सोचिए चंद मिनटों के लिए ?

धरती ही शोषण की हो रही शिकार....चाहें वो वायु हो या जल! सोचिए एक बार महज़ चंद मिनटों के लिए की क्या हमारे पास शुद्ध पानी पीने को है ? क्या हमारे पास स्वच्छ वायु में खुलकर साँस लेने की आजादी है? कितने गमम्भीर है हम और आप?


विगत कई वर्षों से निरन्तर सारी दुनिया में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोग स्टाकहोम, हेलसेंकी, लन्दन, विएना, क्योटो जैसे सम्मेलनों और मॉन्ट्रियल प्रोटोकाल, रियो घोषणा पत्र, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम इत्यादि को याद करते हैं। गोष्ठियों में सम्पन्न प्रयासों का लेखाजोखा पेश किया जाता है। अधूरे कामों पर चिन्ता व्यक्त की जाती है। समाज का आह्वान किया जाता है, लेकिन क्या कोई मोक्षदायिनी की ओर वाक़ई ध्यान दे रहा? गंगा नदी का पानी दिन पर दिन दूषित होता चला जा रहा,जिसकी चिंता सही मायने में न तो आमजनमानस को है न ही सरकार को...!

सब अपने कुर्सी,ववाही,जनता ब्लेम ...लेकिन किसी ने उस माँ के बारे मे न सोचा कि किस तरह वो घुट घुट कर जी रही दूषित जल में साँसे ले रही।
आख़िर कहा छिपी है आपकी आस्था-श्रद्धा? क्या माँ गंगा महज आस्था व मस्ती का स्थान है? सोचिए एक बार महज़ सिर्फ एक बार....मैं किसी को ब्लेम नही कर रही मगर हा कुदरत के साथ हो रहे खेलवाड़ शोषण के लिए हम ही आप जिम्मेदार है। जब हम हर छोटी बड़ी बातों पर घंटो बहस कर सकते है तो आखिर क्यों नही समस्त नदियों में तेजी से  गिर रहे गन्दे नालो के ऊपर एक्शन लेते? आख़िर क्यों नही हम आवाम की आवाज उठाते?

सुना है कि इतिहास अपने को दोहराता है,तो क्या हम और आप उसके दोहराने का इन्तेजार कर रहे या इतिहास से सबक? 

विगत वर्षों से हम और आप सिर्फ और सिर्फ़ पर्यावरण दिवस पर धरती के इतिहास को टटोलने बैठ जाते है वो भी कोई फ़ेसबुक को अपडेट करने के लिए तो कोई सोशल साइट्स पर अपनी ववाही के लिए,लेकिन आप ही सोचिए क्या पुराने मुर्दे को उखाड़ना सही है ? क्या पुराने पन्नों को पर्यावरण की नजर से ही देखना-परखना या पलटना ठीक है?

कही ऐसा न हो जाए कि हम आप की गलती से आने वाले विगत वर्षों में मोक्षदायिनी भी इतिहास का पाठ बन जाए? तेजी से बढ़ता जल प्रदूषण वायु प्रदूषण हमारे भी स्वास्थ्य को हानि पहुँचा रहा चाहे हम माने या न मानें..!

पेड़ के छाव और एसी के छाव में रहने वालों को फ़र्क और उससे मिल रहे गलत परिणाम तमाम बीमारीयो को न्योता भी हम और आप ही दे रहे। क्या पहले के समय मे आपने मिनरल वाटर का या तेजी से बढ़ती कमाई का साधन आरो वाटर के बारे में कभी पहले सुना था नही...तो आज विगत वर्षों में ऐसा क्या बदला जिसकी हमे आज इनकी इतनी जरूरत पड़ गयी,सोचिए चंद मिनटों के लिए??

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