गए है जिनमे न खुशी की चाहत में या तो थोड़ी अनबन में लोग एक दूसरे को छोड़ देते है। इसलिए किसी के जीवन को बरबाद न करे। शादी करने से ज्यादा जरूरी है,उसकी मानसिक शांति और खुशी।

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