चुपके चुपके
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक उनकी आशिक़ी का वो ज़माना याद है,
उनके यादों का हर एक मंजर
अब तक जहन में तूफान मचा रखा है,
उनसे मिलते ही वो बेबाक हो जाना
अब तो बेबसी का आलम याद है,
उनके अदाओ और मोहब्बत के अंदाज
अब तो वो गुदगुदाहट का दौर भी याद है,
वो कतरा-कतरा तेरी मोहब्बत का अल्म
अब तो निशा को भी रुसवाई याद है,
हाले दिल बिन बोले कह लेना
अब तो गैरो को भी याद है!
टिप्पणियाँ