आख़िर ये चुगलबन्दी रिवाज आया कहा से ???

हाय हाय तौबा तौबा-,ऐसी सास ईश्वर किसी को ना दे। दिन रात ठेक ठेक के देने के बाद ये नतीजा हाय राम। आजतक घर के भीतर चार महिला बुलाकर कम पंचायत और बुराई करती थी क्या??? जो ये ऑनलाइन बुराई की दुकान खोल ली! 
अभी एक मदद मांग लो कि मम्मी जी आप थोड़ा सब्जी काट दीजिए तो मैं फट से रोटियां बना लू। तब इनको आंखों में मोतियाबिंद की शिकायत हो जाती हैं। ये ऑनलाइन बुराई की दुकान में क्या ऑय ड्राप डाला जाता है। माजरा अब समझ आया पूरे दिन बिस्तरा पर पड़े पड़े करती क्या है। यहाँ बहू दो पल को बिस्तर पर ना बैठे।यहां बूढा बैठ कर आराम से ऑनलाइन ग्रुप बना कर सबकी बुराई कर रही।हाय बड़ा ही नेक जमाना है। मेरे समझ में ये नही आता कि आख़िर ये चुगलबन्दी रिवाज आया कहा से किस कमबख्त ने इसकी शुरुआत की??? अरे बहू ओह्ह बहू कहा मर गयी उफ्फ्फ मेरे तो घुटने अब जवाब दे गए है। बहू तू यहां क्या खड़ी खड़ी कर रही है। देख किचन में कितना सारे काम ही काम पड़े हुए है पीछे से सासू मा बोलते हुए राधा की ओर बढ़ी। दरअसल शर्मा फैमिली जोइंट होते हुए भी जोइंट नही थी सभी अलग अलग पार्ट में बट गए थे। बस एक ही थी जो मिसस शर्मा को संभाल रही थी,वो थी उनकी इकलौती बहु राधा! राधा ही थी जो अपनी सास को तवज्जों देती थी,बाकी बहूओ ने पारी बांध रखी थी कि पंद्रह दिन बड़ी के यहाँ, पंद्रह दिन मझली के यहां। यही बात राधा को ना भाती। अब तक जिस सास को वो माँ की तरह मानती थी,आज उनके इस खुलेआम चुगलबन्दी से दिल कचोट उठा और उसने भी ठान ही लिया ये जानने के लिए की आखिरकार उसकी इतनी बुराई क्यों। राधा ने तीखेपन से सासूमाँ से पूछा मम्मी जी आखिर मुझमे इतनी ही कमी है तो आप क्यों नही बड़ी वाली,या मझली के यहां क्यों नही चली जाती। मिसस शर्मा थोड़ा सकपकाई और ऊंचे स्वर में बोली देखो बहू मेरी मर्जी मैं जहां चाहू वहां रहू। मम्मी जी वहां कोई आपके हरकतों से टिकने देगा तब ना राधा खीजते हुए बोली और मोबाइल के व्हाट्सएप पर बने ग्रुप चुगलबन्दी की ओर इशारा करते हुए कही मुझे लगा था अब आप सासूमाँ से माँ बन गयी है लेकिन यहां तो आप पीठ पीछे चुगली की दुकान खोल बैठी है। क्या वाक़ई जमाना कभी भी एक बहु को बेटी नही मान सकता। आखिर क्यों होती हैं बहू की बुराई,कमी तो हर किसी मे होती हैं। हर बहू बेटी होती है और हर सास एक माँ होती हैं। अगर ये दोनों ही तालमेल बिठाके चले तो शायद ये चुगलबन्दी बन्द हो सकती है क्योंकि ना कोई बेटी अपनी माँ की बुराई सुन सकती ना ही कोई माँ अपनी बेटी की बुराई कर सकती है। इसीलिए बदलाव की बयार जरूरी है मम्मी जी!




टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट