भंग

बुरा न देखें..न बुरा सुनें...न बुरा बोले 🙈🙉🙊 ये तीन ख़ास बात हम और आप बचपन से लेकर बड़े तक सुनते आए है।


आज मेरे दिल मे इसी को लेकर एक सवाल है आप सभी से ?क्या कुछ बुरा होते हम जो देख रहे हम उसे नही बोल सकते? क्या जो हम बुरा होते सुन रहे हम उसे नही बोल सकते? क्या हम जब उस तकलीफ़ दर्द को बयां करना चाहें तो भी नही बोल सकतें ??


कभी कभी बहुत से ऐसी बात होती है जो हमे सही गलत का फ़र्क तो बताती हैं मगर हम उसे भय और शर्म जैसे शब्दो के साथ निगल जाते हैं।


अगर बुरा हो रहा तो बोलये ,अगर बुरा दिख रहा तो बोलये ,अगर बुरा सुन रहे तो उसकी मदद कीजिए। गाँधी जी ने इन 🙊🙉🙈बंदरो से संकेत जरूर दिया।लेकिन आप उसका सही इस्तेमाल कीजिए।


आज के समय मे तेजी से बढ़ता सेक्सुअल हरासमेंट, रेप , छेड़छाड़, चाइल्ड एब्यूज जैसे शब्द हम आए दिन नही ,हर रोज सुनते हैं।


क्या हम इतने हैवान हो चुके हैं कि हमें दर्द जैसे शब्द सुनाई नही दे रहे? आखिर क्यों चुप्पी रखना ?? ये एक छोटी बात नही एक ऐसे बात है जो किसी मासूम पर  गहरा प्रभाव डालती हैं।


आज मैं ये लेख उन मासूम बच्चियों के दर्द की बात को लिखने की कोशिश कर रही जिन्हें लोग  सुनने से पहले चुप करा देते हैं।


क़िताब ओर ज्ञान सब कागज़ों में सिर्फ आज ज़ब्त है, जिन्हें न कोई उसको पढ़ने वाला न सुनने वाला। वक़्त ओर जमाना एक ऐसा पहिया में घूम रहा जहाँ न कोई अपना  है न पराया; जो बिन डीजल ही भाग रहा,न उसे कोई रोक ने वाला ,न उसे कोई पकड़ने वाला।


हम सभी सुबह से शाम तक इतने व्यस्त रहते है  कि हमें दूसरों की सुनने का समय ही नही। हम खुद के साथ हो रहे बातों को भी इग्नोर जैसे शब्दों को थमा देते हैं,की तुम संम्भालो। लेकिन मेरा सवाल है कि क्या हम चुप रह कर सही करते हैं?


बचपन मे हर मा बाप दो बाते सबसे पहले सिखाते हैं- "early to bed ,early to rise" मगर  वो बच्चे को सबसे महत्वपूर्ण बात बताना भूल ही जाते है कैसे?


महत्वपूर्ण है अपने बच्चियों  को गुड टच ,बैड टच बताना। मतलब हमारे शारीरिक भागो को कौन किस मायने से छू।रहा। मैं किसी ओर से नही एक माँ से आग्रह करती हूं,की वो समय  का इन्तेजार न करे कि जब बड़ी हो तो बताऊँगी,क्योंकि एक हैवान को उसके बड़े होने का इंतज़ार नही बल्कि उसके मासूमियत,भोलेपन का इंतज़ार होता हैं। क्योंकि बाल्यावस्था में एक बच्चा जीवन की सबसे कोमल पल को जीता है,जिसमे वो कुछ भी समझने योग्य नही होता,इसी का फायदा ये हैवान रूपी लोग लेते है।


आप से आग्रह करती हूं अपनी बच्ची को गुड टच ,बैड टच के बारे में अभी से बताए ताकि कोई उसके साथ कुछ करे तो वो आपको बता सके।


आइए बताती हु क्या है गुड टच? गुड टच में माँ अपने बच्चे को गले लगा सकती है उसे दबा के हग कर सकती है। उसे चुम सकती है,जैसे माथे पे ,हाथों पर। लेकिन अगर हम बैड टच की ओर बात करे तो जिनकी नियत में खोट हो वो चुपी का फायदा ले गुड टच के बजाय बैड टच करना शुरू करते है। जिसकी शुरुआत अक्सर घर परिवार से ही होती है। चाहे वो रिश्तेदार हो या अपने सगे ही क्यों न?


बैड टच जैसे बच्ची के शरीर पे किसी भी जगह हाथ फेरना,


शरीर के उन भागो को टच करना जो सरासर गलत है। जैसे छाती के भाग को हाथ लगाना, नितंब पर हाथ फेरना या हाथ बार बार लगाना,नाभि से निचले भाग को टच करना,पीछे नीचे की ओर हाथ लगाना। बिन बात प्यार जताना जैसे चुम लेना, हाथ पकड़ना, हाथ सहलाना, किसी न किसी तरह टच करने का प्रयास करना।


जो सरासर गलत है,ऐसे में हम आवाज न उठाएं तो अगले बन्दे को हौसला मिलता हैं। हम क्यों चुप रहे?


मैं आज इस बात को इसलिए लिख रही,क्योंकि आज के इस दौर में कोई भी अपना नही। सतर्क रहना ही फायदा है। चाहे वो रिश्तेदार या फैमली मेम्बेर्स ही क्यों न हो। आज क्राइम  घर में भी पनप रहा।


भाई बहन का रिश्ता जिसमे उस छोटी सी बच्ची को ये नही पता कि उसके साथ क्या सही क्या गलत हो रहा। क्योंकि इसमें उसकी नही हमारी गलती है। पीहू महज आठ साल की है उसके चंचल बचपन ने उसे कुछ यूं कुरेदा की आप भी दंग हो जाएंगे। उसका बड़ा भाई जो कि पीहू को चॉकलेट के बहाने घर से बाहर ले जाता,सेक्ससुअल हराश करता है मगर उस बच्ची को समझ ही नही आया। उसे बे बात शरीर के किसी भी जगह चूमना, जोर से दबा कर गले लगाना,उसके नितंबों को सहलाना,पैरों में गुदगुदी के माध्यम उसके पैरो को छूना ये क्या है बैड टच, जो हमे अपनी बच्चियों को बताना है,ताकि उन्हें कोई इस तरह करे तो वो जवाब दे सके।


अक्सर मामला तब बढ़ता है जब हम उसको कोई रिस्पॉन्स नही देते,यही गलत है। डर शर्म चुप्पी से नही सुरक्षित रहेगी बेटी, गलत को गलती बताने पर सुरक्षित रहेगी बेटी।


अगर कोई हाथ बार बार लगाए तो सतर्क रहें। आवाज लगाए, न हो तो अपनी सुरक्षा स्वयं करे। जैसे तुरन्त टोकना,धकेलना,माँ से पूरी बात कहना।


क्योंकि आज क्राइम हर घर मे पनप रहा है, खासतौर पर यौन शोषण के मामले में ,जिसे हम आप को ही सतर्क रहने की जरूरत है। ये जरूरी नही की हर घर मे ऐसा हो ,लेकिन क्राइम कब पनप जाए कोई नही जानता। किसकी नजर कब गन्दी हो जाए ये कोई नही जानता।


इसलिए अपनी बच्ची के सुरक्षा के लिए एक कदम उसे गुड टच बैड टच के बारे में बताए। जिसे वो सतर्क रहें। अक्सर अनहोनी अनजाने में ही धावा बोलती हैं। ये कोई गलत बात नही जो आप उसके बड़े होने का इन्तेजार करे। ये उसकी सुरक्षा से जुड़ा मसला है।


कैसे एक बच्ची खुद को सुरक्षित रख पाए। क्योंकि कलयुगी हैवान का अंत कब हो ये हम आप नही जानते? इसीलिए अपनी चुप्पी का अंत करना होगा हमे। उसके भंग को जल्द न तोड़ा गया तो स्त्री जाति के साथ लोग यू ही खेलेंगे। अपनी सुरक्षा अपने हाथ,सही गलत का फर्क बताना जरूरी है आज के समय मे।


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