विचारविमर्श

मेरे समझ से जरूर...

हर महिला को अपने जीवन को जीने का अधिकार है ,बस बन्ध जाती है बेड़िया कुछ यूं उसके पैरों में की वो खुद को उसी में उलझ कर रह जाती है। मेरा ऐसा मानना है दुसरो के लिए तो हम महिला मित्र खुल कर जीते हैं,चाहे आंतरिक खुशी से या किसी दबाव से....लेकिन एक क़दम खुद के लिए बढ़ाए। ख़ुद को कमज़ोर नही एक मजबूती दे जिससे आपके जीवन की नींव कभी ये न महसूस होने दे कि आप कर तो बहुत कुछ सकती थी मगर देर करदी।

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