नारी हूँ मैं अब खुद को गढ़उंगी


नारी हूँ मैं अब खुद को गढ़उंगी

हर सुपरवीमेन्स के मिशन-शक्ति का आगाज़



आज भले ही हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे लेकिन नारी के संबंध में जब भी बात उठती है तो लगता है जहाँ से इस चक्र की लड़ाई चली थी आज भी जारी है। हर औरत कुछ चाहती है, लेकिन मानसिकता ये समाज उसे बदलने नही देता। उसे गढ़ने नही देता।रोक लेता है उसके कदमों को उसकी चहक को आख़िर क्यों?किसका है इतना भय?समाज का या इनमे जी रहे उन चार लोगों का जो असल मे एक नारी को जीने नही देना चाहते। मेरा उन्ही चार लोगों से कुछ चंद सवाल है - जब देश मे किसी बेटी का जन्म होता है तो आप आखिर खुद को इतना शर्मसार क्यों महसूस करते हो?जिस देश मे वर्ष में दो बार शक्ति उपासना की धूमधाम से पूजा की जाती हो आखिर उसी देश मे एक बेटी बोझ क्यों नजर आने लगती है ?जब देश मे आए दिन कन्या भ्रूण हत्या की जाती है तब आप कहा रहते है? जब देश मे आए दिन रेप,छेड़छाड़, शोषण,आत्महत्या,मडर ,एसिड अटैक जैसी शर्मसार कर देने वाली तुच्छ हरकतें होती है तब आप आख़िर क्यों चुप्पी साधे रहते हो?आख़िर क्यों नही उठती आपकी आवाज जिससे नारी शक्ति सच्चाई में सशक्त हो या हम मान ले कि सिर्फ आपका इतना ही काम है कि किसकी बेटी किसी की बहू में क्या कमी निकालना है। आख़िर क्यों नही वाचडॉग की तरह आपकी नजर इन पौरुष दिखाने वालो पर पड़ती जो आए दिन नारी पर शोषण कर रहे। क्यों नही कस लेते इन्हें शिकंजे में क्यों नही बनाते एक नया कानून?चन्द पंक्तियों के साथ मैं इस लेखनी को विराम नही अपितु आवाज दूंगी।
"मत लगा लगाम में मुझको,
मत कर विवश अब तू मुझको
है ये आत्मसम्मान की लड़ाई,
कर प्रहार अब हर पीड़ा नष्ट करूंगी
खुद के आत्मसम्मान को कायम रखूंगी,
यह कोई नही है नयी लड़ाई
लेकिन आगाज जारी रहेगा तब तक,
जब तक मिशन शक्ति की आवाज़ बुलंद ना होगी
नारी हूँ मैं ,निरंतर खुद को गढूंगी!"

कहते है नारी इस धरा की धुरी है। सृष्टि की सृजनकर्ता व परिवार की नींव। भारत एक ऐसा देश है जहाँ महिलाओं के सम्मान की कहानी वेद-पुराणों में भी दर्ज है। एक तरफ जहां नारी पूजा धन,ज्ञान,शक्ति और असीम ऊर्जा के लिए की जाती है तो दूसरी तरफ उसे तिरस्कार के बटखरे पे रखने के सिवा कुछ नही। नारी भले ही वो अनूठा मेल है जो समाज का विकास व परिवार को संम्भालती है लेकिन कुछ लोग की धारणाएं उसे जीने नही देती। नारी शक्ति पर आवाज आज से नही प्राचीन काल से ही चली आ रही,लाखों मिशन आए गए लेकिन लोगो की सोच और भी दैनीय हो गयी।

भले ही महिलाओं ने पिछले कुछ सालो में हर क्षेत्र में तरक्की की हो,और साबित किया हो कि नारी किसी से कम नही।लेकिन आज भी नारी को पुरुषों से ही आंका जाता है। जिस देश मे इक्कसवीं सदी में भी बेटी के पैदा होने पर उसे मार दिया जाता हो या कोख में ही जान ले ली जाती हो,उन्हें समाज मे बराबर का दर्जा न दिया जाता हो,शिक्षा का अधिकार नही दिया जाता हो। उनके जीने का हक भी यदि पुरूष वर्ग को ही हो तो ऐसे देश मे जुर्म कम नही अपितु हावी होते है।यही वजह है कि आए दिन महिला सशक्तिकरण की जरूरत पड़ती है। जिसे लेकर सरकार भी अनेको पहल, शिक्षा व सुरक्षा से जुड़े मामलों को उठाती है। जिससे समाज मे आधी आबादी यानि कि महिलाओं के स्थिति में सुधार आ सके उन्हें समाज मे उचित सम्मान मिले। जिससे महिलाओं को लेकर एक नए अध्याय की शुरुआत हो। लेकिन अफसोस हर सदी में महिला सशक्तिकरण का परचम लहराता है और फिर वही होता है जो आए दिन सुनने को मिलता है। इसके पीछे महज़ इतना ही है कि जिस दिन पौरुष दिखाने वालो का अंत नहीं होंगा तब तक स्थिति में सुधार मुश्किल है। जब तक कोई ऐसा कानून नही बन जाता जिसमे तुरंत दण्ड देने की धारा हो तब तक ये पौरुष दिखाने वाले खुद को शेर ही समझेंगे। जब तक पुरुष और महिला दोनों सामान रूप से मिलकर देश के विकास में अपना सहयोग नही करेंगे तब तक देश का सही मायने में विकास नही हो सकेगा। हर वर्ष महिलाओं के सम्मान के लिए महिला दिवस मनाया जाता है लेकिन असल मे इस सम्मान में उसे कितना तवज्जों दिया जाता है वो तब पता चलता है जब एक स्त्री का रेप हो जाता है। तब कहा चला जाता है ये सम्मान आखिर क्यों भूल जाते है ये जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले लोग। किसी ने खूब ही लिखा है ज़नाब"बेटियां कहां हर किसी को नसीब होती है "जो कभी माँ बनकर तो कभी बहन बन दुलराती है।
रूढ़िवादी मान्यताओं और पुरूष प्रधान विचार को भी महिलाएं अब चुनौती दे रही। जहां हर क्षेत्र में अपने हुनर को अजमा रही।वही एक तरफ महिलाएं देश के विकास में अपना अहम योगदान दे रही तो दूसरे छोर पर लगातार शोषण झेल रही आखिर क्यों? शायद अब सरकार ने भी जवाब देने की ठान ही ली है। यूपी के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने 17 अक्टूबर को एक अहम फैसले कि शुरुआत की उस शुरुआत का नाम है शक्ति उपासना के पर्व पर "मिशन -शक्ति!"

अब सवाल है कि आखिर क्या है ये मिशन शक्ति?इससे क्या होगा? क्या देश मे, यूपी में अब जुर्म पर लगाम लगाएगा ये मिशन शक्ति?बहुतरे सवालो का जवाब है ये मिशन। एक ऐसे मिशन का आगाज जिसमे महिलाओं को सशक्त किया जाएगा।अपराधियों की फोटो को चौराहे पर लगाया जाएगा।बलात्कारियों छेड़छाड़ करने वाले शोहदों को कड़ी से कड़ी कठोर सजा दी जाएगी।बिल्कुल वही सुन रहे आप जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने कहा। सर्वे अनुसार अन्य राज्यों के मुकाबले यूपी में बहुत अधिक रेप केस सुनाई देते है।सबसे बड़ा प्रदेश और अधिक घनत्व होने की वजह से छोटे-छोटे प्रदेश में आए दिन कहीं न कहीं महिलाओं पर अत्याचार, शोषण , घटनाएं घटित होती रहती हैं। इन घटनाओं पर नकेल कसने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यानाथ ने एक अहम फैसला लिया जो महिलाओं के सम्मान के लिए है। महिलाओं की रक्षा के लिए है।भले ही इसे शुरुआती दौर में तीन चरणों मे बांटा गया हो लेकिन कानून सख्त रहेंगे। पहला चरण पच्चीस अक्टूबर तक चलेगा फिर अगले साल अप्रैल माह तक। इसी तरह हर माह एक नए थीम के साथ मिशन शक्ति आयोजित होगा जिसमें महिलाओं को सशक्त किया जाएगा।बधाई हो हर महिला को इस नए ई-क्रान्ति की शुरुआत के लिए। महिलाओं में आत्मनिरक्षण कि शुरुआत की जाएगी। एक ऐसा मिशन जिसका कानून फ़ास्ट ट्रैक के तहत दौड़ लगाएगी।यानी महिलाओं के खिलाफ हुए अपराध के जो भी केस कोर्ट में जायेंगें उन्हें फ़ास्ट ट्रैक के तहत जल्द से जल्द उसपर सुनवाई की जाएगी। बलात्कार के केस को सर्वप्रथम प्राथमिकता दी जाएगी।अपराधियों को कड़ी से कड़ी कठोर सजा। मिशन के विशेषताओं से एक बात तो साफ है कि अब बलात्कारीयों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा। न ही उनके प्रति कोई नरमी बरती जाएगी।देखा जाए तो योगी आदित्यनाथ जी ने जितनी सख्ती इन शोहदों पर कसी है उतनी ही यूपी पुलिस पर भी। नियमानुसार महिलाओं की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।खास बात यह है कि आए दिन होने वाले छेड़छाड़ को लोग दबा देते है और अपनी बात किसी से नही कह पाते। इसी धारणा को ध्यान रखते हुए महिला पुलिसकर्मी की तैनाती कि गयी जिससे महिलाएं अपनी बात खुल कर कह सके।साथ ही आए दिन होने वाले छेड़छाड़ को रोकने के लिए सुधार के लिए एक सहायता हेल्प लाइन नम्बर -1090 की भी शुरुआत की गयी जिससे हर महिला महिला पुलिस से संपर्क कर सके। वही सजा की शुरूआत कुछ यूं खास है कि अब बेटियों को छेड़ने वालों की तस्वीरों को बीच चौराहें पर लगाया जाएगा।जिससे जुर्म को अंजाम देने में भय लगें। मनचले और शोहदों की धरपकड़ कर उन्हें तुरंत कड़ी सजा दी जाएगी।

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी।350 तहसीलों में महिला हेल्प डेस्क बनाए जाएंगे।मिशन शक्ति अभियान से राज्य एवं देश के अलग-अलग कई विभाग को भी जोड़ा जायेगा जिसमें अभी 24 विभाग चुने गए है, जो सरकारी या स्थानीय या अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक संघटन होंगें।सरकार ने यह भी कहा है कि उत्तरप्रदेश के सभी पुलिस थाने में महिलाओं के लिए एक अलग से कमरे में हेल्पडेस्क होगा, जहाँ महिलाओं से पूछताछ के लिए अधिकारी और सिपाही भी महिला होगी।पुलिस अभियान के चलते सभी जिलों गाँव में मिशन शक्ति की जीप या दोपहिया में महिला पुलिस अधिकारी खुद जाकर जांच करेंगी और मनचलों की धर पकड़ करेंगी। महिला पुलिस पिंक कलर की स्कूटी में जगह जगह जाकर महिलाओं को जागरूक करेगी। इतना ही नही प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश पुलिस फ़ोर्स में 20 प्रतिशत सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की है।इसमें बेटियों की भर्तीयां कर राज्य में सभी बेटियों को इसके लिए उत्साहित किया जायेगा।
पुराणों में सही कहा गया है कि अति का अंत जरूर होता है शायद वो वक्त एक बार फिर आ गया है।मशहूर कवयित्री महादेवी वर्मा लिखती है कि - महिलाओं को दो इतना मान,की बड़े हमारे देश की शान! जिसे माननीय मुख्यमंत्री जी ने कानून में जगह दी। उम्मीद है कि इसी सख्ती के साथ यदि कार्य हुए तो सदी में एक नया इतिहास दर्ज होगा।मनचलों की अब खैर नही होगी।नारी शोषण कम होगा।मिशन शक्ति के माध्यम गाँवो में महिलाओं को एक हौसला मिलेगा ,जिससे अब भय की समाप्ति होगी और रूढ़िवादी युग मे हर नारी खुद को गढ़ेगी। 

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